इंडस वाटर ट्रीटी स्थगित होने से पाकिस्तान बन जाएगा रेगिस्तान

In this much time even Modiji tells his Chief Minister...

  • पाकिस्तान के पंजाब और सिंध के लोगों के सूखेंगे कंठ और बिजली संकट से मचेगा हाहाकार
  • सिन्धु नदी जल समझौता का पानी भारत में मोड़ने से राजस्थान के रेगिस्तानी जिले हो सकते है तृप्त

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में हताहत हुए भारतीय सैलानियों के बलिदान के बाद भारत के जन मानस में उपजे गहरे रोष और सभी राजनीतिक दलों द्वारा दलगत राजनीति से ऊपर उठ कर भारत सरकार को पाकिस्तान के खिलाफ कठोर से कठोर कदम उठाने के लिए प्रदर्शित की गई अभूतपूर्व एक जुटता के कारण केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने 65 वर्ष पुराने भारत पाकिस्तान सिन्धु नदी जल समझौता (इंडस वाटर ट्रीटी) को स्थगित करने का साहसिक निर्णय लेकर पाकिस्तान को करारा झटका दिया है और सकते में डाल कर उसकी बैचेनी को बढ़ा दिया है। इंडस वाटर ट्रीटी स्थगित होने के बाद भारत यदि दस प्रतिशत पानी ही रोक देता है तो भी पाकिस्तान रेगिस्तान बन जाएगा और पाकिस्तान के पंजाब और सिंध के लोगों के कंठ सूखें जायेंगे। साथ ही वहां के जल विद्युत संयंत्र बन्द हो जाने से उत्पन्न होने वाले बिजली संकट से पाकिस्तान में जो हाहाकार मचेगा उसकी कल्पना कर ही पाकिस्तान के होश उड़ गए है।

भारत और चीन की सीमाओं से सटे तिब्बत से निकलने वाली इंडस (सिन्धु) नदी विश्व की सबसे लंबी नदियों में से एक है। सिन्धु नदी सहित इसकी पांच सहायक नदियों रावी,व्यास,सतलुज, चिनाब और झेलम यानी कुल छह नदियों का पानी बह कर पाकिस्तान में ही जा रहा है। वर्ल्ड बैंक के हस्तक्षेप से भारत और पाकिस्तान ने 1960 में सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए थे। इस संधि का उद्देश्य सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के पानी को दोनों देशों के बीच बराबर बांटना था। संधि के तहत, तीन पूर्वी नदियों रावी,ब्यास और सतलुज का पानी भारत को मिला और तीन पश्चिमी नदियों चिनाब,सिंधु और झेलम का पानी पाकिस्तान को दिया गया। उस वक्त भारत ने उदारता रखते हुए पाकिस्तान को इन नदियों का भारत से ढाई गुना अधिक 80 एमएएफ पानी दिया जबकि,भारत को अपने हिस्से में 33 एमएएफ पानी ही मिला। साथ ही भारत ने पाकिस्तान को नहरी तन्त्र विकसित करने के लिए 1960 से 1970 तक 125 मेट्रिक टन सोने के बराबर करोड़ों रु भी दिए लेकिन भारत से अधिक पानी और पैसा लेने के बावजूद पाकिस्तान ने हमेशा नापाक इरादों के साथ भारत पर हमले किए और हजारों बेगुनाहों का खून भी बहाया। इसके उपरान्त भी भारत ने कभी सिन्धु नदी समझौता को स्थगित या रद्द नहीं किया । उधर पाकिस्तान अधिक पानी लेता रहा और भारत के लोगों का खून भी बहाता रहा जबकि,भारत में पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के किसानों के खेत अभी भी प्यासे है । पंजाब में देश के सबसे अधिक 13 लाख ट्यूब वेल होने के उपरान्त भी पानी की भारी कमी है। अंतर्राज्यीय जल समझौते के बावजूद राजस्थान को भी अपने हक का पूरा पानी नहीं मिल रहा। पंजाब और हरियाणा एसवाईएल के नाम पर आपस में ही जल विवादों में उलझे हुए है।

पहलगाम के आतंकी हमले के बाद भारत ने इस बार यह कड़ा स्टैंड लिया है कि अब पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते । भारत ने दृढ़ता के साथ सिन्धु नदी समझौता को स्थगित करने का कड़ा फैसला लिया है। अब भारत यदि सिन्धु नदी जल समझौता स्थगित कर उसका पानी भारत की ओर मोड़ लेता है तो इससे न केवल पंजाब और हरियाणा को पर्याप्त जल मिल सकता है वरन राजस्थान के रेगिस्तानी जिले भी पूरी तरह से तृप्त हो सकते है । साथ ही राजस्थान जैसे पानी की समस्या से जूझ रहें प्रदेश को तुरन्त राहत मिल सकती है। देश में अब सिन्धु नदी जल समझौता की पुनर्समीक्षा करने के साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री काल में प्रस्तावित नदी जोड़ो परियोजनाओं में से एक शारदा-यमुना रिवर लिंक परियोजना जोकि नेपाल की तलहटी से गुजरात तक के लंबे भू भाग को तर करेगी को नए सिरे से हाथ में लेने तथा सिन्धु नदी जल समझौता पर पुनर्विचार करने के साथ ही पाकिस्तान को 60 से 70 के दशक में दिए गए 125 मेट्रिक टन सोने के बराबर दी गई भारी धनराशि को वसूल करने की माँग भी की जा रही है।

भारत सरकार अपने वर्तमान फैसले के अनुसार सिन्धु नदी जल समझौता को स्थगित कर अथवा रद्द कर सिन्धु और उसकी पांच सहायक नदियों के पानी को भारत के अपने प्रान्तों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की ओर मोड़ने का फैसला लेती है तो न केवल राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों की प्यासी भूमि को पानी से तरबतर किया जा सकेगा, वरन इन तीनों प्रदेशों के अंतर्राज्यीय जल विवादों का भी स्वतः ही निराकरण होने के साथ ही पाकिस्तान को भी जोरदार सबक सिखाया जा सकेगा।