पुष्पेन्द्र दीक्षित
इंदिरा गांधी सरकार द्वारा सन् 1969 में 14 बैंकों के राष्ट्रीयकरण के बाद देश के बैंकिग क्षेत्र में अभूतपूर्व परिवर्तन देखने को मिले । राष्ट्रीकरण से न सिर्फ देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली बल्कि देश में व्याप्त देशी बैंकर्स व महाजन के मकड़जाल को समाप्त करने में भी महत्तवपूर्ण भूमिका निभायी । इससे जनता को उचित ब्याज दर पर ऋण मुहैया हुआ तथा अपने धन को रखने का भी सुरक्षित स्थान मिला ।किंतु यह बैंकिंग तंत्र देश के शहरों तक ही सीमित रह गया था । सुदूर ग्रामीण इलाके बैंकिंग तंत्र की पहुंच से दूर थे । इस समस्या को दृष्टिगत रखते हुए तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार द्वारा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की स्थापना 26 सितम्बर 1975 के अध्यादेश और 1976 के आरआरबी अधिनियम के प्रावधानों के तहत की गई । जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में भी बैंकिंग तंत्र को स्थापित कर ग्रामीण क्षेत्र की जनता को भी कृषि और लघु व मध्मय उधोगों को शुरु करने हेतु उचित ब्याज दर पर ऋण मुहैया कराये जाने के साथ- साथ अन्य बैंकिग भी सेवाएं प्रदान की जा सकें । आरआरबी अधिनियम के तहत देश का पहला ग्रामीण बैंक उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में प्रथमा ग्रामीण बैंक 5 करोड़ की आरंभिक पूँजी के साथ स्थापित किया गया ।इसके एक वर्ष के बाद 2 अक्टूबर 1976 को पांच अन्य ग्रामीण बैंको की शुरूआत हुई । जिनकी कुल आरंभिक पूंजी 100 करोड़ थी । पूर्वी भारत का पहला ग्रामीण बैंक गौर ग्रामीण बैंक था जिसे मालदा पश्चिम बंगाल में खोला गया ।
निसंदेह क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की स्थापना से ग्रामीण इलाकों के विकास में मील का पत्थर साबित हुई ,लेकिन वर्तमान में ग्रामीण बैंको की ओर देखा जाये तो हम पायेंगे की ग्रामीण बैंक घाटे में चल रहे हैं । इसका सबसे बड़ा कारण है कि इन बैंकों का स्वतंत्र रूप से काम न कर पाना ,क्योंकि भारत सरकार (50 प्रतिशत),राज्य सरकार (15 प्रतिशत) और प्रायोजित बैंक (35 प्रतिशत) की भारी हिस्सेदारी की वजह से यह स्वंत्रत निर्णय लेने में सक्षम नहीं है। ग्रामीण बैंकों को मजबूत करने के लिए इनको अत्याधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण कर, इनके आईटी इंफ्राट्रक्चर को भी मजबूती प्रदान करना अत्यंत आवश्यक है । ग्रामीण बैंकों को कोर बैंकिंग समाधान ( सीबीएस ) की तर्ज पर एक मजबूत ढांचा प्रदान करने की आवश्यकता है । जिससे यह बैंकें भी अपने ग्राहकों को आनलाइन तथा इंटरनेट बैंकिग जैसी सुविधायें प्रदान कर सकें । वर्तमान में संचालित 43 ग्रामीण बैंकों में से 19 ग्रामीण बैंकों के पास इंटरनेट बैंकिग जैसी सुविधाएँ हैं तथा 37 ग्रामीण बैंकों के पास मोबाइल बैंकिंग का लाइसेंस है ।
ग्रामीण बैंकें ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है । अत: सरकार को इनको मजबूत करने की दिशा में काम करते हुए क्षेत्रीय बैंकों को स्वयत्ता प्रदान करना होगा । इसके लिए सरकार को देश में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के स्वतंत्र समुह की स्थापना कर इन बैंकों को सुढृढ़ करना होगा ।