अमीरों की “वंदेभारत ट्रेन” का जश्न मनाता भारतीय मध्यम वर्ग

  • हवाई जहाज जैसी सुविधाओं से लैस लग्जरी ट्रेन बंदेभारत का जश्न आजकल संपूर्ण भारत में मनाया जा रहा है अब तक प्रधानमंत्री मोदी जी कुल 25 ट्रेनों को हरी झंडी दिखा चुके हैं
  • 4 दिन पहले यानी 7 जुलाई 2023 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जीने 25वीं वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाई ।

रविवार दिल्ली नेटवर्क

वंदे भारत ट्रेन एक सेमी हाई स्पीड ट्रेन है जो देखने में विदेशी हाई स्पीड ट्रेन जैसी दिखाई देती है परंतु इसकी औसत स्पीड 120 किलोमीटर प्रति घंटा ही है, जो शताब्दी तथा राजधानी जैसी पूर्व में संचालित ट्रेनों के बराबर है यद्यपि यह गतिमान एक्सप्रेस की तरह 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकती है किंतु रेलवे ट्रैकों की स्थिति अच्छी न होने के कारण यह फिलहाल अन्य सुपरफास्ट ट्रेनों के लगभग बराबर गति से ही दौड़ सकेगी ।

वंदे भारत ट्रेन की अनुमानित लागत 115 करोड़ है और अपेक्षाकृत कम दूरी की ट्रेन होने के कारण इसमें यात्रा बैठ कर ही की जा सकती है अर्थात सीटिंग प्लान चेयर कार है इसको दो श्रेणियों इकोनामी क्लास और एग्जीक्यूटिव क्लास मैं विभाजित किया गया है
अभी हाल ही में 7 जुलाई 2023 से शुरू होने वाली वंदे भारत ट्रेन गोरखपुर जंक्शन से चलकर लखनऊ जंक्शन के बीच की कुल 296 किलोमीटर की दूरी 4 घंटे और 15 मिनट में तय करेगी।

गोरखपुर से लखनऊ का एक्जीक्यूटिव क्लास का किराया,₹ 1670 है
वहीं दूसरी ओर राजधानी जैसी अन्य सुपर फास्ट ट्रेन का किराया स्लीपर क्लास ₹225 तथा एसी का ₹610 है चेयर कार का किराया ₹475 है और समय लगभग 5 घंटे 15 मिनटराजधानी जैसी ₹ 475 किराए वाली ट्रेन की अपेक्षा ₹1670 किराए वाली वंदे भारत ट्रेन लगभग 3. 5 गुना अधिक रुपया वसूल रही है भारत जैसे देश के अधिकांश नागरिकों के लिए इसमें यात्रा करना सिर्फ दिवास्वप्न जैसा ही है गर्मियों की छुट्टी ,होली ,दिवाली, वैशाखी आदि जैसे महत्वपूर्ण त्योहारों पर जहां भारतीय ट्रेन में सीट मिलना लगभग असंभव सा है लाखों की संख्या में यात्री अवैध रूप से ट्रेन के डिब्बों में फर्श पर अथवा टॉयलेट में बैठकर यात्रा को मजबूर होते हैं रोज-रोज होते भयंकर ट्रेन हादसे किसी से छिपे नहीं है इन सभी बुनियादी जरूरतों की अनदेखी कर वंदेभारत जैसी अभिजात्य वर्ग की महंगी ट्रेन चलाकर मध्यमवर्ग के साथ ज्यादती की जा रही है और विडंबना देखिए कि वही मध्यमवर्ग इसका विरोध करने के बजाए वंदेभारत ट्रेन का जश्न मना रहा है और इसे भारत के विकास में मील का पत्थर मान रहा है।