- रणनीतिक , तकनीकी मजबूती दिखा टीम को इकाई के रूप में खेलना होगा
- भारत के पूल में शीर्ष पर रह सीधे क्वॉर्टर फाइनल में पहुंचने का विश्वास
- गलत पास से देने से बच स्ट्रक्चर बरकरार रख खेलना होगा
- हरमनप्रीत मेरे 12 गोल के रिकॉर्ड को तोड़ भारत को बहुत आगे ले जाएंगे
- भारत की ताकत अग्रिम पंक्ति और गोलरक्षक श्रीजेश
- बेवजह कार्ड लेने और चोट से बचना होगा भारतीय खिलाडिय़ों को
सत्येन्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली : भारत के राजिंदर सिंह सी. अपने जमाने के दुनिया के बेहतरीन पेनल्टी कॉर्नर विशेषज्ञ और डिफेंडर रहे। राजिंदर सिंह के नाम भारत के लिए एक हॉकी विश्व कप में सबसे ज्यादा 12 गोल दागने का रिकॉर्ड है। उन्हें आज भी इस बात का मलाल है कि 1982 में बॉम्बे(अब मुंबई) में भारत ने जब पहली बार विश्व कप की मेजबानी थी तब इसमें सबसे ज्यादा 12 गोल करने के बावजूद वह देश को पदक नहीं जिता पाए थे। यह भी एक दिलचस्प बात है कि अब तक हुए कुल 14 एफआईएच पुुरुष हॉकी विश्व कपों सबसे ज्यादा गोल पेनल्टी कॉर्नर विशेषज्ञों और ड्रैग फ्लिकरों ने ही नाम हैं। दुनिया में एक हॉकी विश्व कप में सबसे ज्यादा 15 गोल दागने का रिकॉर्ड नीदरलैंड के पॉल लिटजंस के इसके चौथे संस्करण में1978 में ब्यूनर्स आयर्स में बनाया। भारत के राजिंदर सिंह सी. (बॉम्बे, 1982) और ऑस्ट्रेलिया के जे स्टैसी(उत्रेक्त , 1998) समान रूप से 12-12 गोल दाग एक विश्व कप में सबसे ज्यादा गोल दागने में दूसरे नंबर पर है। भारत की शुक्रवार से भुवनेश्वर और राउरकेला में एक साथ शुरू हो रहे 15 वें 2023 के हॉकी विश्व कप में संभावनाओं पर प्रस्तुत है ओलिंपियन राजिंदर सिंह सी. से मोहाली से सत्येन्द्र पाल सिंह की बातचीत।
भारतीय टीम से ओडिशा हॉकी विश्व कप आपको क्या उम्मीद है?
हमारी टीम को गलत पास देने से बचने के साथ अपने स्ट्रक्चर को बरकरार रख खेलना होगा। हम स्ट्रक्चर बरकरार रख खेले तो हमारी चुनौती बहुत आगे तक जाएगी। हमारी टीम पिछले कई बरस से अब एफआईएच रैंकिंग में दुनिया की शीर्ष पांच टीमों में हैं। हमें अपने खेल पर ध्यान देने के साथ बाकी टीमों का आकलन कर केवल पूल मैचों ही नहीं बल्कि आगे यदि क्रॉस ओवर में खेलना पड़े तो उसकी स्थिति के मुताबिक भी अपनी योजना बना कर जेहन में रखनी होगी। हमें केवल अपने मैचों पर ही नहीं बल्कि पूल के मैचों पर करीबी निगाह रखनी होगी। हम ऐसा करते हैं तो हम किसी भी टीम से किसी भी स्थिति में निपटने के लिए जेहनी तौर पर तैयार होंगे। हमारी मौजूदा भारतीय टीम को बहुत एक्सपोजर मिला है। हम चौथी बार हॉकी विश्व कप की मेजबानी कर रहे हैं। भारत के पास 1975 में क्वालालंपुर में आखिरी बार विश्व कप जीतने के बाद ओडिशा हॉकी विश्व कप में पदक के सूखे को खत्म करने बेहतरीन मौका है। भारत को इसके लिएरणनीतिक और तकनीकी रूप से वही मजबूती दिखा वैसे ही एक इकाई के रूप में खेलना होगा कि जो उसने टोक्यो ओलंपिक में कांसा जीतते हुए दिखाई थी।
कैसा 2023 पुरुष हॉकी विश्व कप में भारत का पूल ?
भारत का 2023 के हॉकी विश्व कप में पूल डी उसके लिए बहुत अच्छा है। भारत की टीमं स्पेन, इंग्लैंड और वेल्स के साथ है। मुझे पूरा विश्वास है कि भारतीय टीम के लिए पूल में टॉप करते हुए सीधे क्वॉर्टर फाइनल में पहुंचेगी। भारत के पास हालंाकि क्रॉसओवर में भी क्वॉर्टर फाइनल का मौका रहेगा लेकिन यह कुछ ज्यादा मुश्किल होगा। भारत की टीम मुझे इस विश्व कप के मद्देनजर उसके पूल की बाकी टीमों से कहीं मजबूत नजर आती है। भारत की खुशकिस्मती है कि उसके कप्तान ड्रैग फ्लिकर हरमनप्रीत सिंह पूरे रंग में है। मुझे हरमनप्रीत सिंह की पेनल्टी कॉर्नर पर बतौर ड्रैग फ्लिक गोल करने की क्षमता पर पूरा भरोसा है। हरमनप्रीत सिंह इस हॉकी विश्व कप में पेनल्टी कॉर्नर पर बराबर खूब गोल करने में कामयाब रहेंगे। हरमनप्रीत की हाल ही फॉर्म बढिय़ा चल रही है और भारत को इस विश्व कप में सात मैच खेलने को मिलेंगे। हरमनप्रीत हर मैच में औसतन दो गोल करने में कामयाब रहे तो वह मेरे एक विश्व कप भारत के लिए सबसे ज्यादा 12 गोल करने के रिकॉर्ड को तोड़ भारत की चुनौती को इस बार बहुत आगे तक ले जाएंगे।
भारत की ताकत इस हॉकी विश्व कप में…
अनुभवी स्ट्राइकर मनदीप सिंह और ललित उपाध्याय के साथ नवोदित अभिषेषक व सुखजीत के रूप में भारत की अग्रिम पंक्ति में हर कोई मैदानी गोल करना खूब जानता है। हमारी अग्रिम पंक्ति के हर खिलाड़ी को यह कोशिश करनी होगी कि यदि वह मैदानी गोल न कर पाए तो वह बराबर पेनल्टी कॉर्नर बनाए ।सच कहूं ऐसे में हमारी अग्रिम पंक्ति की मैदानी गोल करने की क्षमता हमारे लिए बोनस है। आज की हॉकी में जब टीम हमले पर जाती है तो सभी फॉरवर्ड बन जाते हैं । जब टीम पर हमला होता तो सभी डिफेंडर। मतलब साफ है कि आज की हॉकी में जरूरी है कि पूरी शिद्दत से हमला बोला जाए। पूरी मुस्तैदी से अपने किले की चौकसी की जाए।हमारी भारतीय टीम के लिए हौसला बढ़ाने वाली बात यह है कि उसके साथ भारतीय दर्शक होंगे। भारत को रणनीतिक और तकनीकी रूप से बराबर बेहतर खेल अपनी योजना को अमली जामा पहनाना होगा। हम बतौर ड्रैग फ्लिकर हरमनप्रीत का सर्वश्रेष्ठï उपयोग तभी कर पाएंगे जब हमारी अग्रिम पंक्ति हमें बराबर पेनल्टी कॉर्नर दिलाएगी। साथ ही हमारी टीम में हर खिलाड़ी को यह ध्यान रखना होगा कि वह चोट न खाए और न ही बेवजह कार्ड ले। हमें हर मैच का विशलेषण करना होगा। भारत को लगातार चौथा विश्व कप खेलने जा रहे गोलरक्षक पीआर श्रीजेश के अनुभव का लाभ उठाना होगा। भारत के हक में एक बात यह है कि घर मशं दूसरे विश्व कप में खेलने उतरने वाले कप्तान व ड्रैग फ्लिकर हरमनप्रीत सिंह के रूप में एक ‘ब्रह्मïास्त्रÓ है। हमारी टीम में साथ ही रक्षापंक्ति में अमित रोहिदास , सुरेन्दर , जर्मनप्रीत और वरुण हैं। मध्यपंक्ति में मनप्रीत , हार्दिक, विवेक सागर, शमशेर है ही मध्यपंक्ति और अग्रिम पंक्ति की कड़ी के रूप में शमेशर और आकाशदीप हैं। अग्रिम पंक्ति में अनुभवी मनदीप और ललित उपाध्याय के साथ अभिषेक जैसा नौजवान स्ट्राइकर है। हमारी टीम में सभी खिलाड़ी अनुभवी हैं। भारत की इस विश्व कप के लिए इससे बढिय़ा टीम नहीं बन थी और उसे घर में खेलने का लाभ मिलेगा। राउरकेला और भुवनेश्वर में मौसम बढिय़ा होगा।
मौजूदा भारतीय टीम के लिए आपका संदेश…..?
मुंबई में हमारी भारतीय टीम के बेहतरीन होने और अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मेरे गोल करने पहले गोल दिए जाने और फिर विवादास्पद से इसे पलट दिए जाने ने हमें 1975 में विश्व कप जीतने के बाद फिर इसमें पदक जीतने से महरूम कर दिया था। तब विश्व कप के लिए सिस्टम अलग था और आज का सिस्टम अलग है। आज हालात कुछ बेहतर स्थिति है। आप पूल में शीर्ष पर नहीं रहते हैं तो भी आपके पास क्रॉसओवर के जरिए क्वॉर्टर फाइनल में स्थान बना सकते है।टोक्यो ओलंपिक में मनप्रीत की कप्तानी में जिस तरह भारत ने एक इकाई के रूप में खेल कर खेल कर 1980 में आठवीं और अंतिम बार ओलंपिक में पदक जीतने के बाद कांसे रूप में पदक जीत पदक के सूखे को खत्म किया था। मैंने बराबर यह महसूस किया है कि गलत पास देने पर हम पर जवाबी हमले होते हैं। मेरा भारतीय टीम को यही संदेश में अग्रिम पंक्ति सहित किसी को भी गलत पास देने से बचना होगा।
भारत को इस विश्व कप में किस बात का ध्यान रखना होगा?
भारतीय खिलाडिय़ों को नियमों मसलन रोलिंग सब्सिटयूट आदि का लाभ उठाना होगा। साथ ही हमारे खिलाड़ी खेल के आखिर में कई ओलंपिक और विश्व कप जैसे कई बड़े टूर्नामेंट मे ‘कार्ड -पीला या हर्रा लेकर बाहर होते रहे हैं। हमारी टीम के हर खिलाड़ी को समझना होगा कि पाच-दस मिनट के लिए किसी भी खिलाड़ी के मैदान से बाहर जाने और फिर दस या उससे भी कम खिलाडिय़ों से खेलने से टीम पर बहुत दबाव आ जाता है।
भारत के बर्मिंघम राष्टï्रमंडल खेलों में अपने पूल की इंग्लैंड और वेल्स व प्रो लीग में स्पेन के खिलाफ मिले जुले प्रदर्शन का विश्व कप मे क्या असर पड़ेगा?
मैं एक बार साफ करना चाहूंगा कि चाहे ओलंपिक हों, विश्व कप या एशियाई खेल में हॉकी हर टूर्नामेंट का एक अलग सिस्टम होता है। मैं एफआईएच प्रो हॉकी लीग के प्रदर्शन को बहुत तवज्जो नहीं देता है। हॉकी विश्व कप में खेलने का अपना एक अलग ही दबाव होता है। हर बड़ी टीम इस तरह के बड़े टूर्नामेंट में अलग अंदाज में खेलती है। मेरा मानना है कि हमारी टीम में इस बार विश्व कप में घर में पदक जीतने के सूखे को खत्म करने का दम है।
पूर्व हॉकी खिलाडिय़ों के प्रति हॉकी इंडिया का नजरिया क्या है?
ओडिशा में हॉकी विश्व कप देखने के लिए 1975 की खिताब जीतने वाली टीम के खिलाडिय़ों को बुलाना बेशक स्वागत योग्य है। हॉकी इंडिया ओडिशा में हॉकी विश्व कप में अब मौजूदा ज्यादा से ज्यादा भारतीय खिलाडिय़ों को देखने के लिए बुला कर भारत की हॉकी बिरादरी को मजबूत कर सकती है। इससे हॉकी इंडिया अब मौजूद भारत की ओलंपिक, विश्व कप, एशियाई खेलों और अन्य बड़े टूर्नामेंट में नुमाइंदगी कर चुके पूर्व हॉकी खिलाडिय़ों को विश्व कप देखने के लिए बुला कर सभी से बेहतर संवाद कर सकती है।