खनिज उत्खनन से होगा रोजगार का हल

Mineral mining will solve the problem of employment

प्रमोद भार्गव

दुनिया तकनीकी प्रकृति चाहे जितनी कर ले, अंततः उसकी आर्थिक उन्नति, प्रगति एवं विकास के हल प्राकृतिक संपदा में ही निहित हैं। भारत हो या कोई अन्य देश खनिज और कृषि के बूते ही उन्नति के शिखर छूते हैं। इस दृष्टि से भारत भूमि को कुदरत ने अटूट प्राकृतिक संपदा दी हुई है। इस संपदा का उत्खन्न और उसका उपयोग मप्र के लोगों के लिए हो इस नजरिए से कटनी में खनिज कॉन्क्लेव संपन्न हुआ है। यह षुरूआत मप्र को ‘खनिज राज्य‘ के रूप में विकसित करने की मुख्यमंत्री मोहन यादव की अहम् पहल हैं। इसी के फलस्वरूप खनिज कंपनियों द्वारा 56,414 करोड़ रुपए के निवेश के प्रस्ताव प्रदेश सरकार को मिले हैं। वाकई किसी भी प्रदेश के लिए व्यवसायियों की यह रुचि नई ऊर्जा देकर उत्साहित करने वाली है। आधुनिक तकनीक से खनिजों का खनन एक ऐसा कारोबार हैं, जो निवेशकों को लाभदायी साबित होता हैं। दुर्लभ खनिजों की खोज और फिर उनका प्रसंस्करण एवं संवर्धन ऐसा उपाय है, जो कुशल और अकुशल दोनों ही लोगों को बड़ी संख्या में रोजगार देता है। अब प्रदेश में कारगर उत्खनन के लिए एआई, आईओटी, ब्लॉक चेन, रिमोट सेंसिंग की मदद से दुर्लभ खनिजों के अनुसंधान में मदद मिलेगी।

दुर्लभ खनिजों के उत्खनन में संसद के मॉनसून सत्र में माइंस और मिनरल्स संशोधन विधेयक भी पारित हो चुका है। इस नए कानून से व्यवसायियों को लीज पर खनन करने के लिए बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के लिथियम, कोबाल्ट, निकल, हीरा जैसे दुर्लभ खनिजों के उत्खनन की सुविधा भी मिल गई हैं। भारत इन खनिजों के लिए अब तक चीन पर निर्भर था, लेकिन चीन ने इनके निर्यात पर रोक लगा दी थी। यही वे खनिज हैं, जो क्वांटम कंप्यूटर, इलेक्ट्रिक कारों की बैटरी और अंतरिक्ष उपकरणों में काम आते हैं। हालांकि ट्रंप द्वारा लगाए गए अनर्गल टैरिफ के बाद चीन ने भारत को उपरोक्त खनिज देने का वादा कर दिया है। लेकिन भारत ने अब खनिज क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का अभियान चलाया हुआ है। क्योंकि भारत की धरती पर इस नजरिए से प्रचुर मात्रा में धरती के गर्भ में हर तरह के खनिज मौजूद हैं। इसीलिए भारत अब अपनी षर्तों पर विकसित देशों के साथ व्यापार भी करेगा। मोहन यादव द्वारा कटनी कॉनक्लेव अत्यंत महत्वपूर्ण है।

मप्र की धरती में खनिजों की खजाना भरा पड़ा है। इसके दोहन के लिए उद्योगपति बेरकरार रहे हैं। इसीलिए कटनी कॉन्क्लेव में देशभर के करीब 1500 निवेशक शामिल थे। इनकी समस्याओं के हल के लिए यादव ने खनिज विशेषज्ञों और निवेशकों के साथ वन-टू-वन चर्चा की। यहां की धरती हीरा और सोना तो उगलती ही है, तांबे और चूने का यहां सबसे ज्यादा उत्पादन होता है। कटनी में जहां चूने के भंडार हैं, वहीं षडहोल और उमरिया में कोयला एवं बॉक्साइड, छिंदवाड़ा में कोयला, बैतूल में ग्रेफाइड और सतना में सिमेंट के भंडार भरे पड़े हैं। प्रदेश में अब मजबूत सड़कों का जाल भी बिछ चुका है। यहां पांच लाख किमी लंबी सड़कें हैं। प्रदेश में अब कोयला और पानी से बिजली के उत्पादन के अलावा सौर ऊर्जा से भी बड़ी मात्रा में बिजली बन रही है। इस कारण बिजली प्रदेश की जरूरत से कहीं अधिक उत्पादित हो रही है।

प्रदेश में ईंधन के खनन के लिए 12 क्षेत्र चिन्हित किए हैं। कोयला आधारित 37 प्रतिशत मीथेन का उत्पादन प्रदेश में हो रहा है। जबलपुर में सोने के नए भंडार मिले हैं। ग्रेफाइट सहित 30 दुर्लभ खनिज तत्वों की खोज की गई है। इनके उत्खनन व प्रसंस्करण के बाद लीथियम और लौह अयस्क के लिए सीधी में एक क्षेत्र चिन्हित कर दिया गया है। प्रदेश में एक लाख एकड़ से अधिक भूमि बैंक चिन्हित हैं। इन सभी क्षेत्रों में बिजली जरूरत से ज्यादा उपलब्ध है। 20 प्रतिशत इन क्षेत्रों में हरित ऊर्जा उपलब्ध हैं, जो प्रदूषण से मुक्त है। प्रदेश का 2030 तक एनर्जी बास्केट में 50 प्रतिशत ग्रीन एनर्जी शामिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया हुआ है। प्रदेश में ज्यादातर खनिज ऐसे क्षेत्रों में हैं, जहां सस्ता श्रम आसानी से उपलब्ध है। प्रदेश में 5000 से अधिक स्टार्टअप काम कर रहे हैं। प्रदेश सरकार ने उद्योगपतियों को उद्योग लगाने के लिए 18 नई व्यापार मित्र नीतियां लागू की हैं। इन नीतियों ने उद्योग लगाना सरल कर दिया है।

इन नीतियों के अमल में आने से सिंघल बिजनेस ने कोयला, गैस एवं नवीकरणीय ऊर्जा में 15000 करोड़ रुपए के निवेश के प्रस्ताव दिए हैं। इसी तरह हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड तांबे का उत्खनन करेगी। तांबे की खोज भारत में ऋग्वैदिक काल में ही कर ली गई थी। ऋग्वेद में तांबे से सुरक्षा कवच बनाने के उपायों का उल्लेख है। हिंदुस्तान कॉपर की 12 मिलियन टन तांबा उत्पादन करने की क्षमता है। इस कंपनी ने 32 टन तांबा अयोध्या के राम मंदिर निर्माण के लिए दान में दिया था। इनके अलावा बिरला समूह, विनमिर रिसॉर्सेस, रामनिक पॉवर, माइनवेयर एडवाइजर्स, महाकौशल रिफ्रैक्ट्रीज और सायना गुप्र ने ग्रेफाइड, आयरन, कोयला, बॉक्साइड और अन्य धातुओं के उत्खनन के लिए निवेश प्रस्ताव प्रदेश सरकार को दिए हैं।

मुख्यमंत्री यादव का यह कॉनक्लेव असंगठित क्षेत्र में अधिकतम रोजगार के अवसर पैदा करेगा। असंगठित क्षेत्र की खनिजों में रुचि इसलिए भी बढ़ी हैं, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां जीएसटी में सुधार का वादा किया है, वहीं यादव ने खनन के लिए पर्यावरण संबंधी नीतियों को सरल करने का काम किया है। क्योंकि अब तक राज्यों में खनिज लीज के बाद पर्यावरण कानून की अड़चने और अन्य विभागों द्वारा अनापत्ति प्रमाण-पत्र लेना बड़ी बाधाएं रही हैं। साफ है, उद्योगपति और सरकार के बीच काम-काज के तौर-तरीके सुधरेंगे तो तय है, मप्र की तस्वीर भविश्य में बदलती दिखाई देगी।