
रविवार दिल्ली नेटवर्क
लखनऊ : सरोजनीनगर से भाजपा विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने एक बार फिर अपनी स्पष्टवादिता से राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले और उसके बाद की राजनीतिक प्रतिक्रियाओं पर डॉ. सिंह ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर तीखा ट्वीट कर सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर तुष्टिकरण, सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और वोटबैंक की घृणित राजनीति करने का आरोप लगाया है।
डॉ. सिंह ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा –
“आज जब देश आतंकवाद के विरुद्ध एकजुट है, सपा प्रमुख तब भी तुष्टिकरण, सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और वोटबैंक की घृणित राजनीति में लिप्त हैं!” उनकी यह प्रतिक्रिया उस समय आई जब आतंकवादियों द्वारा किए गए नृशंस हमले में 26 निर्दोष हिंदू पर्यटकों की जान चली गई, जिनमें कानपुर के शुभम द्विवेदी भी शामिल थे। डॉ. सिंह ने सवाल उठाया कि जब पूरा देश शहीदों के परिवारों के साथ खड़ा था, तब सपा प्रमुख ने शुभम के परिजनों से मिलने तक से इंकार कर दिया, और शर्मनाक ढंग से कहा, “उस परिवार से मेरा कोई संबंध नहीं।” “लेकिन जब माफिया मुख्तार अंसारी की मृत्यु हुई, तो सपा प्रमुख उसके घर संवेदना व्यक्त करने पहुँच गए। क्या यही दोहरा चरित्र नहीं है? क्या हिंदू शहीदों का दर्द उनके लिए कोई मायने नहीं रखता?”
विधायक ने यह भी सवाल उठाया –
जब आतंकी हमले के बाद देश भर के नेता सर्वदलीय बैठक में शामिल होकर एक स्वर में आतंकवाद के विरुद्ध खड़े हुए, तब सपा प्रमुख वहाँ क्यों नहीं पहुँचे?
“आपने सेना की नीतियों पर तो उंगलियाँ उठाईं, लेकिन आतंकियों के खिलाफ कठोरतम सजा की मांग करना भूल गए! क्यों? क्या आतंकियों को नाराज़ करने का डर है?” यह प्रश्न भी डॉ. सिंह ने ट्वीट में उठाया।
डॉ. सिंह ने सपा प्रमुख को याद दिलाया –
वर्ष 2013 में अखिलेश यादव की सरकार ने 21 खूंखार आतंकवादियों के मुकदमे वापस लेने की कोशिश की थी, जिसे इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था, “क्या आप आतंकियों को पद्म भूषण देंगे?” उन्होंने कहा कि आज भी सपा उसी राह पर चल रही है। बाबर और औरंगज़ेब जैसे लुटेरों की प्रशंसा करने वालों को गले लगाने वाले लोग, राणा सांगा और छत्रपति संभाजी महाराज जैसे राष्ट्रवीरों का अपमान करने वालों का समर्थन कर रहे हैं।
“क्या आपका झुकाव आज भी इस्लामाबाद की ओर है?”
डॉ. सिंह का यह कटाक्ष अखिलेश यादव की वैचारिक प्रतिबद्धता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। उन्होंने अतीक अहमद, मुख्तार अंसारी जैसे माफियाओं को सरंक्षण देने वाली राजनीति पर भी हमला बोला और पूछा कि जिन लोगों ने यूपी को डर के साये में रखा, क्या वे आज सेना और सुरक्षा नीतियों पर उंगली उठाने लायक हैं?
डॉ. सिंह ने यह भी आरोप लगाया –
“महाकुंभ जैसे पवित्र आयोजनों तक को वोट बैंक की दृष्टि से देखने वाले लोग न धर्म के हुए, न देश के।” अंत में उन्होंने देशवासियों को याद दिलाया कि जब राष्ट्र आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई चाहता है, तब सपा जैसी पार्टियाँ विभाजन की राह पर चल रही हैं, लेकिन “जनता सब देख रही है, और जवाब भी देगी!”