- दुनिया में इस समय केवल दो या ती टीम ही हमारी भारतीय जूनियर टीम के स्तर की
- अब हमारा मेरा फोकस एफआईएच जूनियर हॉकी विश्व कप जीतने पर
- हमारी जू. टीम में अपने हॉकी कौशल से किसी भी टीम के स्ट्रक्चर को तोडऩे का दम
- दीपक ठाकुर ने मेरा हॉकी कौशल निखारने में अहम भूमिका निभाई
सत्येन्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली : अंगदबीर सिंह, उत्तम सिंह, अरिजित सिंह हुंदल और विष्णुकांत सिंह की चौकड़ी ने हाल ही में भारत को सलाला (ओमान) जूनियर पुरुष हॉकी एशिया कप जिता इस साल के आखिर में क्वालालंपुर(मलयेशिया) में होने वाले एफआईएच जूनियर पुरु ष हॉकी विश्व कप के लिए सीधे क्वॉलिफाई कराने में अहम भूमिका निभाई। भारत की जूनियर टीम के कप्तान उत्तम सिंह, अरिजित हुंदल और विष्णुकांत और अंगदबीर में देश के हॉकी पारखियों को आने वाले कल के नायक दिखाई दे रहे हैं। अंगदबीर सिंह के पिता अरविंदर पाल सिंह चंडीगढ़ में कंप्यूटर इंस्टिटयूट चलाते हैं। पिता अरविंदर खुद हॉकी नहीं खेले, लेकिन हॉकी उन्हें इतनी पसंद थी कि पांच -छह की उम्र में उन्होंने अपने बेटे अंगदबीर सिह के हाथ में किसी खिलौने की तरह हॉकी थमा दी। बेटे अंगदबीर को भी हॉकी खूब रास आई। चंडीगढ़ के सैक्टर 42 हॉकी स्टेडियम में खासतौर पर भारत के दीपक ठाकुर और प्रभजोत सिंह जैसे पूर्व हॉकी खिलाडिय़ों को हॉकी खेलता देखअंगद ने भी भारत के लिए हॉकी खेलने का सपना संजोया। खुद बीसीए कर रहे अंगद की एक जुड़वा बहन उपनीत कौर हैं, जो एमबीबीएस कर रही हैं और बड़ी बहन ब्रह्मïजोत कौर इंजिनियर हैं। अंगद का भारत के लिए हॉकी खेलने का सपना जोहोर बाहरू कप जूनियर हॉकी खेलने से पूरा भी हुआ। अंगदबीर सिंह से उनके अब तक के हॉकी सफर पर बेंगलुरू से फोन पर लंबी बातचीत हुई।
अंगदबीर बताते हैं, ‘मैं स्ट्राइकर हूं। मेरा जूनियर भारतीय टीम के साथी अरिजित हंदल, कप्तान उत्तम सिंह और आदित्य के साथ बहुत अच्छा तालमेल है। मैं बतौर स्ट्राइकर अंतर्राष्टï्रीय हॉकी में अचूक शॉट लगाने में पारंगत होना चाहता हूं। मैं भारत के लिए अगले जूनियर टूर्नामेंट में सर्वश्रेष्ठï बनना चाहता हूं। पाकिस्तान के खिलाफ जूनियर एशिया कप फाइनल जीतने से हमारी टीम में यह विश्वास पैदा हुआ कि हम किसी भी टीम से पार पा सकते हैं। ऑस्ट्रेलिया को हरा जोहोर बाहरू जूनियर हॉकी टूर्नामेंट जीता से भी हमारा विश्वास खासा बढ़ा है। पाकिस्तान के खिलाफ जूनियर हॉकी एशिया कप फाइनल जीतने से बतौर टीम हमारी जूनियर टीम को बड़े मैचों के दबाव को झेलने के लिए जेहनी तौर पर बेहतर तैयार होने में मदद मिलेगी। मेरा मानना है कि हमारी मौजूदा जूनियर भारतीय हॉकी टीम एशिया की बेशक नंबर एक टीम है। दुनिया में इस केवल दो या तीन जूनियर टीम ही हमारी भारतीय जूनियर टीम के स्तर की हैं। 2016 में लखनउ में भारतीय टीम ने जूनियर हॉकी विश्व कप जीता, लेकिन उसके बाद भुवनेश्वर में हुए अगले संस्करण में हमारी टीम 2021 में चौथे स्थान पर रही। मैं तब भारतीय जूनियर हॉकी टीम में नहीं था। अभी हाल ही में सलाला (ओमान) में भारत को जूनियर हॉकी एशिया कप जीतने के बाद अब हमारा मेरा फोकस एफआईएच जूनियर हॉकी विश्व कप जीतने पर है। हम इस बार जूनियर हॉकी विश्व कप जीतने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। अब हमारी जूनियर भारतीय टीम को जल्द ही आगे यूरोप के दौरे पर जाना है और इसमें हम इस साल के आखिर में मलयेशिया में होने वाले एफआईएच जूनियर हॉकी विश्व कप से पहले जो भी थोड़ी बहुत कमी जूनियर एशिया कप जीतने के बावजूद रह गई उन्हें दूर करने की कोशिश करेंगे। मैं जोहोर बाहरू जूनियर हॉकी टूर्नामेंट मे भारत की जूनियर हॉकी टीम के लिए खेला और हम इसमें खिताब जीतने में सफल रहे। आज के जमाने की हॉकी में स्किल यानी कौशल का रोल अहम है। आज दुनिया में हर टीम एक स्ट्रक्चर से खेलती है और हमारी जूनियर टीम अपने हॉकी कौशल से किसी भी टीम के स्ट्रक्चर को तोडऩे का दम है। हमारी कोशिश जवाबी हमला बोल अपने हा़ॅकी कौशल के सहारे उसका स्ट्रक्चर तोडऩे की रहती है। मैं जब भारतीय जूनियर हॉकी टीम में पहले पहले आया तब करियप्पा सर हमारे कोच थे। कुछ समय तक हमारी जूनियर टीम के कोच की जिम्मेदारी देश के महान सेंटर हाफ सरदार सिंह अर करियप्पा सर ने संभाली और सीआर कुमार हमारे कोच हैं। वह करीब साल भर से ज्यादा से हमारे कोच हैं और हम सभी उन्हीं की रणनीति के मुताबिक अपने खेल को ढाल चुके हैं।’
वह बताते हैं, ‘मैं चंडीगढ़ का ही रहना वाला है। मेरे परिवार में कोई हॉकी नहीं खेला। पिताजी अरविंदर पाल सिंह का चंडीगढ़ में कंप्यूटर इंस्टिटयूट है। मैंं उनके साथ पांच छह बरस की उम्र से सेक्टर 42 हॉकी स्टेडियम में हॉकी खेलने जाने लगा था। भारत के पूर्व सीनयिर हॉकी खिलाडिय़ों दीपक ठाकुर , बलजीत सिह, प्रभजोत सिंह को चंडीगढ़ के सैक्टर 42 स्टेडियम में हॉकी खेलता देख कर मैंनें भी भारत के लिए हॉकी खेलने का सपना संजोया। मैं उन खुशकिस्मत हॉकी खिलाडिय़ों मे से एक हूं जिनका यह सपना हकीकत में भी तब्दील हुआ। मुझे जनवरी, 2022 में मुझे पहली बार भारत की जूनियर राष्टï्रीय शिविर के लिए चुना गया मैं।
दीपक ठाकुर ने मेरा हॉकी कौशल निखारने में अहम भूमिका निभाई। मै इंडियन ऑयल बतौर गेस्ट खिलाड़ी हाकी खेल चुका हूं। मैं खुश हूं कि मैं सात गोल भारत को ओमान में जूनियर हॉकी एशिया कप जिताने में योगदान करने में सफल रहा। हमारी जूनियर भारतीय हॉकी टीम में हम छह स्ट्राइकरों का टीम में तीन-तीन खिलाडिय़ों का बैच है। हमारी जूनियर हॉकी टीम के हम सभी स्ट्राइकरों की ताकत अलग अलग है। हममें से किसी ïस्ट्राइकर का हॉकी कौशल लाजवाब है तो कोई रफ्तार के साथ गेंद को प्रतिद्वंद्वी टीम की डी में पहुंच कर उसके किले को तोड़ गोल करने में पारंगत है। हम सभी साथी स्ट्राइकर एक दूसरे के हॉकी कौशल के साथ कदमताल कर खेलते है। घरेलू हॉकी और जूनियर अंतर्राष्टï्रीय स्तर हॉकी की रफ्तार एकदम अलग है। अंतर्राष्टï्रीय हॉकी वाकई घरेलू हॉकी से एकदम अलग है। इसमें ताकत तो जरूरी है ही इसमें ज्यादा रणनीतिक हॉकी खेलने की जरूरत होती है। बतौर हॉकी खिलाड़ी मेरे आदर्श भारत के तेज तर्रार स्ट्राइकर रहे दीपक ठाकुर हैं। दीपक ठाकुर के गेंद को रफ्तार के साथ प्रतिद्वंद्वी टीम की डी में घुस कर बहुत समझबूझ से गोल में डालने के हॉकी कौशल का मैं कायल हूं। मैं अपने हॉकी कौशल को बेहतर करने के लिए आज भी दीपक ठाकुर के पुराने हॉकी मैचों के वीडियो देख कर अपना खेल बेहतर करने के गुर तलाशता हूं। दीपक ठाकुर से मैंने मैदान पर हॉकी कौशल को संवारने के साथ मैदान पर खुद को कैसे संभालना है यह भी खूब सीखा। मैं जर्मनी के फ्लोरियन फुश्च के गेंद पर नियंत्रण से अभिभूत हूं और उनकी तरह मैं गेंद पर नियंत्रण सीखने की पुरजोर कोशिश करता हूं। हमारी जूनियर भारतीय टीम के खिलाडिय़ों को अपनी सीनियर टीम के खिलाडिय़ों के साथ खेलने से अपना खेल और बेहतर करने की प्रेरणा मिली। हमारी जूनियर भारतीय हॉकी टीम के खिलाडिय़ों में सीनियर टीम के नए चीफ कोच क्रेग फुल्टन के साथ संवाद से यह आत्मविश्वास आया कि जूनियर टीम के लिए निरंतर बेहतर खेल कर वे भी सीनियर टीम में जगह बना सकते हैं।’