वर्तमान छोड़ भूत व भविष्य के कथानक का केंद्र बनती भारतीय संसद ?

तनवीर जाफ़री

‘इंडिया’ गठबंधन के अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के जवाब में आख़िरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गत 10 अगस्त को लोकसभा में क़रीब सवा दो घंटे लंबा भाषण देना ही पड़ा। परन्तु चूँकि मोदी सरकार के विरुद्ध विपक्ष यानी ‘इंडिया’ गठबंधन’ यह अविश्वास प्रस्ताव इसलिए लाया था ताकि मणिपुर पर संसद में चर्चा हो सके। चर्चा हुई भी,गृह मंत्री अमित शाह भी मणिपुर के हालात पर बोले परन्तु चूंकि विपक्ष प्रधानमंत्री का मणिपुर पर ‘मौन’ तुड़वाना चाहती थी इसलिये वह अपने मक़सद में कामयाब तो ज़रूर रही परन्तु साथ ही प्रधानमंत्री के भाषण से उसे घोर निराशा भी हाथ लगी। अविश्वास प्रस्ताव पर बोलते हुये पहले विपक्ष की ओर से राहुल गांधी ने 37 मिनट लंबा भाषण दिया। जिसमें उन्होंने लगभग आधा समय मणिपुर दौरे के अपने अनुभव का ज़िक्र किया। जबकि भाषण की शुरुआत में उन्होंने अपनी भारत जोड़ो यात्रा और उसमें हुये अनुभवों का ज़िक्र किया। परन्तु प्रधानमंत्री जब सदन में अपनी पार्टी के मंत्रियों व सांसदों द्वारा अप्रत्याशित रूप से लगाये जाने वाले ‘मोदी-मोदी ‘ के नारों के बीच पधारे तो ऐसा प्रतीत हुआ कि आज प्रधानमंत्री मणिपुर पर विस्तार से अपनी सरकार का पक्ष तथा वहां किये जाने वाले शांति बहाली के उपायों का विस्तृत रोड मैप पेश करेंगे। परन्तु प्रधानमंत्री ने जब शाम 5 बजकर 8 मिनट पर बोलना शुरू किया तो लगभग एक घंटे तक उनका पूरा भाषण विपक्ष का मज़ाक़ उड़ाने,कांग्रेस पार्टी व नेहरू गाँधी परिवार का अपमान करने, अविश्वास प्रस्ताव का अट्हास करने,अपनी पीठ थपथपाने, गड़े मुर्दे उखाड़ने तथा राहुल गाँधी की खिल्ली उड़ाने आदि में बीता। स्वभाविक रूप से जो विपक्ष प्रधानमंत्री से मणिपुर के बारे में उनकी सरकार के पक्ष को उनके मुंह से सुनना चाह रहा था,एक घंटे उनका ‘प्रवचन’ सुनने के बाद ‘मणिपुर-मणिपुर’ के नारे लगाने लगा। यह नारेबाज़ी काफ़ी देर तक चलती रही फिर भी प्रधानमंत्री ने मणिपुर का कोई ज़िक्र नहीं किया। प्रधानमंत्री के 1 घंटा 31 मिनट के भाषण के बाद आख़िरकार ‘इंडिया’ गठबंधन’ का धैर्य जवाब दे गया और वे वॉक आउट कर गये। इंडिया गठबंधन ने शाम 6.40 के क़रीब वॉकआउट किया। प्रधानमंत्री ने उनके वाकआउट का भी मज़ाक़ उड़ाया। परन्तु उनके सदन से बाहर जाने के कुछ ही समय बाद प्रधानमंत्री केवल एक मिनट ही मणिपुर पर बोले तो ज़रूर परन्तु वह अपर्याप्त था। उन्होंने दो दिन पहले गृह मंत्री द्वारा सदन में मणिपुर पर दिए गए बयान को ही बार बार अनुमोदित किया।

प्रधानमंत्री के भाषण को जहाँ ‘सत्ता पोषित मीडिया’ इसे ‘विपक्ष की गेंद पर मोदी का छक्का’, और विपक्ष क्लीन बोल्ड,और मोदी के भाषण ने लाल बहादुर शास्त्री का रिकार्ड तोड़ा जैसे शीर्षकों से परिभाषित कर रहा है वहीँ तमाम राजनैतिक विश्लेषकों का यह भी कहना है कि उन्होंने भारतीय इतिहास में इतना ग़ैर ज़िम्मेदाराना,अगंभीर,मुद्दों से भटका हुआ तथा पूर्णतः राजनैतिक भाषण संसद में पहले कभी नहीं सुना। चर्चा उस मणिपुर पर केंद्रित होनी चाहिए थी जहां ‘डबल इंजन वाली सरकार’ के रहते राज्य की पुलिस और असम राइफ़ल्स आमने सामने आ चुकी है। जहां हथियार लूटे जा रहे हैं और सुरक्षा बालों द्वारा समुदाय देखकर बांटे जा रहे हैं। जहां सुरक्षा कर्मियों की मौजूदगी में व उनकी मिलीभगत से उपद्रवियों द्वारा लड़कियों की नग्न परेड कराई जा रही है। जहां बस्तियों की बस्तियां जलाई जा रही हैं। जहां राज्य के निवासी ही शरणर्थी बने हुए हैं। सैकड़ों चर्च व मंदिर फूंके जा चुके हैं। परन्तु इस वातावरण में मोदी मोदी कर सदन में प्रधानमंत्री का स्वागत किया गया फिर प्रधानमंत्री द्वारा अपने भाषण में ऐसी बातें की गयीं जो किसी भी सूरत में देश के सर्वोच्च पद पर बैठे व्यक्ति के मुंह से शोभा नहीं देतीं ?

जैसे प्रधानमंत्री ने कहा कि -‘मैं विपक्ष के रवैये पर कहूंगा, ‘जिनके बही-खाते बिगड़े हुए हैं, वे भी हमसे हमारा हिसाब लिए फिरते हैं। पीएम मोदी ने राहुल गांधी के खेतों में जाने पर तंज़ कसते हुए कहा, “आजकल जैसे खेतों में जाकर वीडियो शूट होता है, वैसा ही उस समय एचएएल फ़ैक्ट्रियों के दरवाज़े पर मज़दूरों की सभा करके वीडियो शूट किया गया था। कहा गया था कि एचएएल डूब रहा है. देश के संस्थान को इतना बुरा कहा। लेकिन आज एचएएल सफलता की नई बुलंदियों को छू रहा है। उन्होंने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा- “जिन लोगों ने कभी गमले में मूली नहीं उगाई वो खेतों को देखकर आश्चर्य तो होंगे। जिन्होंने गाड़ी का शीशा उतार कर केवल लोगों की ग़रीबी देखी है उन्हें सब कुछ हैरान कर देता है। “कल यहां दिल से बात करने की बात कही गई थी, उनके दिमाग़ का हाल देश लंबे समय से जानता है। अब उनके दिमाग़ का हाल भी देश जान गया। इनको 24 घंटे मोदी सपनों में आता है। अगर भाषण देते समय मैं पानी पीता हूं तो ये सीना तानकर कहते हैं कि मोदी को पानी पिला दिया.” ” पीएम मोदी ने कहा कि विपक्ष का पसंदीदा नारा है कि मोदी तेरी क़ब्र खुदेगी। ये मुझे कोसते हैं। ऐसा क्यों होता है. सदन में कुछ आज सीक्रेट बताता हूं. विपक्ष को वरदान मिला हुआ है कि जिसका बुरा चाहेंगे, उसका भला होगा। मोदी ने कहा, “भारत की उपलब्धियों से विपक्षी दलों को अविश्वास है, जो दुनिया दूर से देख रही है वो ये यहां रहकर नहीं देख पा रहे हैं। अविश्वास और घमंड इनकी रगों में बस गया है. ये जनता के विश्वास को कभी देख नहीं पाते हैं। ये शुतुरमुर्ग़ रवैया जो है, इस पर देश क्या कर सकता है। “पुरानी सोच के लोग कहते हैं कि जब कुछ मंगल होता है तो काला टीका लगाते हैं. आज देश का जो मंगल हो रहा है, मैं विपक्ष का धन्यवाद करता हूं कि काला कपड़ा पहनकर आए और देश का मंगल किया। मैं इसलिए विपक्ष का धन्यवाद कहता हूं.” उन्होंने यह सपना भी दिखाया कि “इस समय जो होगा, उसका असर अगले 1000 साल दिखाई देगा.”

प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि “140 करोड़ देशवासियों का पुरुषार्थ इस कालखंड में अपने पराक्रम और पुरुषार्थ से जो करेगा, वो आने वाले 1000 वर्षों की मज़बूत नींव रखने वाला है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि “मेरा विश्वास है कि जब 2028 में विपक्ष हमारे ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आएगा, तब हम दुनिया की तीसरे नंबर की अर्थव्यवस्था बन जाएंगे। प्रधानमंत्री से पूर्व केंद्रीय महिला व बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने भी सरकार की ओर भाषण दिया था । उन्होंने राहुल गांधी द्वारा संसद से जाते समय कथित रूप से ‘फ़लाइंग किस ‘ का इशारा करने पर घोर आपत्ति दर्ज कराई और इसे मुद्दा बनाने की कोशिश की। परन्तु न तो उन्हें मणिपुर में महिलाओं की नग्न परेड पर अफ़सोस जताते सुना गया न ही बक़ौल दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल -“ हवा में फेंकी हुई एक फ्लाइंग किस से इतनी आग लग गई। दो पंक्ति पीछे एक आदमी बृजभूषण बैठा हुआ था, जिसने ओलम्पियन पहलवानों को कमरे में बुलाकर छाती पे हाथ रखा और यौन शोषण किया। तब आपको उसके किए हुए पर ग़ुस्सा क्यों नहीं आया”? बहरहाल मणिपुर जैसे सुलगते राज्य के हालात को लेकर विपक्ष द्वारा पेश अविश्वास प्रस्ताव में सत्ता की ओर से माक़ूल जवाब देने के बजाय गड़े मुर्दे उखाड़ना,2028 में विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था की बात करना तथा अगले एक हज़ार वर्षों की बातें करने से तो यही प्रतीत होता है गोया वर्तमान छोड़ भूत व भविष्य के कथानक का केंद्र बनती जा रही है भारतीय संसद ?
तनवीर जाफ़री