निर्माण विवाद में तकनीकी, कानूनी आधार पर आधारित मध्यस्थता अच्छा विकल्प: जस्टिस तलवंत सिंह

  • मध्यस्थों की नियुक्ति की पेशेवर संस्थानों में स्थानांतरित होनी चाहिए: जस्टिस हेमंत गुप्ता
  • कॉन्ट्रेक्ट तकनीकी तौर पर बेहतर हुआ तो मध्यस्थता में होंगे गुणवत्तापूर्ण फैसले: शैलेंद्र शर्मा, सीपीडब्ल्यूडी

रविवार दिल्ली नेटवर्क

नई दिल्ली : देश के आर्थिक विकास और बुनियादी ढांचे के विकास में निर्माण महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि, विवाद निर्माण परियोजनाओं का एक अंतर्निहित हिस्सा है। लेकिन यदि निर्माण परियोजनाओं के
विवाद को समयबद्ध तरीके से निपटाया जा सकता है तो उसमें अर्बिटे्रटर्स की भूमिका महत्तवपूर्ण है।

दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश श्री तलवंत सिंह ने विचार अंतरराष्ट्रीय अर्बिट्रेशन सम्मेलन में व्यक्त किए।
जस्टिस तलवंत सिंह ने कहा, न्यायालयों में मुकदमों को देखते हुए मध्यस्थता को एक तेज और अधिक कुशल विकल्प के रूप में देखा जा सकता है। हां, एक मध्यस्थ से यह अपेक्षा जरूर होती है कि वह तकनीकी के साथ-साथ कानूनी मुद्दों की समझ को रखते हुए अवार्ड करे। वह अपने फैसले का एक-एक शब्द लिखे, रेट ऑफ इंट्रेस्ट सहित विभिन्न पहलुओं में सभी पक्षों का ध्यान रखे। जस्टिस सिंह ने कहा कि परियोजनाओं में करोड़ों रुपये शामिल होते हैं इसलिए प्रत्येक अवार्ड के शब्द को बच्चे की तरह समझें और फिर सुनाएं।

इंडियन इंस्टीट्यूशन ऑफ टेक्निकल आर्बिट्रेटर्स के कंस्ट्रक्शन आर्बिट्रेशन, द इंडियन एंड इंटरनेशनल पर्सपेक्टिव पर पांचवें सम्मेलन में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश और वर्तमान में इंडिया इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर के अध्यक्ष, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) हेमंत गुप्ता ने कहा कि मध्यस्थों की नियुक्ति की पेशेवर रूप से संचालित मध्यस्थता संस्थानों में स्थानांतरित होनी चाहिए। विश्वसनीय संस्थागत मध्यस्थता का विकास इच्छित विधायी मंशा के साथ तालमेल नहीं रख पाया है, यानी 2019 में मध्यस्थता और सुलह अधिनियम में संशोधन। भारत में मध्यस्थता मुख्य रूप से तदर्थ बनी हुई है। उन्होने मौजूदा और इच्छुक मध्यस्थता पेशेवरों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, प्रशिक्षण और कौशल वृद्धि कार्यक्रमों पर बल दिया और कहा, मध्यस्थों को संभालने के लिए एक पेशेवर (घरेलू और अंतरराष्ट्रीय) पूल विकसित करना भारत में निर्माण मध्यस्थता को बढ़ावा देने के लिए जरूरी होगा।

केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के महानिदेशक और भारत सरकार के तकनीकी सलाहकार श्री शैलेंद्र शर्मा ने कहा, यह वांछनीय होगा कि हम उन मुद्दों पर और बैठकें करें जिन्हें हमने अंतिम रूप से फि़ल्टर किया है और अंत में जिन पर एक राय बनी है। हम सभी जानते हैं, कुछ साल पहले हमने अपने कॉन्ट्रेक्ट को लेकर बड़े बदलाव किए हैं और अगर कॉन्ट्रेक्ट पारदर्शी, तकनीकी तौर पर बेहतर होगा तो मध्यस्थता में गुणवत्तापूर्ण फैसले हो सकेंगे। हम इस सम्मेलन के सभी पहलुओं के शामिल करने पर विचार जरूर करेंगे।

उन्होने कहा, न्यायिक अदालतों में मध्यस्थता अवार्ड में खारिज न हो इसके लिए विशेष तौर पर ध्यान देना होगा। इंडियन इंस्टीट्यूशन ऑफ टेक्निकल आर्बिट्रेटर्स के महासचिव श्री एमसीटी परेवा ने धन्यवाद ज्ञापित किया वहीं सम्मेलन में इंजीनियरों, वास्तुकारों, ठेकेदारों, उपठेकेदारों और कानूनी पेशेवरों सहित सभी उद्योग पेशेवरों ने हिस्सा लिया।

इंडियन इंस्टीट्यूशन ऑफ टेक्निकल आर्बिट्रेटर्स के अध्यक्ष कृष्ण कांत ने कहा कि सम्मेलन भारत में निर्माण कानून की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है। यह कानून निर्माण संबंधी विवादों को बेहतर तरीके से निपटने में मदद करेगा। कानून को तकनीकी मध्यस्थों की भूमिका भी विस्तृत होनी चाहिए। इसमें न्यायपालिका के बजाय डोमेन-विशिष्ट लोगों को शामिल करना चाहिए और वकालत करते हैं ताकि वे स्थिति का बेहतर विश्लेषण कर सकें और त्वरित निर्णय ले सकें।