मानववाद, अंत्योदय व कुशल संगठनकर्ता: नरेंद्र मोदी के 25 वर्ष

Humanism, Antyodaya and Skilled Organiser: 25 Years of Narendra Modi

प्रो. नीलम महाजन सिंह

17 सितंबर 2025 को पीएम नरेंद्र मोदी के जन्मदिन की प्लेटिनम जुबली थी। राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर, सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने पीएम मोदी को 75वें जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं। मेरा परिचय नरेंद मोदी से 1995 में हुआ था। वे भाजपा महासचिव थे व गुजरात के निरीक्षक थे। उनक भाजपा के संगठनात्मक कार्य में महत्वपूर्ण योगदान है। यह महत्वपूर्ण है कि डोनाल्ड ट्रम्प, व्लादिमीर पुतिन व शी जिनपिंग जैसे शक्तिशाली विश्व नेताओं ने भी 25 वर्षों तक निर्बाध शासन नहीं किया। नरेंद्र मोदी के 13 वर्ष गुजरात का मुख्य मंत्री व 12 वर्ष से प्रधान मंत्री रहना, कोई साधारण उपलब्धी नहीं है। न केवल भारतीय जनता पार्टी, बल्कि विपक्षी नेता व विश्व हस्तियां भी इस सफलता का श्रेय लगातार मोदी के करिश्माई राजनीतिक व सामाजिक नेतृत्व को देती हैं। हालांकि, इसे केवल 11 वर्षों की उपलब्धि के रूप में देखने के बजाय, मोदी के 25 वर्षों के शासन व सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए उनके दीर्घकालिक दृष्टिकोण के परिणामों पर विचार किया जाना चाहिए। 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के बाद से, नरेंद्र मोदी ने शासन की पुरानी शैली को बदलते हुए विभिन्न क्षेत्रों में विकास कार्यक्रमों की एक श्रृंखला शुरू की। शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, आवास, सड़क, पानी, बिजली, कृषि, व्यापार एवं उद्योग में चुनौतियों पर काबू पाने और विकास को गति देने के उनके प्रयासों से लाखों भारतियों को लाभ हुआ है। भारत, वैश्विक आर्थिक दौड़ में चौथे स्थान पर पहुंच गया है, व अनुमान है कि 2047 तक ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य की ओर तेजी से आगे बढ़ने के लिए प्रयास किये जायेंगें । आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में, हाल के अभियानों, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने आतंकवादी ठिकानों को सफलतापूर्वक नष्ट किया व पाकिस्तान के सैन्य हवाई अड्डों को निशाना बनाया, जिससे भारत की मज़बूत सुरक्षा व्यवस्था का प्रदर्शन हुआ। पहलगाम में पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा पर्यटकों पर धार्मिक रूप से प्रेरित हमले का जवाब, चिनाब नदी पर बने दुनिया के सबसे ऊँचे रेलवे पुल के उद्घाटन के रूप में सामने आया। इसने जम्मू-कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से रेल द्वारा जोड़ा, जिससे लाखों भारतीयों के लिए यात्रा सुगम हुई है। नरेंद्र मोदी ने संतोष व्यक्त किया है कि पिछले 11 वर्षों में उनकी सरकार द्वारा उठाये गये कदम सेवा, सुशासन व गरीबों के कल्याण के लिए समर्पित रहे हैं। पीएम मोदी के अनुसार, “इस अवधि के दौरान हमारी उपलब्धियाँ अभूतपूर्व हैं और 1.4 अरब भारतीयों के जीवन को आसान बनाया गया है। मुझे विश्वास है कि हमारे निरंतर प्रयासों से, हम एक विकसित और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को अवश्य प्राप्त करेंगे।” नरेंद्र मोदी ने, लाल कृष्ण आडवाणी द्वारा की ‘राम रथ यात्रा’ का संयोजन किया। इसी काल में ‘कमल का फूल’ उत्तर भारत में खिला। वे अडवाणी के मुख्य सलाहाकार थे। गुजरात के प्रशासन को ‘मॉडर्न राज्य प्रोजेक्ट’ करने में वे सफल रहे। 2014 में भारतीय जनता पार्टी के अधिवेशन में, मनोहर परिकर, अरुण जेटली, राजनाथ सिंह, आनंद कुमार, वेंकैया नायडू, नितिन गडकरी ने आकस्मिक निर्णय ले कर, नरेंद्र मोदी का नाम ‘प्रधान मंत्री’ के लिए घोषित किया। स्वाभाविक रूप से अडवाणी खेमा तिलमिला उठा, परंतु सुषमा स्वराज को भी नरेंद मोदी का ही साथ देना पड़ा। कॉंग्रेस कमज़ोर विकेट पर थी और ‘परिवर्तन’ की आवाज़ गूंज रही थी। उस समय प्रशांत किशोर ने, ‘हर हर मोदी, घर घर मोदी’, ‘अच्छे दिन आने वाले हैं’, ‘विदेशों से काल धन वापिस लाना’, ‘सभी के खातों में 15 लाख रुपये डालने’, जैसे वायदों ने भारतीय जनता को एक नवीन विश्वास की कल्पना दी। इससे नरेंद्र मोदी केंद की सत्ता में आए व प्रधान मंत्री बने। ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना’ के तहत, मुफ़्त मासिक राशन उपलब्ध कराया जाने लगा। अनेक ऐसी योजनाओं को घोषित किया गया जो, पंक्ति के अंतिम स्थान पर खड़े…. को लाभान्वित कर रहीं थीं। अर्थिक सहायता सीधे नागरिकों के बैंक खातों में स्थानांतरित की गई। ‘आयुष्मान भारत योजना’ के तहत, अस्पतालों में निःशुल्क देखभाल उपलब्ध हुई। प्रगति के साथ-साथ, नए इतिहास रचे जा रहे हैं। ‘डिजिटल इंडिया’, ‘मेक इन इंडिया’ जैसी तकनीकी प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दिया गया, जिससे भारत की वैश्विक पहचान मज़बूत हुई। राष्ट्रीय सुरक्षा को मज़बूत करना पीएम नरेंद्र मोदी का मुख्य उद्देश्य है। भारत के दीर्घकालिक विकास के लिए, शिक्षा व स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इस संबंध में नई शिक्षा नीति (एनईपी – National Education Policy) लागू करने के बाद, मोदी सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। पिछले एक दशक में भारत में उच्च शिक्षा के बुनियादी ढांचे में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है। उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण के अनुसार, उच्च शिक्षा संस्थानों की संख्या में 13.8% की वृद्धि हुई है—2014-15 में 51,534 से बढ़कर मई 2025 तक 70,683 से अधिक हो गई। विश्वविद्यालयों की संख्या 760 से बढ़कर 1,334 और कॉलेजों की संख्या 38,498 से बढ़कर 51,959 हो गई। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) जैसे प्रमुख संस्थानों में भी उल्लेखनीय विस्तार हुआ है। 2014 से, आईआईटी की संख्या 16 से बढ़कर 23, आईआईएम की संख्या 13 से बढ़कर 21 और एम्स की संख्या 7 से बढ़कर 23 हो गई है—जो तीन गुना से भी ज़्यादा है। मेडिकल कॉलेजों की संख्या 387 से बढ़कर 2,045 से ज़्यादा हो गई है, जो 2024 तक कुल मिलाकर 1,90,000 से ज़्यादा मेडिकल सीटें प्रदान करेंगे। स्कूली शिक्षा को और मज़बूत बनाने के लिए, सितंबर 2022 में ‘पीएम स्कूल्स फॉर राइजिंग इंडिया’, ‘पीएम-श्री योजना’ शुरू की गई, जिसका केंद्रीय बजट पाँच वर्षों में 27,360 करोड़ रुपये है। इस योजना का उद्देश्य 14,500 स्कूलों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (National Education Policy) के विज़न के अनुरूप आदर्श संस्थानों में उन्नत करना है। ‘कौशल विकास’ भारत की युवा सशक्तिकरण रणनीति का केंद्र रहा है। 2015 में ‘स्किल इंडिया मिशन’ की शुरुआत के बाद से, 1.63 करोड़ से ज़्यादा युवाओं ने विभिन्न कौशल क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्राप्त किया है। ‘आयुष्मान भारत’ व “जन औषधि योजनाओं’ से 10 करोड़ से ज़्यादा लोग लाभान्वित हुए हैं। ‘स्मार्ट सिटी’ के तहत अयोध्या, सोमनाथ, काशी, मथुरा और उज्जैन जैसे शहरों का सौंदर्यीकरण, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक केंद्रों के रूप में किया गया है, जिससे भावनात्मक एकता को बढ़ावा मिला है। तीनों सेनाओं के आधुनिकीकरण व हथियारों के स्वदेशी उत्पादन के माध्यम से भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को मज़बूत किया जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप रिकॉर्ड तोड़ उपलब्धियाँ हासिल हुई हैं। भारत अपनी रक्षा ज़रूरतों को पूरा करने के लिए, बल्कि वैश्विक हथियार निर्यात बाज़ार में विकसित देशों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए भी तैयार है। फ्रांस से ‘राफेल लड़ाकू विमान’ खरीदे जा चुके थे और राफेल निर्माता कंपनी ‘डसॉल्ट एविएशन’ अब हैदराबाद में एक संयंत्र स्थापित कर रही है। टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स के सहयोग से, यह संयंत्र विमान के धड़ों (राफेल जेट के ढाँचे) का उत्पादन करेगा। डसॉल्ट ने कहा कि यह पहल भारत की एयरोस्पेस निर्माण क्षमताओं को मज़बूत करेगी और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुव्यवस्थित करेगी। मोदी सरकार में ‘प्राइवेट पार्टनरशिप’ से अर्थिक सक्षमता प्राप्त हुई. गुजरात के तीन बार मुख्यमंत्री रहने के अपने शुरुआती दिनों से लेकर दो बार प्रधानमंत्री बनने v अब अपने तीसरे कार्यकाल में) तक, मोदी ने आर्थिक सुधार, स्वच्छता, बुनियादी ढाँचे और पर्यावरण संरक्षण जैसे प्रमुख क्षेत्रों में परिवर्तनकारी बदलावों का नेतृत्व किया है। उनके ‘गुजरात मॉडल’ ने कई पहलुओं को प्रेरित किया जिन्हें बाद में पूरे देश में लागू किया गया। भारत के प्रधानमंत्री के रूप में, मोदी ने विरासत को संरक्षित रखा। कई कल्याणकारी कार्यक्रम, जैसे ‘सुजलाम सुफलाम जल अभियान’ के माध्यम से जल संरक्षण, ‘ज्योतिग्राम योजना’ के तहत बिजली की पहुँच व ‘निर्मल गुजरात अभियान’ के माध्यम से स्वच्छता में सुधार हुआ। बाद में इन कार्यक्रमों का राष्ट्रीय स्तर पर विस्तारित किया गया, जिससे ‘जल जीवन मिशन’, ‘सौभाग्य योजना’ व ‘स्वच्छ भारत मिशन’ पर प्रभाव पड़ा। जन भागीदारी व जनहितैषी शासन, नरेंद्र मोदी के प्रमुख कार्यक्रम हैं। ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ (समावेशी विकास के लिए सामूहिक प्रयास) के रूप में विकसित हुए। विकास व विरासत का संतुलन, पीएम मोदी के शासन का चिन्ह है। आधुनिकीकरण व सांस्कृतिक संरक्षण के बीच संतुलन बनाने पर ध्यान केंद्रित है। ‘काशी विश्वनाथ कॉरिडोर’, राम मंदिर निर्माण व 640 से अधिक कलाकृतियों को भारत वापिस लाने जैसी परियोजनाएँ, विरासत संरक्षण के बीच सामंजस्य स्थापित करने के, उनके प्रशासन के प्रयासों को दर्शाती हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान, ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना’ से लाखों लोगों के लिए जीवन रेखा बन गई। ‘स्वच्छ भारत मिशन’, स्वच्छता में जागरूकता और शौचालय निर्माण किए गए। महिलाओं और किसानों का सशक्तिकरण, ‘नमो ड्रोन दीदी’ और ‘प्रधानमंत्री सम्मान निधि’: महिलाओं व किसानों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से पीएम मोदी की पहल ने आधुनिक कृषि तकनीकों को बढ़ावा दिया व महिला उद्यमियों को सूक्ष्म वित्त सहायता प्रदान की, जिससे ‘स्टैंड-अप इंडिया’ की रूपरेखा तैयार हुई। वैश्विक मंच पर भारत, जीवन शक्ति आंदोलन व सतत विकास अंतर्राष्ट्रीय मोर्चे पर, मोदी ने भारत को विकास में अग्रणी के रूप में स्थापित किया। COP: 26 में, उन्होंने जीवन शक्ति (पर्यावरण के लिए जीवनशैली) आंदोलन की शुरुआत की, जिसमें समुदायों से जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं को अपनाने का आग्रह किया गया। 2047 तक स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे होने पर, भारत को एक विकसित राष्ट्र के रूप में देखा जा सकता है। ‘विकसित भारत’ – नरेंद्र मोदी का दृष्टिकोण, दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों को समाहित करता है। जैसे-जैसे भारत आगे बढ़ेगा, विकसित स्थिति की ओर बढ़ने के लिए निरंतर सुधारों, नवाचार व समावेशी शासन की आवश्यकता होगी। सारांशार्थ यह कहा जा सकता है कि राजनीतिक सफलता तो जन समर्थन से ही सम्भव है। स्वाभाविक है कि विश्व के सबसे अधिक आबादी के देश में, गरीबी उन्मूलन मुख्य मुद्दा है। फ़िर शत प्रतिशत सफलता प्राप्त होना भी सम्भव नहीं है। जहां एक व्यक्ति, अकेले ही अपने संघर्ष से, गरीबी को चीरता हुआ, मुख्य मंत्री से प्रधान मंत्री बन जाए, यह वस्तुतः एतिहासिक व युवा पीढ़ी के लिए उदाहरणार्थ है। महिला सशक्तिकरण व महिला सुरक्षा के लिए पीएम नरेंद्र मोदी को कड़े कदम उठाने होंगें। माँ हीरा बहन मोदी की आराधना करने वाले, नारी सुरक्षा व सम्मान के लिए तटस्थ, नारी सुरक्षा मुख्य मुद्दा है। राजनीतिक मनभेद नहीं बनें, इसकी ओर उन्हें ध्यान देना होगा। ज्योत से ज्योत जल कर प्रकाश देती है। यदि हम सभी संगठित होकर भारत के विकास के लिए प्रतिबद्ध हों तो भारत ‘सोने की चिड़िया’ बन सकता है। पीएम नरेंद्र मोदी ‘एकात्म मानववाद एवं अंत्योदय दर्शन’ के प्रणेता व कुशल संगठनकर्ता साबित हुए हैं। सभी का लक्ष्य व योगदान ‘राष्ट्र निर्माण’ होना चाहिए।