पटाखों पर बैन लगने का रास्ता साफ तो बाकी प्रदुषण कैसे रुकेगा?

If the way to ban firecrackers is clear then how else will pollution be stopped

अशोक भाटिया

सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण को लेकर शुक्रवार को कड़ी टिप्पणी की. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बी.आर. गवई ने कहा कि अगर दिल्ली-एनसीआर (एनसीआर) के लोगों को स्वच्छ हवा का अधिकार है, तो दूसरे शहरों के निवासियों को क्यों नहीं? उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रदूषण नियंत्रण की नीतियां सिर्फ राजधानी तक सीमित नहीं रह सकतीं, बल्कि पैन-इंडिया स्तर पर लागू होनी चाहिए.बेंच की सुनवाई के दौरान, जिसमें जस्टिस के. विनोद चंद्रन भी शामिल थे, सीजेआई बी.आर. गवई ने पटाखा निर्माताओं की उस याचिका पर विचार किया, जिसमें दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री और निर्माण पर पूरे साल के लिए लगे प्रतिबंध को चुनौती दी गई थी. बेंच ने कहा, “हम दिल्ली के लिए अलग नीति नहीं बना सकते, सिर्फ इसलिए क्योंकि वहां देश का संभ्रांत वर्ग रहता है.” सीजेआई ने व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए बताया, “मैं पिछले साल सर्दियों में अमृतसर गया था. वहां प्रदूषण की स्थिति दिल्ली से भी बदतर थी. अगर पटाखों पर प्रतिबंध लगाना है, तो यह पूरे देश में लगना चाहिए.”

कोर्ट ने यह टिप्पणी तब की जब एमिकस क्यूरिए एडवोकेट अपराजिता सिंह ने दिल्ली में सर्दियों के दौरान प्रदूषण की भयावह स्थिति का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि दिल्ली एक लैंडलॉक्ड शहर है, जहां हवा में प्रदूषक फंस जाते हैं, जिससे स्थिति चोकिंग लेवल तक पहुंच जाती है. लेकिन, सिंह ने स्वीकार किया कि एलीट वर्ग प्रदूषण के चरम दिनों में शहर छोड़ देता है.कोर्ट ने सवाल उठाया कि क्या नीतियां सिर्फ अमीरों के लिए बनाई जा रही हैं? बेंच ने स्पष्ट किया कि सभी नागरिकों को स्वच्छ हवा का समान अधिकार है, चाहे वे किसी भी शहर में रहें. इसी सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने एक अन्य याचिका पर एक्शन लिया, जिसमें पटाखों पर पूरे देश में प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी. कोर्ट ने कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (सीएक्यूएम) को नोटिस जारी किया और दो हफ्तों में जवाब मांगा. यह नोटिस दिल्ली-एनसीआर में मौजूदा प्रतिबंध के खिलाफ दायर याचिकाओं के संदर्भ में भी जारी किया गया.

गौरतलब है कि अदालतें इससे पहले भी कई बार प्रदूषण पर टिप्पणी कर चुकी हैं। साल 2022 में कोर्ट ने कहा था, किसी भी बहाने से पटाखों पर रोक नहीं हटाई जा सकती है। जबकि 2021 में इसी प्रकार की एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, सांस लेना प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है और मौलिक अधिकारों से छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए।इस तरह प्रदूषण रोकने को लेकर 2020 में एक याचिका पर कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था, प्रदूषण रोकना हमारी संवैधानिक जिम्मेदारी है। कोर्ट ने लोगों से प्रदूषण कम फैलाने की गुजारिश भी की थी। 2018 में पटाखों पर बैन के संबंध में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सिर्फ ग्रीन पटाखे इस्तेमाल करने को कहा था। कोर्ट ने कहा, जीवन और स्वास्थ्य सबसे ऊपर, परंपरा से अहम है।

देखा जाय तो राजधानी दिल्ली के साथ पूरे देश में प्रदूषण की चर्चा हमेशा होती है, जैसे वाहनों से होने वाला प्रदूषण, कटाई के बाद हरियाणा के खेतों में पाली जलाने से होने वाला प्रदूषण, दिवाली और दशहरा आने पर पटाखों से होने वाला प्रदूषण।क्या देश के अन्य हिस्सों में लोग प्रदूषण से पीड़ित नहीं हैं? इनमें से कई सवाल आम जनता द्वारा उठाए जाते हैं, और सुप्रीम कोर्ट के कई न्यायाधीश पद से आए और चले गए, लेकिन किसी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया है, शायद वे इसकी ओर आकर्षित नहीं हुए हैं। लेकिन भारत के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई ने पटाखों के प्रदूषण पर सुनवाई के दौरान अप्रत्यक्ष रूप से पटाखों के प्रदूषण के मुद्दे को उठाने की कोशिश की है।डिस्ट्रीब्यूटर्स और कंज्यूमर सुनवाई पर ध्यान दे रहे हैं। गवई ने प्रतिबंध पर अपनी मजबूत राय व्यक्त की, खासकर जब प्रतिबंध याचिका केवल राजधानी दिल्ली में सुनवाई के लिए आई थी। यह प्रतिबंध केवल दिल्ली के लिए ही क्यों है? अगर दिल्ली को साफ हवा का अधिकार है, तो दूसरे शहरों के नागरिकों को भी यही अधिकार क्यों नहीं मिल सकता? भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि दिवाली के कारण पटाखों से होने वाले धुएं और पंजाब और हरियाणा राज्यों में हर साल बर्तन जलाने से होने वाले धुएं के कारण राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण वायु प्रदूषण की एक बड़ी समस्या है। इस मांग को लेकर एक याचिका दायर की गई है और इस पर सुनवाई हो रही है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट में याचिका सिर्फ दिल्ली के लिए दायर की गई है, लेकिन पटाखों पर प्रतिबंध सिर्फ दिल्ली के लिए लागू नहीं किया जा सकता है।

दिल्ली के नागरिकों को देश का संभ्रांत मानते हुए हम केवल दिल्ली के लिए पटाखों पर प्रतिबंध लगाने की नीति नहीं बना सकते। उन्होंने कहा कि अमृतसर में वायु प्रदूषण दिल्ली से भी बदतर है। अगर पटाखों पर प्रतिबंध लगाना है तो इसे पूरे देश में लागू किया जाना चाहिए। भले ही राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सांसद और अन्य लोग राजधानी में रह रहे हों, लेकिन देश के सभी हिस्सों में प्रदूषण के बारे में गंभीरता से सोचने का समय आ गया है।इसके कारण हवा और पानी में बढ़ता प्रदूषण जीवित जीवों के अस्तित्व पर सवाल उठा रहा है। पटाखे प्रदूषण का हिस्सा हैं न कि प्रदूषण की जड़। पटाखे केवल एक निश्चित अवधि के लिए फटे जाते हैं, इसलिए त्योहारों के दौरान पटाखे फोड़ने से होने वाला प्रदूषण क्षणिक और केवल थोड़े समय के लिए होता है।

लेकिन रासायनिक उद्योगों, कारखानों और वाहनों की बढ़ती संख्या के कारण गलियों और गलियों में बढ़ते प्रदूषण की समस्या लंबे समय से मौजूद है। अगर कोई ठोस समाधान मिल जाए तो न केवल राजधानी दिल्ली में बल्कि देश में भी प्रदूषण की समस्या का समाधान संभव हो सकेगा। राष्ट्र के सामने कोई अन्य समस्या नहीं बची होनी चाहिए। अभी तक प्रदूषण की चर्चा सिर्फ दिल्ली में ही होती है। दिल्ली में ऑड-ईवन पार्किंग और सड़कों पर ऑड-ईवन नंबर वाले वाहनों को लाने जैसे फैसले तुरंत लिए जाते हैं।भारत के चीफ जस्टिस भूषण गवई के इस रुख का देश के कोने-कोने में स्वागत हुआ है, देश के सामान्य मानवी की भूमिका मौजूदा व्यवस्था के जौहरी के कान छिदवाने जैसी है,

देश की नदियां प्रदूषित हो गई हैं, गंगा की सफाई में करोड़ों रुपए खर्च हुए हैं, देश के कोने-कोने में बहने वाली दूसरी नदियां कब साफ होंगी? ये नदियां कब तक प्रदूषण की छाप के साथ बहती रहेंगी? अगर ऑड-ईवन पार्किंग सिस्टम से राजधानी दिल्ली में वाहन पार्किंग की समस्या का समाधान होने वाला है तो अगर सड़कों पर ऑड-ईवन नंबर प्लेट वाले वाहनों को लाकर प्रदूषण को नियंत्रित करना है तो इस फॉर्मूले को देश के कोने-कोने में लागू करना जरूरी है। यह होना चाहिए। भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कड़ा रुख अपनाते हुए सभी की आंखों में काफी रोशनी डाली है।

पटाखों के बैन को लेकर उसके पक्षधर भी कम नहीं है . पर्यावरण मंत्री मंजिंदर सिंह सिरसा ने दिवाली पर पटाखों के बैन को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा सिर्फ दिल्ली में पटाखों पर रोक लगाना दिल्लीवासियों के त्योहार मनाने के अधिकार को सीमित कर देगा। दिल्लीवासी जागरूक हैं, वे जानते हैं कि खुद और बच्चों के स्वास्थ्य के लिए क्या सही है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट को ऐसा संतुलित तरीका निकालना चाहिए जिससे त्योहार का मजा भी रहे और पर्यावरण सुरक्षित हो।

पर्यावरण मंत्री ने शनिवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि कोई संतुलित उपाय निकाला जाए, जिससे लोग त्योहार का आनंद ले सकें और पर्यावरण की रक्षा भी हो। उनका ये बयान सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री, स्टोरेज, परिवहन और निर्माण पर पूरी तरह बैन के आदेश को बदलने की मांग वाली याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आया है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई में कहा है कि अगर पटाखों पर बैन लगाना है, तो पूरे देश में लगना चाहिए। साफ हवा का अधिकार सिर्फ दिल्ली-एनसीआर तक सीमित नहीं होना चाहिए।