सीता राम शर्मा ” चेतन “
हेलो आदरणीय मुख्यमंत्री जी, सबसे पहले बेहद विपरीत परिस्थितियों में सत्ता के तीन वर्ष पूरा करने की हार्दिक बधाई और बचे हुए आगामी दो वर्ष के कार्यकाल के लिए आपको अशेष शुभकामनाएं ! निःसंदेह जब और जिस तरह आपकी सरकार सत्ता में आई थी, किसी को विश्वास नहीं था कि आपकी सरकार सत्ता बचाते हुए विकास के कुछ बेहतर काम या प्रयास भी कर पाएगी । सत्ता के स्वरुप और साझेदार की आंतरिक चुनौतियों को साधने के साथ प्रारंभिक दौर में ही वैश्विक महामारी कोरोना के लगभग दो विकट वर्षों के कालखंड से सफलतापूर्वक बाहर निकलना निःसंदेह आपकी सरकार की एक बड़ी उपलब्धि थी । जिसके लिए अकाट्य और निर्विवादित रूप से आप प्रशंसा के पात्र हैं । उस मुश्किल दौर में और उससे बाहर निकलने के बाद बीते एक वर्ष में आपने विकास की कुछ अच्छी योजनाएं बनाने और उसे जमीन पर उतारने की प्रतिबद्धता दिखाई । व्यतीत इस तीन वर्षीय कार्यकाल की बात करें तो शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में विकास की प्राथमिकता और प्रतिबद्धता की निरंतर की गई घोषणा एक स्वागत योग्य बात रही है, पर यहां विकास को लेकर बहुत जरूरी तौर पर यह समझने की जरूरत है कि किसी सरकार की विकास की सरकारी प्राथमिकता, प्रतिबद्धता और घोषणाओं के मायाजाल में जनता का बहुत लंबे समय तक टिके या बने रहना मुश्किल और असंभव ही होता है । यदि ऐसा नहीं होता तो आज भी राज्य में रघुवर राज होता और वे तब की तरह आज भी घोषणा मंत्री बने लगभग हर दूसरे दिन किसी बड़ी योजना की घोषणा कर रहे होते । मेरे अनुभव और दृष्टिकोण में वह स्वतंत्र भारत की पहली ऐसी राज्य सरकार थी जिसका मुखिया अपने पंच वर्षीय कार्यकाल में विकास का ढोल पीटता उतनी अनेकानेक घोषणाएं किया हो । गौरतलब है कि डबल इंजन और सुशासन के अर्थ का बंटाधार करने वाली और विकास का हाथी हवा में उड़ाने वाली रघुवर सरकार का हस्र आज किसी से छिपा नहीं है । दो लाख डोभा निर्माण, सरकारी विद्यालयों को उत्कृष्ट बना उनके बच्चों को प्रतिदिन दुध पिलाने, झारखंड को औधोगिक विकास का हब बनाने जैसी अनगिनत विकास की घोषणाओं और योजनाओं से अखबार के पन्नों के साथ सड़क तक का सरकारी विज्ञापनों और बैनरों से भरा होना आज भी हर झारखंडवासी को बखूबी याद है । सार मात्र यह है कि घोषणा कम हो, पर उस पर शत-प्रतिशत पूरी पारदर्शिता और ईमानदारी से अमल हो । उसका शत-प्रतिशत लाभ जनता को मिले और वो भी सुरक्षा और शांतिपूर्ण माहौल में, यह ज्यादा जरुरी है । यदि ऐसा हो तो वही सच्चे मायने में सुशासन होता है । वैसा सुशासन ही जनता के मन-मस्तिष्क में शासन के प्रति भीतर तक उतर जाने वाली दीर्घकालीन विश्वसनीयता को गढ़ता है । रघुवर सरकार सुरक्षा और शांतिपूर्ण व्यवस्था बनाने में तो सफल रही थी पर उसकी योजनाओं और घोषणाओं के क्रियान्वयन में भारी खामियां थी । आपकी सरकार को विकास की बात करते हुए, विकास की योजनानाएं बनाते हुए, विकास योजनाओं की घोषणाएं और उनका निरंतर प्रचार करते हुए पूर्ववर्ती रघुवर सरकार का हस्र याद रखना चाहिए । बहुत स्पष्टता से कहूं तो शिक्षा और स्वास्थ्य, जिन दो क्षेत्रों पर आपकी सरकार दिल्ली की केजरीवाल सरकार की तर्ज पर काम करना चाहती रही है या योजनाएं बना रही है और निरंतर घोषणाएं भी कर रही है, उसके क्रियान्वयन में भारी गड़बड़ी है । चुकी नशामुक्ति अभियान के लिए मैं कई बार राजधानी के कुछ शिक्षण संस्थानों में जाता रहता हूं, इसलिए मैं आपसे यहां एक विनम्र अनुरोध भी करना चाहता हूं कि पूरे राज्य की शिक्षा व्यवस्था में क्रांतिकारी सुधार और मॉडल स्कूल की बात तो दूर राज्य की राजधानी रांची में आपके मुख्यमंत्री आवास के महज दो किलोमीटर के दायरे में आने वाले शिक्षण संस्थानों का हाल ही आप स्वंय देख लें, तो राज्य भर में अपनी सरकार के शैक्षणिक विकास की योजनाओं और घोषणाओं का सच आप बखूबी समझ जाएंगे ! यदि आप चाहें और आदेश दें तो मेरा विनम्र निवेदन है कि राज्य के एक साधारण नागरिक की हैसियत से मैं आपको कुछ या सभी शिक्षण संस्थान का त्रासद सच दिखाना चाहूंगा । रही बात प्रशासनिक भ्रष्टाचार और लापरवाही की तो उसके लिए तो आप राज्य के किसी भी जिले के किसी भी ब्लाक में चलकर घंटे-दो घंटे का समय दें और देखें समझें कि आम जनता किस अव्यवस्था को झेलने के लिए विवश और त्रस्त है !
माननीय मुख्यमंत्री जी, बहुत संक्षिप्त में कहूं तो राज्य में सुशासन का घोर अभाव है । तुष्टीकरण वास्तविकता है और भ्रष्टाचार सर्वव्यापी प्राणवायु की तरह है जिसमें आप अकेले त्वरित आमूलचूल परिवर्तन ला भी नहीं सकते । पर यह भी सच है कि इस अव्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव लाने की सर्वाधिक क्षमता और शक्ति आज आपके ही पास है । आप राज्य सरकार के मुखिया हैं । तीन संकटपूर्ण वर्ष व्यतीत हो चुके, बावजूद इसके दो महत्वपूर्ण और बड़ी समयावधि से भरे वर्ष अब भी शेष हैं, जो सुधार और विकास की जिजीविषा से भरे शासक के लिए कम नहीं होते । बहुत स्पष्टता से अंतिम बात यह कि मतदान की गुप्तता नागरिक अधिकार है, यह जानने के बावजूद यह लिखते कहते हुए मुझे तनिक भी संकोच नहीं हो रहा कि मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार का बहुत हद तक समर्थक, सचेतक और शुभचिंतक होते हुए भी मैंने पिछले विधानसभा चुनाव में रघुवर राज के खिलाफ आपके उम्मीदवार को अपना मत दिया था, अतः विवेकानुसार स्वतंत्र और निष्पक्ष लेखन के अपने कर्म और दायित्व का निर्वाह करते हुए आपकी सरकार से यह अपेक्षा रखता हूं कि वह राज्यहित में अपना सर्वाधिक देने का प्रयास सफलतापूर्वक करे । जिससे राज्य, राज्य की जनता और देश का भला हो सके । जोहार और अशेष शुभकामनाएं !