डॉ रघुवीर चारण
कोरोना महामारी के उपरांत ग्लोबल स्तर पर हमें यही सीख मिली स्वास्थ्य ढाँचे को सुदृढ़ बनाना चाहिए इस महामारी काल में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सभी देशों की स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली खुलकर सामने आई।
आज हम अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य दिवस की 73 वीं वर्षगाँठ मना रहे हैं हर साल दुनिया भर में इस दिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा स्वास्थ्य संबधी सेवाओं में विस्तार व सामाजिक स्तर पर जागरूकता लाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करवाए जाते हैं वर्ष 2023 विश्व स्वास्थ्य दिवस की थीम ‘सभी के लिए स्वास्थ्य’ रखी है।
डब्ल्यूएचओ अनुसार किसी व्यक्ति का शारीरिक सामाजिक व मानसिक रूप से पूर्ण स्वस्थ होना स्वास्थ्य कहलाता हैं।
कोविड के दौरान शारीरिक अस्वस्थता के साथ मानसिक रोगों में वृद्धि देखने को मिली विश्व स्वास्थ्य संगठन का उदेश्य सभी राष्ट्रों को समान चिकित्सा का अधिकार मिले और रोगों के शमन के लिए नई स्वास्थ्य योजनाओं का क्रियान्वन करना है।
हमारे देश में त्रि-स्तरीय स्वास्थ्य प्रणाली है सर्वप्रथम ग्रामीण स्तर पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शहरी क्षेत्रों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व डिस्ट्रिक लेवल पर जिला अस्पताल होता है इसमें सबसे महत्वपूर्ण कड़ी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं क्योंकि देश की 70 प्रतिशत आबादी गाँवों में बसती है इन केंद्रों पर संपूर्ण स्वास्थ्य सुविधाओं का आज भी अभाव है अधिकतम स्वास्थ्य केंद्र नर्सिंग कर्मियों के भरोसे चल रहे हैं वहीं सीएचसी पर विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी के चलते आम जनता को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
हमें नागरिकों के उतम स्वास्थ्य के लिए चिकित्सा सिद्धांतों में बदलाव लाना चाहिए हम क्युरेटिव हेल्थ पर जोर देते है यानी रोग का शमन करना है इसके साथ ही प्रिवेंटिव हेल्थ और प्रमोटिव हेल्थ को इग्नोर कर देते हैं प्रिवेंटिव हेल्थ अर्थात रोगों से बचाव के उपाय करना इसमें सबसे मुख्य प्रमोटिव हेल्थ है यानी स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करना और आरोग्य को बढ़ावा देना तथा आदर्श जीवनशैली का पालन करना चाहिए हमारी पारम्परिक चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद का यही सिद्धांत है।
भारत स्वास्थ्य क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की और बढ़ रहा है
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में बताया गया देश में कुल 13 लाख पंजीकृत एलोपैथी डॉक्टर है जिसमें 80 प्रतिशत प्रैक्टिस कर रहे हैं इसके अलावा करीब साढ़े पांच लाख आयुष डॉक्टर भी है इन सबको मिलाकर डॉक्टर – मरीज अनुपात 1:834 है अर्थात 834 मरीजों पर एक डॉक्टर हैं जोकि WHO मानक आधार पर काफी आशाजनक है।
भारत सरकार के थिंक टेक नीति आयोग द्वारा ‘विजन 2035 : भारत में जन स्वास्थ्य निगरानी’ नाम से एक श्वेत पत्र जारी किया है यह श्वेत पत्र त्रिस्तरीय जन स्वास्थ्य व्यवस्था को आयुष्मान भारत की परिकल्पना में शामिल करते हुए जन स्वास्थ्य निगरानी के लिए भारत के विजन 2035 को पेश करता है। यह एक विस्तारित रेफरल नेटवर्क और प्रयोगशालाओं की क्षमता को बढ़ाने की आवश्यकता भी बताता है।
ताजा ग्लोबल हेल्थ रैंकिंग में भारत 66 वें स्थान पर हैं जोकि काफी चिंताजनक हैं इसमें अमेरिका प्रथम पायदान पर है यह सर्वे स्वास्थ्य व्यवस्था, रोगों का निवारण, खोज, रिपोर्टिंग, तीव्र अनुसंधान के आधार पर किया गया।
हमारे देश के हेल्थ इंडेक्स में दक्षिण भारत राज्यों का दबदबा कायम रहा इसमें केरल प्रथम पायदान पर उसके बाद , तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश सर्वोतम स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में आगे रहें इस सर्वे में उतरप्रदेश निचले पायदान पर रहा जनसंख्या के हिसाब से यूपी में स्वास्थ्य ढाँचे में विस्तार की जरूरत है।
भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र को सुदृढ़ बनाने के लिए वितीय वर्ष 2023 में 89 हजार करोड़ का बजट आवंटित किया गया यानी पिछले वर्ष की तुलना में 13 फिसदी अधिक मिला साल 2047 तक सिकल सेल एनीमिया को खत्म करने के लिए मिशन स्थापित किया गया जिसमें प्रभावित आदिवासी क्षेत्रों में जाँच और परीक्षण को बढ़ावा दिया जायेगा इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा नेशनल हेल्थ मिशन (NHM) व राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यक्रम (NRHM) आयुष्मान भारत योजना सहित स्वास्थ्य व्यवस्था की प्रगति के लिए कई कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं आयुष्मान भारत योजना (एबीवाई) में समाज के कमजोर वर्ग के लोगों को हेल्थ इंश्योरेंस की सुविधा मिलती है इसके तहत देश के 10 करोड़ परिवारों को सालाना 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा मिल रहा है.।
आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत के लिए प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना प्रारम्भ की गई जिसके लिए करीब 64 हजार करोड़ की राशि आवंटित हुई जिसका उद्देश्य समग्र स्वास्थ्य धरातल स्तर तक पहुँचाना है।
इसके साथ आयुष मंत्रालय द्वारा वेकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों का विस्तार किया जा रहा हैं उनको मुख्य धारा में लाने के लिए हेल्थ वेलनेस सेंटर स्थापित किये जा रहे ताकि ग्रामीण स्तर पर पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों का लाभ सभी नागरिकों को मिले इस विश्व स्वास्थ्य दिवस पर स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत, आत्मनिर्भर भारत की पहल करें।