…बंदूकों की गोली का उत्तर सद्भाव नहीं होता !

…Harmony is not the answer to gunfire!

सुनील कुमार महला

कवि हरिओम पंवार ने अपनी एक कविता में क्या खूब कहा है कि-‘…नागफनी पर बेला चंपा कभी नहीं खिलने वाले।पत्थर की आंखों में आंसू कभी नहीं मिलने वाले।।बंदूकों की गोली का उत्तर सद्भाव नहीं होता।हत्यारों के लिए अहिंसा का प्रस्ताव नहीं होता।‌।कोई विषधर कभी शांति के बीज नहीं बो सकता है‌। और भेड़िया शाकाहारी कभी नहीं हो सकता है।।’पंवार जी यह कविता पाकिस्तान पर बिलकुल सटीक बैठती है, क्यों कि पाकिस्तान वह नागफनी(आतंकवाद) है, जिसको बार-बार समझाने पर भी उसमें कोई बदलाव नहीं आता है। हाल ही में भारतीय सेना ने पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक कर उसे यह संदेश देने का काम किया है कि ‘हत्यारों के लिए अहिंसा का कोई प्रस्ताव नहीं होता है।’ पाठकों को बताता चलूं कि 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के मात्र दो सप्ताह के भीतर भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पीओके के 9 आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की, हम सभी को भारत की इस सख्त कार्रवाई पर गर्व है।पाठक जानते हैं कि ये हमले मंगलवार- बुधवार की दरम्यानी रात(6-7 मई 2025) को बहावलपुर, मुरीदके, बाघ, कोटली और मुजफ्फराबाद में किए गए। पहले भारत की पाकिस्तान पर वाटर स्ट्राइक, बाद में वीजा रद्द और अब ‘ऑपरेशन सिंदूर’, यह सब दर्शाता है कि भारत किसी भी हाल और परिस्थितियों में आतंकवाद और आतंकियों को नेस्तनाबूत करके छोड़ेगा। भारत की आतंकवाद के प्रति नीति हमेशा हमेशा से ‘जीरो टोलरेंस’ यानी कि ‘शून्य सहनशीलता’ की रही है। पाठक जानते होंगे कि बैसरन घाटी जिसे ‘मिनी स्विटज़रलैंड’ के नाम से भी जाना जाता है, 22 अप्रैल, 2025 की दोपहर को अचानक गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठी थी और इस दौरान कुछ आतंकियों ने मिलकर घाटी की खूबसूरती को पर्यटकों के खून से रंग दिया था। इस कायरतापूर्ण आतंकी हमले में जहां 26 लोगों की मौत हो गई थी वहीं, 16 लोग घायल भी हुए थे। भारत ने इसी का बदला लेते हुए आतंकवाद और आतंकियों के खिलाफ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम दिया है और अब पाकिस्तान भारत की इस कार्रवाई के बाद तिलमिला रहा है। भारतीय सेना ने रात करीब दो बजे ‘ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, और पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर(पीओके) में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। यहां पाठकों को बताता चलूं कि पहलगाम में आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने की कसम खाई थी और उन्होंने यह बात कही थी कि उनका ‘दुनिया के अंत तक’ पीछा किया जाएगा। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि 29 अप्रैल, 2025 को सुरक्षा समीक्षा बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने सशस्त्र बलों को ‘ऑपरेशनल फ्रीडम’ प्रदान करते हुए यह बात कही थी कि ‘थल सेना, नौसेना और वायुसेना को आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के लिए किसी भी प्रकार की बाधा नहीं होगी। भारत आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर अडिग है और सेनाएं इस खतरे को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए स्वतंत्र हैं।’

बहरहाल, पाठकों को बताता चलूं कि भारतीय सेना ने एक पोस्ट में लिखा थाः ‘प्रहाराय स्नहिताः, जब प्रशिक्षिताः।’ यानी कि ‘हमला करने के लिए तैयार, जीतने के लिए प्रशिक्षित।’ यहां यह उल्लेखनीय है कि भारतीय सेना द्वारा एयर स्ट्राइक के बाद सीमा पार अफरा-तफरी का माहौल बन गया, लेकिन इस ऑपरेशन के दौरान भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों को टारगेट नहीं किया गया। वास्तव में इस संदर्भ में भारतीय सेना ने संयम का परिचय दिया।वास्तव में भारत इस कार्रवाई का असल मकसद आंतक को खत्म करना है, न कि पड़ोसी मुल्क के साथ संघर्ष को बचाना। गौरतलब है कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े एक संगठन ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट'(टीआरएफ) ने ली थी और भारत की एयर स्ट्राइक से लश्कर का मुख्यालय मिट्टी में मिल गया, तथा जैश के ठिकाने तबाह हो गए। दरअसल, भारतीय वायुसेना के हमलों में जैश-ए-मोहम्मद के 4, लश्कर-ए-तैयबा के 3 और हिज्बुल मुजाहिदीन के 2 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान के बहावलपुर से लेकर पीओके के कोटली तक आतंकियों के ठिकाने ध्वस्त कर दिए गए हैं।सच तो यह है कि भारत ने अपने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के लिए पाकिस्तान के 100 किलोमीटर के दायरे में आतंकियों के 9 ठिकानों पर हमला कर उन्हें तबाह कर दिया। वास्तव में सबसे बड़ा हमला बहावलपुर में किया गया, जो अंतरराष्ट्रीय सीमा से करीब 100 किमी अंदर स्थित है और यहां पर जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय है।सांबा सेक्टर की सीमा से 30 किमी अंदर मुरीदके में भी लश्कर-ए-तैयबा का कैंप था,उसे भी भारतीय सेना द्वारा जमीन में मिला दिया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स बतातीं हैं कि तीसरा हमला गुलपुर में किया गया।पीओके के तंगधार सेक्टर में 30 किमी के अंदर सवाई जहां लश्कर का कैंप था, उसे भी निशाना बनाया गया है।यह कैंप 20 अक्टूबर 2024 को सोनमर्ग, 24 अक्टूबर 2024 को गुलमर्ग और 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम हमले के लिए जिम्मेदार है। भारतीय सेना ने बिलाल कैंप( जैश-ए-मोहम्मद का लॉन्चपैड), लश्कर कोटली कैंप (लश्कर का बमबारी प्रशिक्षण केंद्र),बरनाला और सरजाल कैंप(जैश का कैंप) और महमूना कैंप (हिज्बुल मुजाहिदीन का ट्रेनिंग सेंटर) को निशाना बनाया और आतंकियों और पाकिस्तान को ‘छठी का दूध’ याद दिला दिया। पाकिस्तान को यह याद रखना चाहिए कि भारत ने अपनी एयर स्ट्राइक आतंकवाद और आतंकियों पर की है और भारत का मकसद हमेशा-हमेशा से शांति, सद्भाव, अहिंसा, भाईचारे और इंसानियत के पाठ पढ़ाने का रहा है, (युद्ध का कभी नहीं), ताकि आने वाली नस्लों को जीने के लिए एक बेहतर जगह मिल सके।अंत में बशीर बद्र जी के शब्दों में पाकिस्तान को यही कहूंगा कि-‘सात संदूक़ों में भर कर दफ़्न कर दो नफ़रतें‌।आज इंसाँ को मोहब्बत की ज़रूरत है बहुत।।’