ओम प्रकाश उनियाल
किसी भी देश की आर्थिकी को बढ़ाने में पर्यटन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। दुनिया के हर कोने में कुछ न कुछ ऐसा आकर्षण छिपा हुआ है जिसे जरूरत है उजागर करने की। धार्मिक, साहसिक, ऐतिहासिक, रोमांचक, प्राकृतिक, वन्य व वन्य-जीवों, सामुद्रिक आदि से संबंधित ऐसे अनगिनत पर्यटन के विकल्प हैं जिनकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। कुछ स्थल ऐसे होते हैं जिनका प्रचार-प्रसार अधिक होने के कारण प्रकाश में आ जाते हैं। और कुछ अनछुए रह जाते है। पर्यटन कोई-सा हो उसका इतिहास, महत्व व व्यापकता की जानकारी स्थानीय लोगों को अधिक होती है। यह उन पर भी निर्भर करता है कि वे उन पर्यटन-स्थलों के विकास के लिए कितना प्रयासरत रहते हैं। पर्यटन केवल देश की जीडीपी बढ़ाने में ही सहायक नहीं होता बल्कि कई प्रकार के रोजगार के अवसर भी पैदा करता है। जिस क्षेत्र में जितने अधिक पर्यटकों की आवाजाही होगी उतना ही राजस्व बढ़ेगा। स्थानीय संस्कृति को भी बढ़ावा मिलता है। बेशक, जहां भी प्रमुख पर्यटन-स्थल होते हैं वहां अन्य प्रकार की समस्याएं भी खड़ी हो जाती हैं। जिनका हल निकाला जाना जरूरी होता है। ताकि स्थानीय लोगों को पर्यटकों से किसी प्रकार की परेशानी न हो और पर्यटकों को भी उनसे। दोनों के बीच सामंजस्य बनाए रखना आवश्यक है। स्थानीय लोगों का दायित्व बनता है कि अपने क्षेत्र के उन स्थलों के बारे में सरकार को जानकारी दें जिनके पर्यटन-स्थल बनने की अपार संभावनाएं हों। पर्यटकों को जहां ज्यादा सुविधाएं मिलेंगी पर्यटक पहले वहां जाने की पहल करेगा। भारत में पर्यटन के प्रचार-प्रसार हेतु सन् 1948 से ‘राष्ट्रीय पर्यटन दिवस’ 25 जनवरी को मनाया जाता है। जबकि, ‘विश्व पर्यटन दिवस’ 27 सितंबर को।