- अपनी सीनियर साथी खिलाडिय़ों के सहयोग के लिए आभारी हूं
- ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल में दिन हमारा नहीं था
- निगाहें बराबर अपना कौशल बेहतर सीनियर टीम में नियमित जगह बनाने पर
सत्येन्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली : झारखंड के आदिवासी अंचल से आकर देश की उदीमयमान स्ट्राइकर के रूप में अपनी एक अलग छाप छोडऩे वाली संगीता कुमारी ने हाल ही में बर्मिंघम में सम्पन्न राष्ट्रमंडल खेलों में भारत को कांसे के रूप में 16 बरस इन खेलों महिला हॉकी में पहला पदक जिताने में अहम भूमिका निभाई। भारतीय महिला हॉकी टीम के बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में कांसा जीत कर स्वदेश वापस लौटने पर 20 वर्षीया स्ट्राइकर संगीता ने कहा, ‘राष्ट्रमंडल खेलों में शिरकत कर भारत को कांस्य पदक के जिता स्वदेश लौटना एक खास अहसास है। मेरे भारतीय हॉकी टीम को इन खेलों में कांसा जिता कर स्वदेश वापस लौटने पर मेरे गांव में जश्न का मौहाल है। मेरे गांव में हर कोई हमारी टीम की इस उपलब्धि बेहद खुश और रोमांचित है। घर पर मेरी जब बात हुई तो हर किसी ने यह झारखंड के लिए बेहद फख्र का क्षण है। अपनी टीम के राïष्टï्रमडल खेलों कांसा जीतने के साथ पदक मंच पर खड़े होने का अहसास आसानी से नहीं भुला सकते। मैं भारतीय महिला हॉकी टीम के लिए राष्ट्रमंडल खेलों में पहली बार खेलने पर शुरू में कुछ नर्वस थी लेकिन मेरी सीनियर साथी खिलाडिय़ों ने मुझसे कहा यह एकदम स्वाभाविक है। मैं अपनी सीनियर साथी खिलाडिय़ों की उनके सहयोग के लिए उनकी आभारी हूं।’
राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय महिला हॉकी टीम ऑस्ट्रेलिया से सेमीफाइनल निर्धारित समय में एक-एक की बराबरी के पास अंपायर और तकनीकी बेंच की घड़ी की गफलत विवादास्पद ढंग से कप्तान गोलरक्षक सविता पूनिया द्वारा शूटआउट में ऑस्ट्रेलियाई खिलाडिय़ों के प्रयास को नाकाम करने के बाद फिर लेने के चलते 0-3 से हार गई थी। हालांकि इस गफलत के चलते ऑस्ट्रेलियाई टीम ने भारतीय टीम के खिलाफ जीवनदान पा फाइनल में पहुंचने में स्थान बनाया। भारतीय महिला हाकी टीम ने न्यूजीलैंड को शूटआउट के जरिए 2-1 से हरा अंतत: कांसा जीता। संगीता ने सात बरस की उम्र में हॉकी स्टिक थामने के बाद पलटकर नहीं देखा। वह पिछले कई बरस से बराबर भारतीय जूनियर हॉकी टीम का हिस्सा रही और उसके साथ स्पेन, बेल्जियम, ऑस्ट्रेलिया, चिली और बैंकॉक में यूथ ओलंपिक खेल क्वॉलिफायर और 2021 एफआईएच जूनियर महिला हॉकी विश्व कप में चौथे स्थान पर रहने वाली भारतीय टीम का हिस्सा रहीं। साथ ही संगीता ने स्पेन के खिलाफ एफआईएच महिला हॉकी प्रो लीग में भारतीय सीनियर महिला हॉकी टीम के लिए अपने करियर का आगाज किया।’
संगीता ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल में दिल तोड़ देने वाली हार की बाबत ,’हमारी टीम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल में बेहतरीन खेली पर बदकिस्मती से नतीजा हमारे हक में नहीं । सच तो यह है कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल में दिन हमारा नहीं था। ऑस्ट्रेलिया से मिली इस हार के बावजूद हमें विचलित नहीं होना था और यही बात सबसे बढिय़ा रही। हम नतीजे से निराश थे लेकिन हम अपनी गलतियों से सबक लेकर भविष्य में बेहतर करना चाहते हैं। मैं खुद को खुशकिस्मत मानती हूं कि मुझे बहुत कम उम्र में राष्टï्रमंडल खेलों भारत की नुमाइंदगी का मौका मिला। मैं जानती हूं कि मुझे बराबर अपना खेल बेहतर करते रहने की जरूरत है। मेरी निगाहें बराबर अपना कौशल और बेहतर कर भारतीय सीनियर महिला हॉकी की नियमित सदस्य बनने पर लगी हैं।’