शिवराज प्रभाव से मुक्त होती एमपी की मोहन सरकार

MP's Mohan government is getting free from Shivraj's influence

नरेंद्र तिवारी

भारत सरकार के कृषि मंत्री एवं ग्रामीण विकास मंत्री, मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, भारतीय जनता पार्टी के संवेदनशील राष्ट्रीय नेता शिवराजसिंह चौहान गुजरात के जूनागढ़ में अतिव्यस्त कार्यक्रम में अपनी धर्मपत्नी साधनासिँह को कुछ देर के लिये भूल गए, उन्हें जैसे ही लगा पत्नी साथ नहीं है, तब वाहनों का काफ़िला पलटाकर साधनासिँह तक पहुँचे वें मुंगफली शोध केंद्र के यात्री प्रतीक्षालय में उनका इंतजार कर रही थी। इस घटनाक्रम ने शिवराजसिंह चौहान को राष्ट्रीय पटल पर चर्चा में ला दिया। जब देश के सूचना माध्यमों पर उक्त वाकिया सुर्खियों में चल रहा है, तब एमपी की जनता को इस सच्चे और संवेदनशील जनसेवक की याद सताने लगी है। सताए भी क्यों न मिडिया जिसे भूल कह रहा था, एमपी की जनता उसे फ़िक्र मान रही थी।

जनता की फ़िक्र, देश और समाज की चिंता, अपने कार्यों के प्रति समर्पण की भावना, जनसेवक, जो जनता की सेवा में परिजन को भी भूल जाते है। लोक कार्यो की चिंताओं में परिवार को भूलने वाले शिवराज सिँह चौहान के लिये एमपी की जनता के मन अपार प्रेम, स्नेह और आत्मीय लगाव की भावना है। यही कारण है की मिडिया जिसे भूल बता रहा है, जनता उसे फ़िक्र मान रही है। बताएं भी क्यों न शिवराज सिँह जनकार्यों के फ़िक्रमन्द लोकनेता है। इसी कारण वें मध्यप्रदेश के सबसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहे है, उनके ही नैतृत्व में वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने रिकार्ड तोड़ जीत तय की थी। प्रदेश की लाडली बहनों के भाई, आदिवासी समाज के मामा, देश के कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराजसिँह चौहान की संवेदना के दर्शन अभी मई माह में वर्षा के दौरान हुए। ज़ब महाराष्ट्र का युवा कृषक गौरव पंवार अपनी मुगफल्ली बेचने बाजार समिति आया था, जहाँ तेज बारिश से मूंगफल्ली बहने लगी, किसान दोनों हाथों और शरीर के सहारे बहती हुई मूंगफल्ली को रोकने का प्रयास करता, किन्तु तेज बारिश और पानी के तेज बहाव में कृषक अपनी उपज को पानी में बहने से रोक पाने में नाकाम दिखाई देता था। कृषक गौरव के लिये आफत बनकर आई बारिश अपना विकराल रूप दिखा रही थी। कृषक की फसल के बहने का विडिओ टीवी पर भी देखा गया, सोशल मिडिया पर भी चर्चा और संवेदना का कारण बना। उक्त घटनाक्रम का वीडियो जिसने भी देखा पीड़ा से भर गया। यह दृश्य देश के केंद्रीय मंत्री कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिँह ने भी देखा तो वह द्रवित हुए जानकारी के मुताबिक उन्होंने उक्त किसान से बात की उसे ढाढस बँधाया और सिर्फ ढाढस ही नहीं बंधाया महाराष्ट्र सरकार के माध्यम से आर्थिक सहायता दिए जाने का भरोसा भी दिया। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कृषक गौरव पँवार को मानोरा बाजार समिति जिला वाशिम महाराष्ट्र के द्वारा आर्थिक मदद का चैक सौपा गया है। यह है भारत के कृषि मंत्री शिवराज सिँह चौहान की जन कार्यों के प्रति समर्पण की भावना, संवेदना और विषयों के प्रति दृष्टि जो उन्हें एक अलग राजनेता के रूप में खड़ा करती है।

राजनीति में जब कोई चरित्र संवेदना से भरपूर और जनता से सीधा जुडा दिखाई दे, तब वह किसी भी पक्ष का हो जनता के स्नेह का पात्र होता है। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भी इसी प्रकार के संवेदनशील चरित्र है। मध्यप्रदेश के विकास में शिवराजसिंह की भूमिका सराहनीय रही है। वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव के उपरांत भाजपा के केंद्रीय नैतृत्व ने परिवर्तन की दुहाई देकर शिवराज के स्थान पर उज्जैन के विधायक मोहन यादव को प्रदेश के मुख्यमंत्री की कमान सौपी। इस परिवर्तन के शुरुवाती दौर में शिवराज बहुत असहज से दिखाई दिए। किंतु स्वयं को पार्टी का अनुशासित सिपाही बताकर पार्टी के फैसलों को शिरोधार्य किया। फिर 2024 के लोकसभा में पार्टी ने उन्हें विदिशा लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया उन्होंने यह चुनाव काफी अंतर से जीतकर अपनी महत्ता सिद्ध की, विदिशा से विजयी हुए शिवराज भारत सरकार में केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री नियुक्त हुए। मध्यप्रदेश के इस जनप्रिय लोकसेवक के चर्चे प्रदेश में हर दिन सुनाई दे रहे है। प्रदेशवासी मौजूदा मुख्यमंत्री मोहन यादव से उनकी तुलना करते है। एमपी की मोहन सरकार की कार्यप्रणाली से असंतोष जाहिर करने वाले भाजपाई नेताओं की संख्या में बढ़ोतरी होती जा रही है। यह नेता पार्टी अनुशासन के चलते स्पष्ट रूप से कुछ कह पाने की स्थिति में नहीं है। किंतु यह सच है की वर्तमान में प्रदेश सरकार पर प्रशासनिक तंत्र हावी है, सरकारी कर्मचारियों, अधिकारीयों के स्थानांतरण के संबंध में जिले से लेकर भोपाल तक अनियमितताओं की चर्चाओं से बाजार गर्म है। सरकारी दफ्तरों में लालफीताशाही हावी है। सरकार की कार्यप्रणाली में विरोधाभाष दिखाई देता है। एक और एमपी पुलिस नशा विरोधी अभियान चलाती है, दूसरी और प्रदेश में हावी शराब माफियाओं ने गाँव-गाँव गली मोहल्ले अवैध शराब की बिक्री को आसान बना दिया। आदिवासी अंचलो में महिलाओं और बच्चो द्वारा खुलेआम अवैध शराब बेचने का कार्य किया जा रहा है। शराब माफियाओ के साथ शिक्षा माफिया, खनन माफिया, राशन माफिया सिस्टम पर हावी दिखाई दे रहे है। शिवराज के समय एमपी की सरकार आम आदमी की सरकार नजर आती थी। उनके हर फैसले और कार्यप्रणाली से आम आदमी का विश्वास सरकार पर गहरा और अटूट होता जा रहा था, शिवराज के नैतृत्व में मिली प्रचंड विजयी इसी आमआदमी के सरकार पर दर्शाए विश्वास का नतीजा है। शिवराज को याद करने का मकसद यह कतई नहीं है की उन्हें फिर से प्रदेश की कमान सौपी जाए। शिवराज तो केंद्र की राजनीति में अपनी बेहतर कार्यप्रणाली से सर्वश्रेष्ट पद पर पहुंचेंगे ही, वह केंद्र के हर बड़े पद के दावेदार है। उनके बहाने मोहन सरकार की कार्यप्रणाली में सुधार हो, सरकार माफियाओ के प्रति सख्त और आमजन के प्रति विनम्र हो, सरकारी सिस्टम पर आमजन का भरोसा व्याप्त हो, यह मोहन यादव भी कर सकते है। उन्हें अधिक जवाबदेह बनने की आवश्यकता है। अब तक के कार्यकाल में एमपी की सरकार और मुख्यमंत्री आमआदमी की सरकार और मुख्यमंत्री के रूप में नजर नहीं आते है। शिवराज के नैतृत्व में बनी एमपी की सरकार पर शिवराज प्रभाव धीरे धीरे खत्म होता जा रहा है। शिवराज नाम है, संवेदना का, सरकार पर शिवराज के प्रभाव का कम होना चिंता का विषय है।