- हमारी हॉकी टीम ने आखिरी क्षण में गोल खाने वाली टीम की अपनी छवि तोड़ी
- जफर व हरबिंदर एक दशक बाद दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय हॉकी की वापसी से खुश
सत्येन्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली : अपने जमाने के देश के बेहतरीन स्ट्राइकर रहे पूर्व हॉकी ओलंपियन हरबिंदर सिंह और जफर इकबाल पिछले लगातार दो बार की ओलंपिक कांस्य पदक विजेता और हाल ही में मोची (चीन) में पांचवीं बार एशियन चैंपियंस ट्रॉफी जीतने वाली भारतीय पुरुष हॉकी टीम को 23 और 24 अक्टूबर में यहां मेजर ध्यानचंद राष्ट्रीय स्टेडियम में जर्मनी के खिलाफ दो मैचों की सीरीज खेलते देखने को रोमांचित हैं। हरबिंदर और जफर इकबाल इस बात से बेहद खुश हैं कि भारत और जर्मनी के बीच दो मैचों की इस सीरीज से दिल्ली में एक दशक के बाद अंतर्राष्ट्रीय हॉकी की वापसी हो रही है। इस दो मैचों हॉकी की सीारीज को देखने के लिए हरबिंदर और जफर इकबाल सहित देश के बीते जमाने के कई धुरंधर हॉकी खिलाड़ियों के मौजूद रहने की उम्मीद है। भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने अंतिम बार यहां मेजर ध्यानचंद नैशनल स्टेडियम में जनवरी 2014 में हॉकी वर्ल्ड लीग फाइनल पुरुष राउंड 4 में खेली थी।
अपने जमाने के बेहतरीन लेफ्ट आउट रहे जफर इकबाल 1980 में वासुदेवन भास्करन की कप्तानीृमें 1980 के मास्को ओलंपिक में अंतिम व आठवीं बार स्वर्ण पदक जीतने वाली तथा 1982 में नई दिल्ली में एशियाई खेलों के फाइनल में पाकिस्तान से हारने वाली भारतीय पुरुष हॉकी टीम के कप्तान थे। जफर इकबाल ने कहा, ‘ पिछले दो ओलंपिक से लगातार कांसा जीतने से पहले आम धारण यही थी भारतीय पुरुष हॉकी टीम आखिरी क्षणों में मैच में गोल खा जाती है। भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने आखिरी क्षण में गोल खाने की अपनी छवि को तोड़ दिया। हमारी मौजूदा भारतीय पुरुष हॉकी टीम अब हर लिहाज से दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टीमों में से एक है। भारतीय हॉकी टीम को बेहतरीन सुविधाएं मिल रही है। मुझे पूरी उम्मीद है कि भारत और जर्मनी के बीच दो मैचों की सीरीजमें बेहद रोमांचक हॉकी की उम्मीद है। मेरी सभी हॉकी प्रेमियों से गुजारिश है कि वे बड़ी तादाद में मैच देखने के लिए पहुंच कर अपनी भारतीय टीम की दिल से हौसलाअफजाई करें। हमारे जमाने में हॉकी के लिए भारत में बड़ी दीवानगी थी। तब नेहरू गोल्ड कप , एशियाई खेलों और अन्य अंतर्राष्ट्रीय हॉकी टूर्नामेंट के मैचों को देखने के लिए हॉकी प्रेमी तादाद में आते थे। जर्मनी एक मुश्किल टीम है। हमारी भारतीय टीम ने टोक्यो ओलंपिक में जर्मनी को हरा कांस्य जीता था लेकिन 2024 में पेरिस ओलंपिक में हम उससे बेहद कड़े सेमीफाइनल में 1-2 से हार गए थे लेकिन स्पेन को तीसरे स्थान के मैच में 2-1से हरा ओलंपिक का अपना कांसा बरकरार रखने में सफल रहे। मुझे पूरा विश्वास है कि हॉकी प्रेमी अपनी भारतीय टीम की हौसलाअफजाई और समर्थन कर उसे जर्मनी के खिलाफ यहां जीत के लिए उसकी हौसलाअफजाई करेंगे।’
हरबिंदर बोले, बड़ी तादाद में भारत-जर्मनी मैच देखने आएंगे दर्शक
बीते बरस चेन्नै ने पुरुष एशियन चैंपियंस की मेजबानी जबकि रांची ने महिला एशियन चैंपियंस ट्रॉफी की मेजबानी की थी और दोनों वर्गों में भारत ने खिताब अपने नाम किया था
हरबिंदर भारत की 1964 में टोक्यो ओलंपिक में पाकिस्तान को हरा कर स्वर्ण पदक तथा 1968 में मैक्सिको और 1972 के म्युनिख ओलंपिक में लगातार कांसा जीतने वाली टीम के सदस्य रहे। अब सबसे उम्रदराज हॉकी ओलंपियन में से एक हरबिंदर सिंह कहते हैं, ‘मैं 1972 में दिल्ली में अंतिम बार भारतीय पुरुष हॉकी के लिए खेला। तब हमारी टीम की हौसलाअफजाई के लिए शिवाजी स्टेडियम हॉकी प्रेमियों से खचाखच भरा था। मुझे पूरा विश्चास अब भारत और जर्मनी की पुरुष हॉकी टीमों के बीच मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में खेले जाने वाले हॉकी मैच को देखने के लिए भी बड़ी तादाद हॉकी प्रेमी यहा मौजूद रहेंगे। मेरा मानना है कि बड़ी टीमों के खिलाफ मैच देश भर में अलग अलग स्थानों में आयोजित किए जाने चाहिए। इससे देश भर में हॉकी और लोकप्रिय होगी। इससे हमारे भारतीय हॉकी खिलाड़ी को अहम अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंटों के तैयार रख सकेंगे।’