रचनाकार का भव्य द्विदिवसीय तृतीय वार्षिकोत्सव हुआ सम्पन्न

रावेल पुष्प

कोलकाता : अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था रचनाकार का तृतीय वार्षिक द्विदिवसीय अधिवेशन विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से सम्पन्न हुआ।

इस अधिवेशन में देश भर से आये प्रतिष्ठित व नवोदित साहित्यकारों ने भाग लिया । अधिवेशन की पूर्व संध्या पर स्नेह मिलन कार्यक्रम रखा गया जो माँ गंगा की मचलती लहरों पर वातानुकूलित पश्चिम बंगाल सरकार की कांफ्रेंस बोट “जलश्री” पर आयोजित था ।

भारतीय भाषा परिषद् में रचनाकार के कार्यक्रमों की श्रृंखला में दूसरे दिन के प्रथम सत्र की अध्यक्षता संस्था के प्रतिष्ठाता श्री सुरेश चौधरी ने की और कुशल काव्यात्मक संचालन बिहार इकाई की प्रभारी श्रीमती आराधना प्रसाद ने किया।

इस अवसर पर खास अतिथियों के तौर पर उपस्थित थे – श्री विश्वजीत सपन, प्रतिष्ठित साहित्यकार और पुलिस अपर महानिदेशक सतर्कता आंध्रप्रदेश, प्रसिद्ध गीतकार डॉ बुद्धिनाथ मिश्र और श्री विनीत शर्मा संपादक राजस्थान पत्रिका।

उपस्थित अतिथियों तथा देश के मुख्तलिफ़ हिस्सों से आए साहित्यकारों का स्वागत करते हुए संस्था के पदाधिकारी वरिष्ठ साहित्यकार रावेल पुष्प ने मंच की वार्षिक गतिविधियों पर प्रकाश डाला।

इस मौके पर देश भर से उपस्थित कवयित्रियों व कवियों ने काव्य के विविध रंगों की स्वरचित कविताओं का पाठ कर जहां कार्यक्रम को नई उंचाई दी, वहीं श्रद्धा टिबड़ेवाल की काव्य पुस्तक “पद्म पराग” का विमोचन भी किया गया।

अधिवेशन का दूसरा सत्र साहित्य व कला क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान करने वाले रचनाकारों के सम्मानार्थ आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ माँ वाणी के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया। तदुपरांत श्रीमती कुमुद साहा , हल्दिया द्वारा वाणी वंदना व बालिका स्वरातिका अग्रवाल द्वारा नृत्य कर मोहक गणेश वंदना की गई। प्रसिद्ध गायक आलोक चौधरी ने सुरेश चौधरी की प्रसिद्ध रचना ध्वज वन्दन गाई और प्रसिद्ध गायिकाओं वाग्मी त्रिवेदी एवं अन्वेश्वा चक्रवर्ती ने सुंदर गीत प्रस्तुत किये।

बाल नृत्यांगना अपेक्षा साहा ने कत्थक नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोह लिया। इस अवसर पर कोलकाता की ऑन्को सर्जन डॉ. नेहा चौधरी ने ब्रेस्ट कैंसर से संबंधित जानकारियां भी प्रदान की।

संस्था की कार्यकारी अध्यक्ष रचना सरन के संचालन में हुए इस सत्र में संस्थापक सुरेश चौधरी की 32 वीं पुस्तक “चमत्कृत करती भाषा संस्कृत” का लोकार्पण श्रीकांत शर्मा बाल व्यास ने करते हुए आज संस्कृत की आवश्यकता और इसके महत्व को दर्शाती पुस्तक को सभी घरों की आवश्यकता बताया।

रचनाकार द्वारा इस मौके पर कई प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रदान किये, जिनमें थे-

रचनाकार कर्मयोगी ननीगोपाल क्षेत्रीय साहित्य सम्मान-

बांग्ला साहित्य के लिए: डॉ रामकुमार मुखर्जी, कोलकाता

उर्दू साहित्य के लिए :जनाब फ़े सीन एजाज़, कोलकाता

और राजस्थानी भाषा के लिए : श्री जगदीश दान रतनू , बीकानेर।.

रचनाकार साहित्यगन्धा प्रज्ञा सम्मान-

श्री विश्वजीत सपन- हैदराबाद, रचनाकार सुरभि कला विभूति सम्मान- श्री मिथिलेश कुमार सिंह, पटना को तथा रचनाकार दुर्गावति चौधरी स्मृति साहित्य सारथी सम्मान – श्री योगेंद्र शुक्ल ‘सुमन’, कोलकाता को प्रदान किया गया।

इसके अलावा रामधारी सिंह दिनकर जी के पौत्र द्वारा स्थापित दिनकर संस्कृति संगम न्यास एवं रचनाकार के संयुक्त प्रकल्प द्वारा:

रचनाकार दिनकर साहित्य शिरोमणि सम्मान : श्री मृत्युंजय कुमार सिंह, कोलकाता,

रचनाकार दिनकर साहित्य सेवी सम्मान- श्री बिश्वम्भर नेवर, कोलकाता एवं रचनाकार दिनकर साहित्य शिखर सम्मान- श्री बुद्धिनाथ मिश्र, देहरादून को प्रदान किया गया।

इस सत्र में पुरस्कृत विद्वानों तथा कुछ विशिष्ट अतिथियों ने भी सम्बोधित किया, जिनमें शामिल थे- सर्वश्री हिंगलाज दान रतनू, डॉ सोमा बंदोपाध्याय, डॉ विजय भारती तथा अन्य।

कोलकाता इकाई के पदाधिकारी श्रीमती चंदा प्रहलादका , मीतू कनोडिया , शशि लाहोटी, मौसमी प्रसाद ,संदीप गुप्ता , आलोक चौधरी , रमाकांत सिन्हा का सक्रिय योगदान तो रहा ही, अलग-अलग इकाईयों ने भी अपने स्तर पर सहयोग किया।

अंत मे प्रबंध अध्यक्ष श्रीमती विद्या भंडारी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

रचनाकार द्वारा इस तरह साहित्यकारों को सम्मानित करना तथा नवोदित रचनाकारों को उचित मंच प्रदान करना साहित्य की श्रीवृद्धि में एक अभिनव कदम ही है।

संलग्न चित्र: सुरेश चौधरी की पुस्तक – चमत्कृत करती भाषा संस्कृत का लोकार्पण करते हुए (बायें से) रचना सरन, विद्या भंडारी,चन्द्रा प्रहलादका, मृत्युंजय कुमार सिंह, श्रीकांत शर्मा बालव्यास, विश्वंभर नेवर,सोमा बंदोपाध्याय, डॉ बुद्धिनाथ मिश्र, हिंगलाज दान रतनू तथा सुरेश चौधरी.