रविवार दिल्ली नेटवर्क
सहरसा : झारखंड में लोजपा का चुनाव लड़ना तय,गठबंधन के साथ बात बनी तो साथ वरना होगा दोस्ताना संघर्ष- राजेश वर्मा लोजपा (रा) सांसद, दरअसल अपने संसदीय क्षेत्र भ्रमण के दौरान सहरसा परिसदन पहुंचे खगड़िया सांसद राजेश वर्मा । जहां प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने जहां झारखंड राज्य में होने वाले आगामी चुनाव में पार्टी का चुनाव लड़ने के निर्णय को दुहराया। वहीं पार्टी को छोड़कर भाजपा में जाने की खबर को अफवाह और विरोधियों की साजिश बताते हुए कहा कि कम दिन की राजनीति मंजूर पर उसमें दगाबाजी मंजूर नहीं। उन्होने स्पष्ट तौर से कहा कि जिस पार्टी ने सम्मान दिया उसके साथ दगाबाजी नहीं करेंगे।
उन्होंने कहा कि यह सब महागठबंधन की साजिश है खासकर राजद जिनके द्वारा भ्रम फैलाया जा रहा है। ताकि एनडीए में चिराग पासवान जी के बीच फूट हो और हमारे नेता का जो कद है वो कम हो, लेकिन ये उनका भ्रम है। चिराग पासवान की बढ़ती लोकप्रियता से आरजेडी में कहीं न कहीं डर का माहौल है। इस तरह से जो वो ओछी राजनीति भ्रम फैलाने का जो राजनीति कर रहे है उसका परिणाम शून्य है। हम लोग हमारे नेता के साथ पूरी ईमानदारी के साथ खड़े हैं। कम दिन की राजनीति होगी वह मंजूर है लेकिन उसमें दगाबाजी होगी यह मंजूर नहीं होगी।
वहीं जब उनसे पूछा गया कि जिस तरह से चिराग पासवान गठबंधन के फैसले का विरोध कर रही है, इस पर उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी गठबंधन के फैसले का विरोध नही किया बल्कि अपना सुझाव अवश्य रखा और रखना भी चाहिए। और जब उन्होंने अपना सुझाव रखे, उसी का परिणाम है कि प्रधानमंत्री जी ने उनकी बातों को समझा और उसकी स्वीकृति दी तो मुझे लगता है कि एक ईमानदार अलाएंड पार्टनर होने के नाते यह सबसे बड़ा प्रमाण है। यदि सरकार के तरफ से यदि कोई चूक हो रही है या कमी दिख रही है तो उसे सरकार के समक्ष स्पष्टता से रखना अलाएंड पार्टनर का काम होता है यदि सरकार को सही लगा तब न माननीय प्रधानमंत्री ने संसोधन किया।
वहीं उन्होंने झारखंड में होने वाली आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी द्वारा चुनाव लड़ने की स्टैंड को साफ करते हुए कहा कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक अभी कुछ दिनों पहले हुई थी उसमें हमारा नेता राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान जी ने बड़ी स्पष्टता से कहा था कि हमारी पार्टी का विस्तार झारखंड में कमोवेश सभी विधानसभा में हुआ है और पार्टी के पास 40 विधानसभा में चुनाव लड़ने वाला मजबूत पार्टी पदाधिकारी और कार्यकर्ता भी है जो चुनाव लड़ना चाहता है ।
पार्टी भी चाहती है जो मजबूत प्रत्याशी है उसको मौका देगी। लेकिन हमारी पार्टी और हमारे नेता चाहते है कि यदि सम्मानजनक सीट मिलती है तो पार्टी प्राथमिकता में जरूर गठबंधन के साथ जाएगी। और ऐसी स्थिति में यदि सम्मानजनक स्थिति में बातें नहीं बनी और हमारे नेता जिस सीटों पर चुनाव लड़वाना चाहती है वह नहीं मिली तो स्वाभाविक रूप से उन सीटों पर चुनाव लड़ेगी।