इंद्र वशिष्ठ
जम्मू-कश्मीर में ड्रग्स/नशीली दवाओं के लत के मामलों में वृद्धि हो रही हैं। राज्य सभा में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय द्वारा दी गई जानकारी से यह चौंकाने वाली बात पता चली है।
राज्य सभा में समाजवादी पार्टी के सांसद जावेद अली खान और रामजी लाल सुमन ने गृहमंत्री से सवाल पूछा कि क्या सरकार को जानकारी है कि विगत तीन वर्षों के दौरान जम्मू – कश्मीर में ड्रग्स/ नशीली दवाओं की लत के मामलों में कई गुना वृद्धि हुई है? सरकार ने जम्मू कश्मीर में युवाओं में नशीली दवाओं के प्रसार संबंधी खतरे को रोकने के लिए क्या कार्रवाई की है?
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि नशा मुक्त भारत अभियान के तहत सरकार के प्रयास ने नशीली दवाओं की लत के मामलों का बेहतर पता लगाने में मदद की है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा वर्ष 2022 के संबंध में प्रकाशित नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में निजी उपयोग/ उपभोग के लिए मादक पदार्थ रखने के साल 2020 में 289, साल 2021 में 357 और साल 2022 में 394 मामले नारकोटिक्स एक्ट के तहत दर्ज किए गए हैं।
गृह राज्यमंत्री ने बताया कि सरकार ने नशीली दवाओं की मांग में कमी लाने हेतु राष्ट्रीय कार्य योजना तैयार करके इसे कार्यान्वित किया है, जिसके तहत सरकार जम्मू और कश्मीर समेत संपूर्ण देश के युवाओं में मादक पदार्थों के सेवन की समस्या के समाधान के लिए एक निरंतर और समन्वित कार्रवाई कर रही है।
जम्मू और कश्मीर में सरकार की सहायता से नशे के आदी लोगों के लिए एक एकीकृत पुनर्वास केंद्र चलाया जा रहा है, ताकि मादक पदार्थों के पीड़ितों को उपचार और साथ ही निवारक शिक्षा, जागरुकता सृजन, प्रेरणात्मक परामर्श, डिटॉक्सीफिकेशन/ नशामुक्ति आदि की सेवाएं प्रदान की जा सके।
18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को नशीली दवाओं के प्रति जागरूकता पैदा करने और जीवन कौशल सिखाने के लिए जम्मू और कश्मीर में सरकार द्वारा समर्पित 2 समुदाय आधारित पीयर लेड इंटरवेंशन (सीपीएलआई) केंद्र चल रहे हैं।
एम्स, नई दिल्ली के माध्यम से सरकारी अस्पतालों में 20 व्यसन उपचार सुविधाएं कार्यान्वित की जा रही हैं। जम्मू-कश्मीर में 5 जिला नशा मुक्ति केंद्र स्थापित किए जा चुके है।
जरूरतमंद व्यक्तियों को प्राथमिक परामर्श और तत्कात सहायता प्रदान करने हेतु सरकार द्वारा नशामुक्ति के लिए एक टोल-फ्री हेल्पलाइन 14446 चलाई जा रही है।