भारत की वाटर स्ट्राइक का पाकिस्तान पर असर !

Impact of India's water strike on Pakistan!

सुनील कुमार महला

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को स्‍थगित करने के बाद अब चिनाब नदी पर बने बग‍लिहार बांध के माध्‍यम से पानी के प्रवाह को रोक दिया है। वास्तव में कूटनीतिक तौर पर पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए भारत की ओर से उठाया गया यह सबसे बड़ा कदम माना जा रहा है।अब पाकिस्तान को निश्चित ही इससे सबक मिल सकेगा। कहना ग़लत नहीं होगा कि भारत की ओर की गई यह ‘वाटर स्ट्राइक’ पाकिस्तान को बुरी तरह से तोड़ कर रख देगी।इतना ही नहीं, सूत्रों के हवाले से यह भी सामने आ रहा है कि भारत झेलम नदी पर बने किशनगंगा बांध को लेकर भी इसी तरह के कदम उठाने की योजना बना रहा है। हाल फिलहाल चिनाब प्रवाह को रोकने से एक ओर जहां पर पाकिस्‍तान का कृषि उत्‍पादन और बिजली बनाने की क्षमता प्रभावित होगी, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान में इससे पीने के पानी की समस्या पैदा होगी तथा अनेक लोगों की आजीविका भी संकट में आ जाएगी। दरअसल,पाकिस्तान की लगभग 80% से अधिक कृषि भूमि सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों पर ही निर्भर है। सिंधु नदी प्रणाली से उसे कुल मिलाकर 93% पानी मिलता है, जिसका वह उपयोग खेती, पीने के पानी और बिजली उत्पादन के लिए करता है। ऐसे में भारत द्वारा पानी रोकने का फैसला पाकिस्तान के लिए बहुत बड़ा झटका है। दूसरे शब्दों में कहें तो पाकिस्तान की जल-आधारित अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार सिंधु नदी ही है, क्यों कि इसी की मदद से पाकिस्तान 93% पश्चिमी नदियों के पानी का इस्तेमाल करता है और 80% कृषि भूमि इसी जल पर निर्भर है। वास्तव में पाकिस्तान के हजारों-लाखों लोगों की रोजी-रोटी(आजीविका), शहरों का जल आपूर्ति नेटवर्क और हाइड्रो पावर उत्पादन इसी प्रणाली पर टिका हुआ है। यहां पाठकों को जानकारी देना चाहूंगा कि सिंधु जल समझौते पर, साल 1960 में भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने हस्ताक्षर किये थे। दरअसल, यह विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुआ एक ऐतिहासिक करार था और इसका उद्देश्य भारत और पाकिस्तान के बीच जल संसाधनों को लेकर भविष्य में टकराव से बचना था। गौरतलब है कि इस संधि के अंतर्गत रावी, सतलुज, ब्यास का अधिकार भारत को मिला तथा सिंधु, चिनाब, झेलम का नियंत्रण पाकिस्तान को सौंपा गया था। हालांकि, इसके तहत भारत को सीमित सिंचाई, विद्युत उत्पादन और घरेलू उपयोग की छूट मिली। बहरहाल, उल्लेखनीय है कि भारत ने इससे पहले साल 1965, 1971(भारत पाकिस्तान युद्ध) और 1999(कारगिल युद्ध) की लड़ाइयों के बावजूद कभी सिंधु जल संधि को सस्पेंड नहीं किया था, यहां तक कि पुलवामा हमले के बाद भी इस संधि को भारत द्वारा जारी रखा गया था, लेकिन इस बार केंद्र सरकार ने पाकिस्तान के समक्ष यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत सरकार की आतंकवाद के प्रति नीति ‘शून्य सहनशीलता'(जीरो टोलरेंस) की है और अब आतंकी हमलों पर नरमी नहीं बरती जाएगी तथा रणनीतिक संसाधनों का इस्तेमाल भी हथियार के रूप में किया जा सकता है।यहां पाठकों को यह भी बताता चलूं कि बगलिहार बांध दोनों पड़ोसियों के बीच लंबे समय से विवाद का विषय रहा है, और पाकिस्तान इस मामले में विश्व बैंक की मध्यस्थता की मांग भी कर चुका है।पाकिस्तान को किशनगंगा बांध को लेकर भी खासकर झेलम की सहायक नदी नीलम पर इसके प्रभाव के कारण आपत्ति है। बहरहाल, कहना ग़लत नहीं होगा कि भारत द्वारा सिंधु जल संधि के निलंबन के बाद चिनाब नदी का पानी रोकना हो, आयात पर रोक हो, मेल व पार्सल सेवाओं का निलंबन हो या पाकिस्तानी जहाजों पर प्रतिबंध, ये सब दर्शाते हैं कि अब भारत पाकिस्तान को एक सुविचारित व प्रबल/सख्त नीति के तहत हर तरह से कमजोर कर रहा है और सीधे युद्ध की बजाय यह पाकिस्तान पर एक कड़ा प्रहार है। पाठकों को बताता चलूं कि हाल फिलहाल भारत के इस कदम के बाद पाकिस्तान में हड़कंप मच गया है और पाकिस्तानी नेताओं ने इसे ‘जंग का ऐलान’ बताया है। यहां तक कि पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने तो यहां तक कहा है कि , ‘या तो सिंधु नदी में हमारा पानी बहेगा या उनका खून।’ इतना ही नहीं,भारत द्वारा बगलिहार डैम से पानी रोकने के बाद पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने भी संसद में यह बात कही है कि-‘यदि भारत सिंधु जल संधि के तहत पाकिस्तान के पानी के साथ कोई छेड़छाड़ करता है, तो यह युद्ध के समान होगा।’ पाठकों को बताता चलूं कि उन्होंने यह भी कहा कि-‘ यह 24 करोड़ पाकिस्तानी नागरिकों की जिंदगी का मामला है और पाकिस्तान इस पर माकूल जवाब देगा।’इतना ही नहीं , इस संबंध में डार ने सऊदी अरब, यूएई, चीन, तुर्की समेत कई देशों के विदेश मंत्रियों से बात कर पाकिस्तान का पक्ष भी रखा है।भारत ने बिलावल भुट्टो के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है और यह बात कही है कि आतंकवाद का समर्थन करने वालों को अब खामियाजा भुगतना होगा। बहरहाल, पाठकों को बताता चलूं कि पहलगाम आतंकी हमले को लेकर एनआईए की शुरुआती जांच में पाकिस्तान के हाथ होने के प्रमाण मिले हैं और भारत ने अब पाकिस्तान से सीधे युद्ध की बजाय सिंधु, चिनाब का जल रोकने समेत अनेक सख्त फैसले लिए हैं,जो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की रीढ़ को तोड़ने के लिए काफी हैं। भारत की ओर से ये कार्रवाइयां राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति भारत की दृढ़ता को तो दिखाती ही हैं, इनके जरिये पाकिस्तान को यह भी स्पष्ट संदेश दिया गया है कि उसे आतंकवाद को पनाह देने की कीमत चुकानी पड़ेगी। पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान लगातार नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर सीजफायर का लगातार उल्लंघन कर रहा है और इससे उसकी बौखलाहट साफ़ नज़र आ रही है कि वह कदर घबराया हुआ है। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तानी सेना ने 24 अप्रैल से शुरू हुए इन सीजफायर उल्लंघनों को कुपवाड़ा और बारामूला से लेकर पुंछ, नौशेरा और अखनूर तक अंज़ाम दिया है और भारतीय सेना ने हर बार मुंहतोड़ जवाब देते हुए यह संदेश भी दिया है कि भारत किसी भी हाल और परिस्थितियों में अपनी संप्रभुता और सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा और आतंकियों और आतंकवाद को मुंहतोड़ जवाब देगा। पाकिस्तान एक ओर तो भारत को उकसाने के लिए शाहीन, गजनवी और अब्दाली जैसी मिसाइलों का परीक्षण कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ, उसके मंत्री और अधिकारी लगातार भारत पर परमाणु हमले की भी गीदड़भभकियां दे रहे हैं। बहरहाल, कहना ग़लत नहीं होगा कि आज पाकिस्तान का असली चेहरा पूरी दुनिया के सामने आ चुका है और यह साबित हो चुका है कि पाकिस्तान दुनिया का एक ऐसा राष्ट्र है जो आतंकवाद और आतंकियों(जिहादी मानसिकता)को प्रश्रय देता आया है और वह पूर्णतया विदेशी कर्ज पर निर्भर है। अंत में यही कहूंगा कि यह ठीक है कि पहलगाम हमले के बाद से भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ अनेक सख्त और कड़े कदम उठाए हैं,जो पाकिस्तान को आर्थिक और कूटनीतिक, दोनों स्तरों पर क्षति पहुंचाने वाले हैं, लेकिन यह भी सत्य है कि प्रत्यक्ष-परोक्ष तौर पर भारत को भी इसका कुछ न कुछ नुकसान अवश्य पहुंचेगा। पहलगाम हमले के बाद भारत के लोगों का गुस्सा अभी उफान पर है।इस संबंध में हाल ही में दिल्‍ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान हमारे देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने यह बात कही है कि-‘ दुश्‍मन को उसी की भाषा में जवाब मिलेगा।’ उन्होंने कहा है कि-‘ मेरा दायित्‍व है कि अपनी सेना के साथ मिलकर देश की ओर आंख उठाने वालों को मुंहतोड़ जवाब दूं।’ इस दौरान उन्‍होंने देशवासियों को आश्‍वस्‍त करते हुए यह बात कही है कि -‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आप(भारत के देशवासी)जो चाहते हैं, वह अवश्य होगा।’