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विनोद कुमार विक्की
जिस प्रकार सांसारिक जीव का जीवन चक्र जीवन और मृत्यु के बीच चलता है, ठीक उसी प्रकार लोकतांत्रिक व्यवस्था में एक नेता का जीवन चक्र आश्वासन एवं शपथ ग्रहण के बीच चलता रहता है।
नेताजी के जीवन काल का परम सुख प्रदान करने वाला क्षण होता है शपथ ग्रहण।
वह गौरवमयी क्षण जिसके लिए नेताजी कर जोड़ कर काशी, काबा के दरबार से कार्यकर्ता, मतदाता तक के घर-द्वार तक एक पोज़ में कुछ महीने की कठिन साधना करते हैं।
जनता को आश्वासन की बिरयानी खिलाकर स्वयं शपथ ग्रहण की रसमलाई चखने की उत्कट अभिलाषा कमोबेश सभी खादी मानव में होती है।समाज सेवा और देश के उद्धार की भावना से ओत-प्रोत नेताजी चुनाव प्रचार के दौरान लाखों-करोड़ों रूपये पानी की तरह बहा देते है। आखिर बहाए भी क्यों न, राष्ट्र सेवा का जज़्बा पालिटाक्सिक नेताजी के गुर्दा से फेफड़ा तक आक्सीजन लेवल की तरह प्रवाहमान जो रहता है। साम,दाम, दंड, भेद की प्रक्रियाओं से गुजरने के पश्चात ही तो नेताजी को सौभाग्य मिलता है शपथ ग्रहण करने का।
संवैधानिक व्यवस्था के तहत ईश्वर की शपथ खाकर ही मंत्री जी का चारित्रिक शापोद्धार हो पाता है, तत्पश्चात वो खादीमानव मन,कर्म व वचन की शुद्धता का समावेश कर सामाजिक समरसता के साथ अगले पाँच वर्षो तक जनता और राष्ट्र सेवा में तल्लीन हो जाता है।
जो नेताजी ने एक बार शपथ ले ली, तो समझो फिर वह मोहमाया से इतर देश का सच्चा सुपुत्र श्रवण कुमार बन जाता है। जिसके कंधे पर राष्ट्र की एकता-अखंडता, लोकतंत्र की रक्षा व विकास की जिम्मेदारी आ जाती है। अगले पांँच सालों तक विशुद्ध वेतन भत्ता पर अपने परिवार का पालन व देश का शासन करने की उनमे दिव्य क्षमता आ जाती है।
लोकतांत्रिक महोत्सव के मौके पर मंत्री पद की शपथ लेने वाले नेताजी का साक्षात्कार लेने झोलझाल टाइम्स का रिपोर्टर लूटन चौरसिया नव निर्वाचित मंत्री जी के आवास पहुँचा ।
नेताजी को मंत्री पद की मुबारकबाद देते हुए लूटन बोला- ‘आप ने चुनाव जीतकर एक मिसाल कायम किया है नेता जी!’
नेताजी- वह तो है।
लूटन- “आप अपनी जीत के प्रति आश्वस्त थे?मन में कोई घबराहट या चिंता तो नहीं थी?”
नेताजी- “हंड्रेड परशेंट। अरे भाई विधानसभा का चुनाव था कोई नीट या प्रतियोगिता परीक्षा थोड़े ही थी जो पेपर लीक की चिंता रहती।”
लूटन- “मेरे कहने का आशय दफ़ा 302,307,376 का अभियुक्त होने के कारण एग्जिट पोल व चुनावी सर्वे भी आपके पक्ष में नहीं था फिर भी…”
नेता जी (बीच में टोकते हुए)- अरे भाई कैसे नहीं जीतते हम।
लूटन- मतलब आपको जनाधार और ईवीएम पर पूरा विश्वास था!
मंत्री जी- जनाधार और ईवीएम का तो पता नहीं, लेकिन हमें अपनी पार्टी और अपनी जाति पर पूरा विश्वास था। चुनाव में पार्टी की लहर थी और क्षेत्र में मेरे जाति की बहुलता। तो आप ही बताइए इस सब में यह कानूनी दफ़ा-शफा वाली चिड़िया कहीं टिकती भला। पार्टी की लहर व जाति की मेहर…बस बन गए हम भी जनता के सेवक।
लूटन-“तो अब आप पूरी तन्मयता से राष्ट्र व जनता की सेवा करेंगे!
नेता जी-“जी बिलकुल कसम खाई है हमने।”
लूटन-“मतलब भ्रष्टाचार कमीशन,सफेदपोश अपराध आदि आज से बिलकुल बंद!”
नेता जी- ” देखिए आप हमारे फैमिली रिपोर्टर है तो आपसे क्या छिपाना…
लूटन (आश्चर्य से)-“फैमिली रिपोर्टर… मतलब कुछ समझा नहीं?”
“अरे एकदम से बुड़बक पत्रकार ही है आप, अरे भाई हमारे बाप,दादाओं की चोरी,छीनतई से समाजसेवी बनने तक के सफर की हर ख़बरों को आपने प्रमुखता से प्रकाशित किया है, तो इस हिसाब से आप हुए न हमारे फैमिली रिपोर्टर!” नेताजी ने स्पष्ट किया।
लूटन (सिर खुजलाते हुए)- “हांँ… जब फैमिली डॉक्टर, फैमिली एडवोकेट हो सकता है तो फैमिली रिपोर्टर भी… बहरहाल आपने हमारे सवाल का जवाब नहीं दिया है। अब आप मंत्री पद की शपथ ले चुके हैं,तो भ्रष्टाचार और अपराध से संन्यास ले कर सिर्फ और सिर्फ जनसेवा को ही तवज्जों देंगे?”
नेता जी-“ऐसा मैने कब कहा… अरे भाई पाँच वर्ष की अल्प अवधि में बहुत कुछ करना है। पहले हम थोड़ा अपना घर-परिवार भी देख लें, नाते रिश्तेदारों को सेटल करना है। स्विस बैंक में एकाउंट खोलने लायक सम्पत्ति भी जमा करनी है। हाँ, समय बचा तो जनता की सेवा भी कर लेंगे। “
“और जो आपके चुनावी घोषणापत्र के वायदे और पद ग्रहण करते वक़्त भ्रष्टाचार रहित न्याय संगत जनसेवा की कसम खाई है आपने?” लूटन ने टोकते हुए कहा।
नेताजी दोनों हाथ जोड़ गुनगुनाते हुए उठ खड़े हुए-कसमे, वादे, प्यार,मोहब्बत बातें है बातों का क्या…