नौ वर्ष का गर्व बने दसवें में राष्ट्रीय पर्व !

सीता राम शर्मा ‘चेतन’

मोदी सरकार के नौ वर्ष पूरे हो गए । व्यतीत इस नौ वर्षीय कार्यकाल का मूल्यांकन, विश्लेषण जारी है । यह सरकार, इससे जुड़े लोगों और प्रसंशकों के साथ विपक्षी दलों तथा लोगों के द्वारा भी भिन्न-भिन्न माध्यमों से खूब किया और बताया जा रहा है । सत्ता पक्ष और विपक्ष से जुड़े, बंधे, बांधे और खरीदे गए लोगों, समूहों तथा संसाधनों के द्वारा किए जा रहे इन तमाम अधिकांश मूल्यांकन और विश्लेषणों से हटकर कुछ ऐसे लोग और समूह भी हैं, जो अपनी समझ और निष्पक्षता के अनुसार मोदी सरकार के नौ वर्षीय कार्यकाल की समीक्षा करते हुए इसकी प्रशंसा और आलोचना कर रहे हैं । आगे कुछ लिखने से पहले किसी भी व्यक्ति, समूह, संगठन या पक्ष-विपक्ष के द्वारा किए जा रहे मूल्यांकन और विश्लेषण की सत्यता और निष्पक्षता को समझने, परखने के इस सरल सिद्धांत को जानने की जरूरत है कि जो किसी भी मूल्यांकन विश्लेषण के आधारभूत जीवंत लोगों, समूहों और संसाधनों की अच्छाई और बुराई, खूबी और कमी, ताकत और कमजोरी के साथ उसकी वास्तविकता और भ्रामकता को केंद्र में रखते हुए दोनों पक्षों की बात ना कहे, करे या लिखे, समझ लीजिए वह आधी अधूरी और स्वीकार करने योग्य बात नहीं हो सकती ।

पृथ्वी पर कोई भी व्यक्ति, समूह, संगठन, सत्ता या दल सत्य, धर्म, न्याय और सत्कर्म की दृष्टि से अपने आप में पूर्ण रूप से सही नहीं है । हो भी नहीं सकता । कमी, कमजोरी, दोष और अपूर्णता मानवीय सांसारिक स्वभाव है और उसका यथार्थ भी क्योंकि यदि वह इनसे पूरी तरह मुक्त है तो फिर उसे मानव या मानवीय व्यवस्था नहीं ईश्वर और ईश्वरीय अवतार या चमत्कार ही कहा जा सकता है । बावजूद इसके श्रेष्ठ या सर्वश्रेष्ठ मनुष्य, नेतृत्व, समूह, संगठन, दल या सत्ता उसे कहा जा सकता है और कहा जाना भी चाहिए जिसमें कमी, कमजोरी या अवगुण उसके गुणों और कार्यों के समक्ष न्यूनतम, स्वीकार योग्य और क्षम्य हो । इस सत्य, सिद्धांत और दृष्टिकोण से वर्तमान मोदी सरकार के नौ वर्षीय कार्यकाल का मूल्यांकन और विश्लेषण करते हुए कम से कम राष्ट्रीय सत्ता के नेतृत्व मोदी को तो बिना किसी संकोच और किंतु- परंतु के बिना कोई प्रश्नचिह्न लगाए योग्य और सर्वश्रेष्ठ नेतृत्व कहा जा सकता है ! सरकार के दृष्टिकोण से कुछ कमियों, त्रुटियों, कमजोरियों और असफलताओं का जिक्र करना शत-प्रतिशत सही और उचित है । होना भी चाहिए, पर ऐसा करते हुए यह जानना समझना जरुरी है कि भारत को दशकों से चली आ रही राजनीतिक, व्यवस्थागत और नेतृत्व की त्रुुटियों और कमजोरियों को दूर करने के लिए बहुत संयम, समय और सतर्कतापूर्ण प्रयासों की जरूरत थी और यदि वह अब मोदी के नेतृत्व से दूर हुई और हो रही है तो उसे हर हाल में जारी रखने की जरूरत है !

अब सीधी और सपाट बात मोदी सरकार के नौ वर्षीय कार्यकाल की, तो स्वच्छता अभियान, हर घर शौचालय, जनधन खाता योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, हर घर नल से जल, उज्जवला योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसी सामाजिक विकास की कई क्रांतिकारी योजनाएं चला कर मोदी सरकार ने जहां एक तरफ देश की सोच के साथ हाशिए पर खड़े अंतिम गरीब, लाचार, हताश और अभावग्रस्त आम आदमी के जीवन में बड़ा बदलाव लाने का प्रयास किया है तो दूसरी तरफ उसने नोटबंदी, जीएसटी, सीएए-एनआरसी लागू करने, कश्मीर से धारा 370 निरस्त करने, मुस्लिम माता-बहनों के हक में तीन तलाक खत्म करने और दशकों से देश को आतंकवादी वारदातों में झोंकने वाले नापाक शत्रु देश पाकिस्तान पर एयर और सर्जिकल स्ट्राइक करने का महत्वपूर्ण काम भी किया है । वर्षों पुराने अयोध्या विवाद के न्यायिक समाधान के साथ कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के संक्रमण काल में एक संजीदा, सजग, दूरदर्शी, जिम्मेवार और आपातकालीन राष्ट्रीय संकट की स्थिति में त्वरित उसका हर संभव समाधान करने वाली सफल सरकार होने का परिचय भी मोदी सरकार ने बखूबी दिया है । बात मोदी सरकार की विदेश नीति की करें तो बात अतंरराष्ट्रीय संबंधों को बनाने, निभाने की हो या फिर अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों से निपटने की, इस क्षेत्र में मोदी सरकार का कार्यकाल निःसंदेह और निर्विवादित रूप से स्वतंत्र भारत का श्रेष्ठ, सफल और सर्वाधिक गौरवशाली कार्यकाल रहा है ! अंत में बात राष्ट्रीय वर्तमान और भविष्य को लेकर मोदी सरकार के उन कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण कार्यों और योजनाओं की, जिनके अप्रत्याशित और दीर्घकालीन बड़े लाभकारी परिणाम देश और देश की आम जनता को मिलेंगे । पिछले नौ वर्षों में रक्षा और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में इनके उत्पादक देश के रुप में भारत ने जिस तेजी से विकास किया है और इसको लेकर जो योजनाएं बनाई हैं, वह भविष्य के सुरक्षित, समृद्ध और सशक्त भारत के निर्माण में मील का पत्थर साबित होगी । सोलर एनर्जी के तीव्र विकास और विस्तार के साथ देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम जैसी योजनाएं देश के आंतरिक और बाह्य सशक्तिकरण में बड़ी और बेहद असरदार सिद्ध होंगी ।

अब बात मोदी सरकार की कमियों, कमजोरियों और असफलताओं की तो इस पर पहली और सपाट बात यह है कि जिस राजनीतिक और प्रशासनिक भ्रष्टाचार के मुख्य मुद्दे पर भाजपा और मोदी को 2014 में सत्ता हासिल हुई थी, उस पर इसने बहुत धीरे और त्रुटिपूर्ण तरीके से काम किया है और आज भी कहने-सुनने, बताने-दिखाने को यह चाहे भ्रष्टाचार पर मुखर और सख्त होने की जितनी बात करे, इसकी नीतियों और कार्यो से यह स्पष्ट है कि भ्रष्टाचार से पूर्ण मुक्ति की सोच, लक्ष्य या पर्याप्त प्रयासों से यह खुद भी अभी बहुत दूर है । बात इसकी योजनाओं की करें तो मुझे लगता है कि मोदी सरकार की सबसे अच्छी और क्रांतिकारी योजना सांसद आदर्श ग्राम योजना थी, जिसमें यह असफल सिद्ध हुई है । इस योजना के माध्यम से केंद्रीय नेतृत्व ना सिर्फ अपने हर सासंद को उसके अपने क्षेत्र की जनता के प्रति उसे सदैव जिम्मेवार और जवाबदेह बनाए रख सकता था बल्कि इन नौ वर्षों में सिर्फ अपने सत्ताधारी सांसदों के माध्यम से ही अब तक देश के तीन हजार से ज्यादा गांवों को आदर्श और विकसित गांव के रुप में एक नये और विकसित भारत की पहचान बना सकता था ! बात देश के आधारभूत विकास की करें तो उसमें मुख्य रूप से सड़क, सुरक्षा, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र आते हैं । इनमें सड़क और सुरक्षा के क्षेत्र में इस सरकार ने ध्यान और प्राथमिक परिणाम जरूर दिया है पर नई शिक्षा नीति लागू करने और कई बड़े अस्पताल खोलने के बावजूद अभी भी शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में यह सरकार आशातीत और न्यूनतम जरुरी सुधार नहीं कर पाई है । दोनों ही क्षेत्र में जमीनी तौर पर अनगिनत व्यवस्थागत विंसगतियां और त्रुटियां भरी पड़ी है, जिसे देखने समझने और सुधारने की जरूरत है, पर उन पर ध्यान देने की फुर्सत और जरूरत सरकार को बिल्कुल दिखाई नहीं देती ! वास्तव में मोदी सरकार डिजीटल इंडिया की बात चाहे जितनी करे, सरकार और विकास योजनाओं के कार्यों में पारदर्शी माॅनीटरिंग का अभी भी घोर अभाव है । अंत में बात देश में कानून के राज की, तो वह भी अभी कोसों दूर की बात है ! कानून का राज महज गैर जरूरी कानूनों को खत्म करने और कुछ कानूनों में संशोधन या कुछ नये कानून बनाने मात्र से नहीं, कानून के सफलतापूर्वक क्रियान्वयन के न्यायिक और प्रशासनिक सुधारों से ही संभव है, जिन पर पर्याप्त ध्यान और कार्य नहीं दिया और किया जा रहा ।

मोदी सरकार के नौ वर्षीय कार्यकाल की संक्षिप्त और सुक्ष्म समीक्षा का प्रयास करते हुए अंत में प्रथम दृष्टया यही निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि 2014 के पहले चलती कई अत्यंत गैर जिम्मेवार, अदूरदर्शी, निकम्मी और भ्रष्ट सरकारों के कामकाज को देखते हुए व्यतीत इस नौ वर्षीय कार्यकाल को आनुपातिक रुप से बेहद शानदार और सफल कार्यकाल कहा जा सकता है । जिसमें इसने व्यापक सुधार और विकास के कई महत्वपूर्ण काम किए हैं और वे जारी भी हैं, इसलिए इस सरकार को भारतीय जनता के द्वारा अभी हर हाल में जारी रखने की बहुत ज्यादा जरूरत है ! गौरतलब है कि भारत जैसे लगभग डेढ़ अरब की तरफ बढ़ती बड़ी आबादी वाले देश में, अतीत की दीर्घकालीन अव्यवस्थाओं से उत्पन्न और पोषित अनगिनत बड़ी समस्याओं और चुनौतियों को देखते समझते हुए यह बखूबी महसूस किया जा सकता है कि इतने बड़े देश में जरुरी बदलाव के लिए बहुत संयम, समझ, समय और सुनियोजित संकल्पों और प्रयासों की जरूरत थी । दशकों से चली आ रही त्रुटिपूर्ण कार्य संस्कृति, कामचोरी, कमीशनखोरी, अफसरशाही और पथभ्रष्ट हो चुकी संपूर्ण व्यवस्था को सुधारने और व्यवस्थित करने के लिए समय की भी जरूरत थी । जिस पर मोदी सरकार ने बहुत हद तक बेहतर काम किया है और आगामी भविष्य में वह इन पर और ज्यादा काम करने के संकल्प, विश्वास और ईमानदारी से भरी भी दिखाई देती है । सबसे बड़ी और खास बात यह कि मोदी सरकार ने अपने पिछले नौ वर्षीय कार्यकाल में देश की दशा और दिशा में जो बड़े और क्रांतिकारी बदलाव लाए और काम किए हैं, उनको जारी रखने के लिए इसका बने रहना अनिवार्य है । वर्तमान भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में इस सरकार का कोई भी विश्वसनीय और संभावित विकल्प दिखाई नहीं देता । कई विपक्षी दल वर्षों से इस सरकार की पर्याप्त ईमानदारी से हैरान परेशान हुए इसके सामने खड़ा होने योग्य एक षड्यंत्रकारी गठबंधन बनाने के अथक प्रयास में लगे और भीड़े हुए हैं, जो यदि 2024 लोकसभा चुनाव से पहले बन भी जाए तो देश की जनता के भरोसे योग्य कदापि नहीं होगा । अतः कुछ कमियों, कमजोरियों के बावजूद मोदी सरकार के पिछले नौ वर्षीय कार्यकाल के सुधार और विकास के प्रयासों तथा कार्यों को देखते हुए इसे सफल और देश के लिए जरुरी सरकार मानने में किसी को थोड़ा भी संदेह नहीं होना चाहिए । इसे थोड़ा और समय देने की जरूरत है । वर्तमान राष्ट्रीय और वैश्विक समस्याओं तथा चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए यह बात बहुत स्पष्टता से कही जा सकती है कि मोदी सरकार के नौ वर्षीय कार्यकाल की उपलब्धियों से प्राप्त गर्व को ध्यान में रखते हुए इसके दसवें वर्ष के कार्यकाल को भारतीय जनता को राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाते हुए इस पर अपना विश्वास और समर्थन जारी रखना चाहिए ।