सुरेश मनचन्दा
15 अगस्त 1947, जहां एक और देश आज़ादी मिलने पर जश्न मना रहा था वहीं दूसरी तरफ उसके पूरे देश के हाथ से पश्चिमी पंजाब का एक बहुत बड़ा हिस्सा उसके हाथ से खिसक गया था, जिसकी भनक आज देश को सुनाई पड़ती है और उस भनक का नाम है पाकिस्तान। इस पर आगे बात करुं सबसे पहले देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का दिल की गहराईयों से धन्यवाद करता हूं कि उन्होने 75 साल के बाद ही सही 1947 की विभाजन की त्रासदी को याद तो किया, कम से कम 14 अगस्त विभाजन विभिषिका दिवस देश को समर्पित तो किया। हालांकि लोग केवल इसे 1947 में भारत के अविभाजित हिस्से जो आज पाकिस्तान है से भारत के दूसरे हिस्सों में आकर बसे के साथ ही जोड़ कर देखा जा रहा है, जिन्होने 1947 में अपनों को खोया, अपनी जमीन खोई, जायदाद खोई और अपनी विरासत खोई के साथ ही इस विभाजन विभिषिका को जोड़ कर देखा जा रहा है। लेकिन प्रधानमंत्री का संदेश विभाजन विभिषिका तो पूरे देश के लिए है। क्योंकि ये त्रासदी केवल उस समय के पंजाब के पंजाबियों के लिए ही नहीं थी। ये त्रासदी तो पूरे भारत की थी। उस विभाजन में भारत के हाथ से वो जमीन का हिस्सा पाकिस्तान में चला गया जिस ने देश को हिन्दु शब्द दिया। उस विभाजन में देश का वो हिस्सा चला गया जिसने देश को व्यास ऋषि दिए और जहां पर हिन्दुत्व ने जन्म लिया, ग्रंथों की रचना हुई। व्यास जी के काव्य लिखे गए। उस विभाजन में सिन्धु सभ्यता भारत से खो गई। उस विभाजन में केवल अरोड़ा या सिखों का कत्ल नहीं हुआ था, उसमें बाह्मण, शुद्र, जमींदार, और 36 बिरादरियों के लोगों का भी कत्लेआम हुआ था। उस विभाजन में आपकी वो सुन्दर वादियां और सबसे उपजाऊ जमीन का हिस्सा चला गया। तो ये विभाजन विभिषिका केवल अरोड़ा – खत्री तक ही सीमित क्यूं रह रही है ?
14 अगस्त, विभाजन विभिषिका पूरे देश को एक साथ हो कर मनानी चाहिए। और सभी को ये शपथ भी साथ लेनी चाहिए कि अब भारत दूसरा कोई विभाजन विभिषिका नहीं देखेगा। विभाजन विभिषिका नॉट एगेन। हालांकि मैं यहां पूरे देश की तरफ से प्रधानमंत्री जी का धन्यवाद करता हूं कि उन्होने विभाजन विभिषिका दिवस देकर कम से कम देश को उस त्रासदी को याद रखने का मौका दिया और साथ ही इसमें जो संदेश आप ने दिया कि ये त्रासदी भारत फिर ना देखे, देश के हर नागरिक तक पहुंचाया।
लेकिन देश का नागरिक इसे समझ नहीं पाया। देश की सभी सरकारों को चाहिए कि यह संदेश हर जन तक जाए और विभाजन विभिषिका का मतलब सभी को पता चले। अगर हम केवल पंजाबियों तक भी इसे सीमित करते हैं तो भी यह केवल हरियाणा तक ही सीमित रह गई है। विभाजन के समय आने वाले लोगों की बहुत बड़ी संख्या पंजाब, दिल्ली, उत्तराखंड, राजस्थान, पश्चिमी उत्तर-प्रदेश में भी है वहां विभाजन विभिषिका की गूंज सुनाई नहीं दे रही। मेरा मानना है कि देश का नागरिक किसी भी पार्टी की विचारधारा से जुड़ा हो इससे उसे कोई प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। और जैसे देश में दीवाली का पर्व, होली सभी मिलकर मनाते हैं ऐसे ही सभी को विभाजन विभिषिका को साथ में मिल कर मनाना चाहिए। एक हो कर मनाना चाहिए। राजनीति अपनी जगह है लेकिन देश के बारे में विचार और देश के लिए सोच सबसे पहले होनी चाहिए।
14 अगस्त को हरियाणा के फतेहाबाद में विभाजन विभिषिका को लेकर बड़ा कार्यक्रम होने जा रहा है, इस लेख के माध्यम से मैं सुरेश मनचन्दा सभी जातियों का आवहन करता हूं कि वे सभी इस विभाजन विभिषिका में हिस्सा लें। और खासतौर पर वे परिवार तो जरुर शामिल हो जिन्होने 1947 की त्रासदी झेली है। खासतौर पर अपना ध्यान केवल हरियाणा तक ही सीमित रखते हुए कांग्रेस विचारधारा रखने वाले हरियाणा के पूर्व ग्रहमंत्री सुभाष बत्रा हों, या फिर सिरसा से ईनेलो पार्टी को समर्थन दे रहे गौकुल सेतिया हों और हाल ही में कांग्रेस में शामिल होने जा रहे सिरसा से पंजाबियों के नेता विरभान हों। सभी को विभाजन विभिषिका में जरुर साथ होना चाहिए। क्योंकि उनके परिवारों ने इस त्रासदी को झेला है। मेरा उन नेताओं से ये सवाल भी है जो, अपने आपको पंजाबी नेता कहते हैं कि कितनी बार उन्होने अपने पूर्वजों की शहादत को नमन करते हुए और उन्हें सम्मान दिलाने के लिए सरकारों से बात की और आवाज उठाई ? मेरा यहां पर उन सभी पंजाबी नेताओं (जो किसी भी पार्टी से जुड़े हुए है) से सवाल है कि सरकार ने 14 अगस्त विभाजन विभिषिका दिवस आपको दिया है, इसे कैसे बड़ा किया जाए क्या ये काम भी प्रधानमंत्री या सरकार करेगी ? क्या आपका और हमारा कोई फर्ज नहीं अपने पूर्वजों को याद करने का, उन्हें सम्मान देने का ?
क्या इस पर किसी भी पार्टी के नेता के विचार भिन्न हो सकते हैं ? क्या आपको एक होकर अपने उन पूर्वजों की शहादत को नमन नहीं करना चाहिए ? भले ही आप अपने अंदाज में करें, लेकिन इस दिवस को मनाए जरुर।
जिस विभाजन ने 20 लाख से ज्यादा हिन्दुओं का नरसंहार देखा हो, विश्व का अबतक का सबसे बड़ा नागरिक विस्थापन देखा हो जिसमें 2 करोड़ लोग प्रभावित हुए। उस विभाजन को देश को कभी नहीं भूलना चाहिए। हमारे आने वाली पीढ़ी भी उस विभाजन को याद रखे और उन्हें भी ये पता हो कि उनके पूर्वजों के साथ क्या हुआ था। उन्हें पता होना चाहिए कि जो आज उन्हें सांसे मिली हैं, तो, वो उनके पूर्वजों की कुर्बानियों की वजह से मिलीं हैं। उन्हें पता होना चाहिए कि उनके परिवार की महिलाओं ने कुओं में छलांग लगानी और अपनी जान देनी सही समझी लेकिन अपनी इज्जत पाकिस्तानियों के हाथों लुटने नहीं दी। गर्व होना चाहिए हमें अपने आप पर कि हम उनकी सन्तानें हैं जिन्होने सिर कलम करवाना अपनी शान समझा लेकिन कलमा पड़ना कबूल नहीं किया, हमें अपने खून के हर उस कतरे पर गर्व होना चाहिए जिन्होने अपने परिश्रम की गर्मी से फिर अपने वज़ूद को खड़ा कर लिया लेकिन किसी के आगे हाथ नहीं फैलाए।
बड़ा ही दुःख होता है जब ये देखते हैं कि हमारे अपने ही किसी राजनीति पार्टी में छोटे-छोटे पद पाने के लिए अपनी एकता को ही राजनीति का मोहरा बना लेते हैं और अपनों के विरुद्ध खड़े हो जाते हैं। बीते कुछ सालों में 1947 में आए उन भारतीयों को जातियों के नाम पर, यहां तक की अरोड़ा अलग, खत्री अलग, मैहता अलग, सचदेवा अलग, भाटिया अलग कर उन्हें केवल वोट बैंक के लिए प्रयोग में लिया गया। अब इन सबसे ऊपर उठने की जरुरत है, साथ ही जरुरत है वोट बैंक की राजनीति खेलने वाली छुट-भईया पार्टीयों से निजात दिलाने की। तकलीफ तब और बढ़ जाती है जब आप को राजनीति की अंगीठी पर हल्का लालच देकर अपने पूर्वजों के बलिदान के ही खिलाफ खड़ा कर दिया जाता है।
हरियाणा में विभाजन विभिषिका इसलिए और महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि मुख्यमंत्री, मनोहर लाल खट्टर के परिवार ने भी इस त्रासदी को देखा है और इसकी पीड़ा से उनका परिवार भी निकला है, लेकिन हरियाणा के साथ लगते दिल्ली के उन परिवारों को स्वयं आगे आना चाहिए, राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर-प्रदेश और मध्य-प्रदेश के उन परिवारों को कम से कम विभाजन विभिषिका में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिए जिन के परिवारों ने इस त्रासदी की आग को पार किया है।
14 अगस्त को वैसे तो देश के हर हिस्से में विभाजन विभिषिका दिवस अपने अपने स्तर पर हर किसी को मनाना चाहिए। लेकिन फतेहाबाद में होने जा रहे जन-समूह के साथ जुड़ कर देश का हर नागरिक इसे खास बनाने के लिए आप सभी को फतेहाबाद पहुंचना चाहिए।