
ऋतुपर्ण दवे
आतंकियों की गोलियों से असमय हुईं विधवा और उन जैसी दूसरी के चीत्कार से समूची दुनिया हक्का-बक्का थी। पहली बार आताताइयों ने सुहागनों के सिंदूर को उनके सामने गोलियों से छलनी किया। निश्चित रूप से भारत और बांकी दुनिया ऐसी नृशंस और विकृति से भरी आतंकी घटना को शायद ही कभी भूल पाए। कम से उन विधवाओं को जीवन भर वो शब्द कानों में गूंजते रहेंगे “तुम्हें नहीं मारेंगे, जाओ मोदी को बता देना…..।” धर्म पूछकर छलनी करने वाले इन आतंकियों को नव विवाहताओं पर भी जरा रहम नहीं आई। स्वतंत्रता के बाद से ही भारत की आँखों की किरकिरी बने नापाक पाकिस्तान को इस बार भी लगा होगा कि भारत थोड़ी चीख-चिल्लाहट करेगा और शांत हो जाएगा। शायद ऐसे सटीक और माकूल जवाब ऑपरेशन सिन्दूर को लेकर पाकिस्तान ने सपने में भी ऐसा जवाब नहीं सोचा होगा।
मंगलवार आधी रात हुए भारत के हवाई हमलों में 26 आम नागरिकों की मौत के बाद से ही दोनों देशों के बीच नियंत्रण रेखा पर तनाव चरम पर था। भारत ने दावे के बावजूद इस बात के सबूत भी दिए उसने वहां सिविलयनों और पाकिस्तानी फौज को बिना नुकसान पहुंचाए उन 9 चुनिंदा स्थानों पर सटीक हमला किया जो आतंक के गढ़ बने हुए थे। इन जगहों के बारे में अब एक-एक भारतीय और दुनिया को पूरी और प्रमाणित जानकारी हो चुकी है। बंटवारे के फौरन बाद से ही भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के हालात ऐसे हैं जो समय के साथ बढ़ते गए। विभाजन की कीमत पर बंटे दोनों देशों में पाकिस्तान ने मुसलमानों को तो भारत ने धर्मनिरपेक्षता को चुना। लेकिन तनाव में दोनों के ही हजारों लोगों की जान जा चुकी है। बंटते ही दोनों देशों के बीच पहला युध्द हुआ 1947 में हुआ जिसे प्रथम कश्मीर युद्ध भी कहते हैं। कश्मीर पर पहले पाकिस्तान ने हमला किया। राजा हरि सिंह ने स्थिति भांपते ही भारत में कश्मीर के विलय के कागजात पर दस्तखत किए। लेकिन तब तक आपसी तनाव काफी भड़क चुका था। संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता से युध्द विराम हुआ। यह तय हुआ कि वहां जनमत संग्रह से तय होगा कि कश्मीर किधर जाएगा, जो हुआ ही नहीं। कश्मीरियों ने भारत के प्रति अपनी मंशा पहले ही जता दी थी। 1965 में फिर युध्द हुआ। हजारों जान जाने के बाद सोवियत संघ और अमेरिकी मध्यस्थता से फिर संघर्ष विराम हुआ। महीनों की बातचीत के बाद ताशकंद समझौता हुआ।
दोनों ने युध्द में कब्जाई जमीनें एक-दूसरे को लौटाईं और सेना वापस बुलाई। लेकिन पाकिस्तान अंदर ही अंदर सुलगता रहा। जिसकी परिणिति पूर्वी पाकिस्तान में खुले विद्रोह के रूप में सामने आई। यहां भारत ने वहां के बंगालियों का साथ दिया। पूर्वी हिस्सा आजाद होकर बांग्ला देश बन गया। 1972 में हुए शांति समझौता में कश्मीर में संघर्ष विराम की नियंत्रण रेखा यानी एलओसी तय हुई, जहां दोनों सेनाएं तैनात हुईं। अपनी हरकातों और चाल, चरित्र से बाज नहीं आ रहे पाकिस्तान ने 1989 में कश्मीर में फिर नफरत को हवा दी। वहां उग्रवादी आन्दोलन हुआ। कश्मीरी पंडितों को भागना पड़ा। भारत की सख्ती और कूटनीति के बावजूद पाकिस्तान बाज नहीं आया। 1999 में कारगिल युध्द हुआ। पाकिस्तान ने कश्मीर के कई स्थानों पर कब्जा कर लिया। 10 हफ्ते चली लड़ाई में हजारों जान गई। भारत के टैंक और हवाई बमबारी के बीच परमाणु युध्द से हालात बन गए। अमरीकी कोशिशों से युध्द थमा। लेकिन 2008 मुंबई में फिर आतंकी हुआ। इसमें 250 निर्दोषों की जान गई। भारत ने 9 आतंकियों को ढ़ेर और एक को जिंदा पकड़ दुनिया के सामने पाकिस्तान को बेनकाब कर दिया। बावजूद इसके पाकिस्तान सबूत-सबूत चिल्लाता रहा जो देने के बावजूद भी दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई। 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक की विवशता से एक बार फिर भारत ने कश्मीर में सेना के ठिकानों पर घुसे आतंकवादियों को जवाब दिया। इसमें कम से कम 18 सैनिकों की शहादत हुई। 2019 में फिर युध्द के हालात बनें। आतंकियों ने विस्फोटकों से भरी कार को भारतीय सुरक्षा बलों को ले जा रही बस से टकरा दी। हमारे 40 सैनिक शहीद हो गए। तब भारत ने फिर आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया।
पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से कभी न तो बाज आया न ही कुछ सीख ली। और अब 22 अप्रैल को पहलगाम में पर्यटकों पर हमला कर महिलाओं के सामने ही घर के पुरुषों को चुन-चुन कर गोलियों से भूना। इसकी विश्व व्यापी निंदा हुई। किंकर्तव्यविमूढ़ भारत ने मंगलवार रात जो किया, उसे समूची दुनिया ने देखा। भारत के जवाब से तिलमिलाए पाकिस्तानी आपस में ही गुत्थमगुत्था हैं। वो मानते हैं कि भारतीयों सा मिसाइल दागने का कोई सानी नहीं। पाकिस्तान की दुविधा समझ आती है कि वो अब करे तो क्या करे? यह सच है कि चीन, पाकिस्तान का सहयोगी है। काफी कुछ झूठ परोसेगा। लेकिन भारत ने बिना पाकिस्तानी एयर स्पेस में घुसे जो सटीक और अचूक निशानों से दहशत के ठिकानों को रौंदा है उससे तकनीकी और मारक क्षमता दोनों जग जाहिर हुई। यह यकीनन सैन्य दृष्टि से दुनिया में सर्वश्रेष्ठ प्रयास के रूप में दर्ज होना ही है।
चीन को लेकर भारत ज्यादा चिंतित नहीं है। चीन कभी नहीं चाहेगा कि भारत-पाकिस्तान के बीच युध्द हो। उसने 2005 से 2024 के बीच करीब 68 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश वहां कर रखा है। वहीं अमेरिकी टैरिफ से त्रस्त चीन. भारत में बहुत बड़े बाजार का सपना देख रहा है। यह भी सच है कि कई कारणों से पाकिस्तान में तमाम चीनी परियोजनाओं पर संकट ही संकट है। यकीनन तनाव बढ़ने से चीन के सारे सपने टूटेंगे। कर्ज से परेशान पाकिस्तान को एफएटीएफ यानी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की कठोर कार्यवाइयों से बचाने, आगे चीन कैसी मदद देगा, सवालों में है? अभी तो चीन को पाकिस्तान में ही अपने नागरिकों की सुरक्षा की जबरदस्त चिंता है। ऐसे में भला चीन क्यों चाहेगा कि नया तनाव बढ़े और उसकी परियोजनाएं खतरों में आ जाएं। उधर उसका ग्वादर पोर्ट भी पाकिस्तान में तैयार है। लेकिन सवाल यह कि बेबस चीन क्या-क्या करेगा? वह पहले ही अमेरिका से टैरिफ वार में फंसा हुआ है। अब क्यों किसी नए मोर्चे पर, तकनीक के कमाल पर कमाल दिखाते भारत के साथ पंगा लेगा।
पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में हमारा ऑपरेशन सिंदूर अभी अधूरा है! हालाकि दुनिया मान बैठी कि जब तक पाकिस्तानी आतंकियों के सारे ठिकानें भारत, नेस्तनाबूद नहीं कर देगा, शांत बैठने वाला नहीं। अभी पीओके में कम से कम 21 ठिकानें चिन्हित हैं जिसे रौंदना है। भारत के शौर्य और पराक्रम पर जरा भी संदेह किसी को नहीं है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर की कामयाबी के बाद जो समझाना चाहा उससे साफ झलकता है कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई की यह शुरुआत है। अभी तो सिर्फ 9 ठिकानों पर लगभग 70 आतंकी कैंपों को नेस्तनाबूद किया गया है। जबकि ढ़ेरों अभी बांकी है। ऑपरेशन सिंदूर की कामियाबी का सच बताने में भारत ने पीड़ित महिलाओं के सम्मान का पूरा ध्यान रखा। कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह तथा विदेश सचिव विक्रम मिसरी के जरिए आधिकारिक सच दुनिया को बता निश्चित रूप से काबिल-ए-तारीफ काम किया। यह तो शुरुआत है, मिशन सिन्दूर-1 की। अंत, भारत की सहनशीलता और बार-बार छेड़े जाने के ठोस जवाबी सफलता का अनन्त होगा। मुंह की खाया पाकिस्तान जुबानी जंग में कुछ भी कहे लेकिन जो सबूत भारत ने दिए उससे उसे सिवाय शर्मिन्दगी के कुछ हासिल होने वाला नहीं। यकीनन मोदी ने वो बता दिया जो तुमने मोदी को बताने कहा था। शायद पाकिस्तान समझ पाता कि सिन्दूर के मायने क्या हैं?