
सुनील कुमार महला
सड़क पर चलते समय सतर्क रहना और नियमों का पालन करना जीवन बचाने के लिए बेहद जरूरी है। सड़क सुरक्षा का उद्देश्य दुर्घटनाओं को रोकना और सभी यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।यही कारण है कि सड़क पर सुरक्षा के लिए कानून के तहत यातायात नियम निर्धारित किए गए हैं, जिनमें क्रमशः हेलमेट और सीटबेल्ट पहनना, नशे में वाहन न चलाना, निर्धारित गति सीमा(स्पीड लिमिट का पालन) का पालन करना,वाहन चलाते समय मोबाइल का प्रयोग न करना,पैदल चलने वालों का समुचित ध्यान रखना, ट्रैफिक सिग्नल का पालन करना,वाहन की सही स्थिति जैसे कि ब्रेक, लाइट, टायर आदि की नियमित जांच करना और सुरक्षित रूप से सड़क पार करना भी शामिल है। आज सड़क सुरक्षा इसलिए जरूरी है क्यों कि सड़क दुर्घटनाओं से हर साल लाखों लोग घायल होते हैं या अपनी जान गंवा बैठते हैं। कहना ग़लत नहीं होगा कि यह दूसरों की भी सुरक्षा का मामला है, केवल हमारी नहीं। यह भी एक तथ्य है कि सुरक्षित यात्रा से मानसिक शांति और समय की बचत होती है। वास्तव में सड़क सुरक्षा के लिए यह जरूरी है कि हम अपने बच्चों और युवाओं को स्कूल से ही सड़क नियमों की शिक्षा प्रदान करें तथा उनमें हेलमेट और सीट बेल्ट पहनने की आदत का निर्माण करें। सोशल मीडिया व स्थानीय अभियानों के जरिए जागरूकता फैलाने की आवश्यकता आज महत्ती हो गई है। पाठकों को बताता चलूं कि हाल ही में मध्य प्रदेश के इंदौर में एयरपोर्ट रोड स्थित शिक्षक नगर में एक तेज रफ्तार ट्रक ने 10 से 15 लोगों को कुचल दिया। इस सड़क हादसे में दो लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार ट्रक चालक संभवतः नशे में था और उसने तेज रफ्तार से दोपहिया वाहन चालकों को टक्कर मारी। हादसे के दौरान ट्रक के नीचे फंसी बाइक में आग लग गई और देखते ही देखते ट्रक भी जल उठा। बाइक में फंसे सवार की मौके पर ही जलकर मौत हो गई। ट्रक ने पहले बाइक चालक को टक्कर मारी और उसे काफी दूर तक घसीटता गया। इसके बाद ट्रक ने एक ई-रिक्शा को भी टक्कर मारी। ई-रिक्शा चालक और उसके अंदर सवार कई लोग बुरी तरह घायल हो गए। इसी प्रकार से दिल्ली के धौला कुआं इलाके में बीएमडब्ल्यू की टक्कर से वित्त मंत्रालय के डिप्टी सेक्रेटरी की मौत हो गई। कहना ग़लत नहीं होगा कि आज ज्यादातर सड़क हादसे लापरवाही के कारण होते हैं। हम अक्सर ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करते और वाहन चलाते वक्त जागरूक नहीं रहते। अक्सर यह देखा जाता है कि जल्दबाजी, तेज़ रफ़्तार,वाहन चलाते समय मोबाइल का प्रयोग करना व नशा व नींद सड़क हादसे का कारण बनता है। इस संदर्भ में माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर अब देश भर में व्यावसायिक वाहनों के चालकों के लिए आठ घंटे ही वाहन चलाने को अनिवार्य किए जाने की प्रक्रिया को देश में बढ़ते सड़क हादसों को कम करने की चिंता से जोड़ना एक शुभ संकेत कहा जा सकता है। आज विभिन्न चालक लंबी दूरी की ड्राइविंग करते हैं और इसके कारण उन्हें थकान अनुभव होती है। वे पर्याप्त नींद नहीं ले पाते हैं और हादसे के शिकार हो जाते हैं। इसलिए यह बहुत ही जरूरी है कि कोई भी वाहन चालक पर्याप्त नींद के बाद ही कोई वाहन आदि चलाए। परिवहन कंपनियों को भी यह चाहिए कि वे चालक के काम के घंटों की ओर पर्याप्त ध्यान दें तथा वाहन चालकों पर काम के घंटों को लेकर किसी प्रकार का दवाब नहीं बनाएं। आज कहने को तो भारी वाहनों(हेवी व्हीकल्स) पर लंबी दूरी के लिए दो चालक रखने का नियमों में प्रावधान किया गया है, लेकिन खर्चों में कटौती के लोभ में कई बार ट्रक व दूसरे भारी वाहनों में यह इंतजाम किया ही नहीं जाता, यह बहुत ही दुखद है।चालक के काम के घंटों का पता लगाने के लिए आज जीपीएस जैसी तकनीक व्यावसायिक वाहनों में अनिवार्य करने से यह पता लगाना आसान हो सकता है कि चालक विशेष कितने घंटे तक वाहन चला रहा है। वास्तव में इस संबंध में समूचे सिस्टम से जुड़े ट्रांसपोर्टर्स, सरकारी परिवहन निगमों व वाहन मालिकों को इस दिशा में सामूहिक प्रयास करने होंगे।यातायात नियमों की अनदेखी ठीक नहीं कही जा सकती है और इसके लिए नियम और कानून सख्त होने चाहिए, ताकि सड़क हादसों में कमी लाई जा सके। सड़क हादसों के आंकड़े बहुत ही भयानक हैं।इस क्रम में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की ओर से जारी एक रपट के मुताबिक, देश में प्रतिदिन 474 लोग सड़क हादसे में अपनी जान गंवा देते हैं। वर्ष 2023 में 1.72 लाख लोगों की सड़क हादसे में जान गई है, जो वर्ष 2022 में 1.68 लाख मौतों के मुकाबले कहीं ज्यादा है। आंकड़ों से पता चलता है कि सड़क हादसों की सबसे बड़ी वजह तेज रफ्तार है। वर्ष 2023 में सड़क हादसों में हुई कुल मौतों में से 68 फीसद से ज्यादा तेज गति से वाहन चलाने के कारण हुई हैं। इससे साफ है कि सड़क पर तेज रफ्तार का जुनून कितना भयावह साबित हो रहा है। कितनी बड़ी बात है कि हर घंटे औसतन 55 सड़क दुर्घटनाएँ होती हैं, जिनमें 20 लोगों की मौत होती है।दुर्घटनाओं में शामिल दोपहिया वाहन चालकों का हिस्सा 44.8% था, जबकि पैदल यात्रियों का हिस्सा लगभग 20% था। राज्यवार सड़क हादसों की स्थिति की यदि हम यहां पर बात करें तो तमिलनाडु में, 2024 के पहले नौ महीनों में 251 घातक दुर्घटनाएँ हुईं, जिनमें से 62 पीड़ित 30 वर्ष से कम आयु के थे। यह आंकड़ा 2025 में बढ़कर 57 हो गया, जिससे युवा दुर्घटनाओं में वृद्धि दर्शाता है।एक अंग्रेजी दैनिक के अनुसार दिल्ली में, 2023 में 1,72,890 मौतों में से 44.8% दोपहिया वाहन चालकों की थीं, जो तेज़ रफ़्तार और लापरवाही से जुड़ी दुर्घटनाओं का संकेत देती हैं। हालिया घटनाओं की यदि हम यहां पर बात करें तो कोयंबटूर में, तेज़ रफ़्तार और स्टंटबाज़ी के कारण युवाओं की मौतें बढ़ी हैं। पुलिस ने ‘नान युइर कवलन’ नामक एक पहल शुरू की है और साप्ताहिक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।पलवल (हरियाणा) में, एक पुलिस कांस्टेबल ने तेज़ रफ़्तार में कार चलाते हुए दो बच्चों को कुचल दिया, जिससे उनकी मौत हो गई। अंत में यही कहूंगा कि हमारे देश में सड़क दुर्घटनाओं में तेज़ रफ़्तार एक प्रमुख कारण है, जो युवा दुर्घटनाओं में वृद्धि का प्रमुख कारण बन रहा है। हालांकि, इस दिशा में सरकार और पुलिस विभागों द्वारा जागरूकता अभियानों और सख्त कानूनों के माध्यम से इस समस्या से निपटने की कोशिश की जा रही है, लेकिन आज कानूनों को सख्ती से लागू करने के साथ-साथ जरूरत है उन लोगों की मानसिकता को बदलने की, जो सड़क पर तेज रफ्तार को अपनी शान समझते हैं। वास्तव में, शासन-प्रशासन को भी यह सुनिश्चित करना होगा कि यातायात नियमों का किसी भी हाल में उल्लंघन न हो। सच तो यह है कि आज के समय में सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए बहुस्तरीय प्रयास आवश्यक हैं। इसमें सरकार, प्रशासन, नागरिक, तकनीक और शिक्षा सभी की भूमिका बहुत ही अहम और महत्वपूर्ण है।