
अशोक भाटिया
79वें स्वतंत्रता दिवस पर PM मोदी ने लाल किले पर लगातार 12वीं बार तिरंगा फहराया। इस दौरान उन्होंने 103 मिनट का भाषण दिया। यह अब तक के किसी भी प्रधानमंत्री का लाल किले से दिया सबसे लंबा भाषण है।लाल किले पर भाषण देकर मोदी ने अपना ही रिकॉर्ड तोड़ा है। उन्होंने 2015 में 88 मिनट का भाषण दिया था। तब उन्होंने पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू का रिकॉर्ड तोड़ा था। नेहरू ने 1947 में 72 मिनट का भाषण दिया था। सच हो या झूठ, जिनके पास बात करने के लिए बहुत सारे मुद्दे हैं और जो इस मौके पर देश के सामने पेश करना चाहते हैं, उनका भाषण लंबा होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल लाल किले से जो भाषण दिया वो ठीक वैसे ही जैसे एक ऐसे राष्ट्र के नेता को अपने स्वतंत्रता दिवस पर बोलना चाहिए जो अगले दो दशकों के बाद अपने माथे पर बैठकर विकासशील राष्ट्र की मुहर पोंछकर गर्व से ‘विकसित राष्ट्र’ का खिताब जीतने के लिए प्रतिबद्ध है।ऊर्जा के बदलते स्रोत और आत्मरक्षा के लिए देश द्वारा अपनाई गई नीतियां सभी महत्वपूर्ण मुद्दे थे जिन्हें उनके लंबे भाषण में उजागर किया गया था। बदलती तकनीक और दुनिया की बदलती अर्थव्यवस्था आज के प्रमुख मुद्दे हैं। पूरी दुनिया एक अस्थिर दौर से गुजर रही है। यह अस्थिरता केवल हिंसक घटनाओं या युद्ध के कारण है। कोई अस्थिरता नहीं। दुनिया की अर्थव्यवस्था बदल रही है। नए युग में, युद्ध अब युद्ध के मैदान के बजाय आर्थिक मोर्चे पर होंगे। एक समय था जब दुनिया पर अंग्रेजों का नियंत्रण था। उनका साम्राज्य दुनिया के हर कोने में फैला हुआ था। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, इंग्लैंड की अर्थव्यवस्था शुरू हुई। एक नई आर्थिक शक्ति, अमेरिका, उभरी। अब यह अर्थव्यवस्था भी हिल रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि एशिया में सत्ता का कांटा घूम रहा है। चीन को भी इस संबंध में देखा जा रहा है। भारत तीसरी सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था भी बन गया है। आगे बढ़ रहा है। आज दुनिया की तीन सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से दो एशिया में हैं। अगर अर्थव्यवस्था के लिहाज से चीन और भारत दोनों को दुनिया की दो महाशक्तियों के रूप में गिना जाए तो भूगोल और आर्थिक के लिहाज से दुनिया का पूरा ढांचा बदल जाएगा।
देश के प्रधानमंत्री के तौर पर मोदी इस स्थिति में जो कहते हैं, उसे पूरी दुनिया देख रही थी। पाकिस्तान भारत का पारंपरिक दुश्मन है। यह अमेरिका और चीन दोनों शक्तिशाली महाशक्तियों का दोष है। यह सर्वविदित है। पाकिस्तान का नेतृत्व राजनीतिक नहीं है। यह वास्तव में सेना है जो ऐसा करती है। सेना की नीतियां, सोच और निर्णय लेने की प्रक्रिया राजनीतिक नेतृत्व की नीतियों, सोच और निर्णय लेने की प्रक्रिया से बहुत अलग है। यह एक तथ्य है कि पाकिस्तान को किसी भी तरह से परमाणु हथियारों से लैस कर दिया गया है। कुछ महान शक्तियों ने भारत को निरंतर शांति में रखने के लिए इसे पाकिस्तान को सौंप दिया है। भारत ने इसके खिलाफ थोड़ा आक्रामक रुख अपनाया ।फिर भी ये महाशक्तियां तेजी से भारत को पाकिस्तान की परमाणु तैयारी में डराने की कोशिश कर रही हैं। भारत और पाकिस्तान के प्रति अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीति पिछले कुछ महीनों में पूरी तरह से उजागर हो गई है। पाकिस्तान पर काबू पाते हुए भारत को आर्थिक संकट में डालने की ट्रंप की रणनीति भी अब साफ हो गई है। इसलिए पाकिस्तान और ट्रंप को एक ही समय में चेतावनी देना जरूरी था। यह अच्छी बात है कि मोदी ने इसे अपने चिरपरिचित अंदाज में स्पष्ट और कड़े शब्दों में दिया। किसी भी राष्ट्र की ताकत उसके राष्ट्राध्यक्ष की भाषा में झलकती है। मोदी की भाषा ने कल इस धारणा की पुष्टि की। भारत उनमें से नहीं है जो अमेरिका के आयात कर लगाने और फिर जुर्माना लगाने की जिद से दबा रहे। जाहिर है कि भारत के कुछ सेक्टर, प्रमुख घटकों को नुकसान होने वाला है। इससे भारत की जीडीपी और आय पर भी असर पड़ने की संभावना है। लेकिन जब बात देश की संप्रभुता की आती है तो ऐसी बाधाओं को दूर करने में दोगुनी ताकत लगती है। पूरे विश्वास के साथ नए विकल्प खोजने होंगे। मोदी के भाषण में यह दृढ़ संकल्प स्पष्ट था।यह भी हम सभी भारतीयों के लिए बहुत संतोष का विषय होगा।
अमेरिका द्वारा शुरू की गई आर्थिक दादागिरी और चीन के साथ हमारे सीमित संबंधों को देखते हुए, भारत को आत्मनिर्भरता के मंत्र पर पहले से कहीं अधिक गंभीरता से चलना होगा। जब देश को अनाज उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की जरूरत थी, तब हम ‘हरित क्रांति’ को जोड़ने के लिए पशुपालन की ‘श्वेत क्रांति’ में सफल हुए । मछली उत्पादन बढ़ाने के लिए ‘नीली क्रांति’ की घोषणा की गई थी। लेकिन बहुत कुछ नहीं हुआ है। अब भारत को प्रौद्योगिकी में तेजी से आत्मनिर्भर बनने की जरूरत है, खासकर रक्षा उपकरण, उर्वरक, चिकित्सा और ऊर्जा के क्षेत्र में। मोदी ने अपने भाषण में इन सभी क्षेत्रों में जिस प्राथमिकता और विस्तार का उल्लेख किया, उससे देश का नेतृत्व कितना जागरूक है। यह पता चला। यह देश के युवाओं के लिए सबसे बड़ा वादा है। स्वतंत्रता दिवस पर देश के प्रधानमंत्री क्या कहते हैं, इस पर अलग-अलग देशों में राजनयिक स्तर पर ध्यान दिया जाता है। देश की क्षमताओं के बारे में जो कहा जाता है वह देश के नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण है। मोदी के भाषण में इन बातों की जानकारी भी थी और एक महान वादा भी। ये देश के 79वें स्वतंत्रता दिवस का बड़ा तोहफा है।
अंत में एक बात और प्रधानमंत्री ने 12 साल में पहली बार लाल किले से RSS का जिक्र करते हुए कहा कि ‘आज गर्व के साथ मैं इस बात का जिक्र करना चाहता हूं कि आज से 100 साल पहले एक संगठन का जन्म हुआ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ। 100 साल की राष्ट्र की सेवा बहुत ही गौरवपूर्ण है। व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण के संकल्प को लेकर 100 साल मां भारती के कल्याण का लक्ष्य लेकर मातृभूमि के लिए अपना जीवन समर्पित किया, सेवा, समर्पण संगठन और अप्रतिम अनुशासन जिसकी पहचान रही है। ऐसा आरएसएस दुनिया का सबसे बड़ा एनजीओ है।
पीएम ने कहा- जब हम लोकतंत्र और स्वतंत्र भारत की बात करते हैं, तो हमारा संविधान हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत होता है। लेकिन आज से 50 साल पहले संविधान का गला घोंट दिया गया था। देश में आपातकाल लगाया गया था। देश की किसी भी पीढ़ी को संविधान की हत्या करने वाले पापियों को भूलना नहीं चाहिए।मैंने इसी लाल किले से पंच प्रण की बात कही थी। एक बार फिर से स्मरण करना चाहता हूं। भारत को विकसित बनाने के लिए न झुकेंगे, न रुकेंगे, परिश्रम की पराकाष्ठा करेंगे, 2047 में विकसित भारत बनाकर रहेंगे।हम जीवन में, व्यवस्था, परंपराओं में गुलामी का कोई कण बचने नहीं देंगे। हम अपनी विरासत पर गर्व करेंगे। हमारी पहचान का सबसे बड़ी पहचान विरासत है, इसका गर्व करेंगे। एकता सबसे शक्तिशाली मंत्र है। एकता की डोर कोई काट न सके, इसका संकल्प लेंगे।मां भारती के प्रति कर्तव्य निभाना पूजा, आराधना से कम नहीं है। इसी भाव से हम सब मातृभूमि के कल्याण के लिए परिश्रम की पराकाष्ठा करते हुए 2047 विकसित भारत के लक्ष्य के लिए अपने आप को खपा देंगे, झोंक देंगे। नए अवसरों का निर्माण करेंगे। 140 देशवासियों के सामर्थ्य से आगे बढ़ते रहेंगे।हमें याद रखना है- परिश्रम में जो तपा है, उसने ही तो इतिहास रचा है। जिसने फौलादी चट्टानों को तोड़ा है, उसने ही समय को मोड़ा है। और समय को मोड़ देने का भी यही समय है, सही समय है।
प्रधानमंत्री ने देश के लोगों के स्वास्थ्य की ओर ध्यान देते हुए बोला कि मोटापा हमारे देश के लिए एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि आने वाले वर्षों में हर तीन में से एक व्यक्ति मोटापे से प्रभावित होगा। हमें खुद को मोटापे से बचाना होगा। इसलिए सभी को इसमें भाग लेना होगा और मैंने एक छोटा सा उपाय सुझाया था।परिवारों को यह तय करना चाहिए कि जब घर में खाना पकाने का तेल आए, तो वे 10% कम तेल का इस्तेमाल करेंगे। ऐसा करके हम मोटापे के खिलाफ लड़ाई जीतने में योगदान देंगे।
प्रधानमंत्री देश के धार्मिक त्यौहार को भी न भूले । उन्होंने कहा कल जन्माष्टमी, भगवान कृष्ण के काल से लेकर अब तक बदला युद्ध का स्वरूप । कल जन्माष्टमी का पावन पर्व है, भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव। जब मैं भगवान कृष्ण के बारे में सोचता हूं, तो मैं यह भी सोचता हूं कि आज दुनिया भर में युद्ध का स्वरूप कैसे बदल रहा है। भारत ने युद्ध के हर नए स्वरूप से निपटने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, हमने तकनीक के मामले में अपनी ताकत दिखाई, जब पाकिस्तान ने हमारे सैन्य ठिकानों, एयरबेस, रक्षा प्रतिष्ठानों, आस्था के केंद्रों और नागरिकों को निशाना बनाया, उनकी मिसाइलों और ड्रोन को नियंत्रित तरीके से रोका गया। देश ने इसे देखा, और पिछले दस वर्षों के प्रयासों की बदौलत, हमारी सेनाओं और हमारी तकनीक ने बिना कोई बड़ा नुकसान पहुंचाए हर हमले को नाकाम कर दिया। भगवान श्रीकृष्ण से प्रेरणा लेकर सुदर्शन चक्र की राह चुनी है। महाभारत की लड़ाई के दौरान श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र से सूर्य के प्रकाश को रोक दिया था और दिन में अंधेरा दिया था। तब अर्जुन ने जयद्रथ का वध करने की शपथ पूरी हुई थी। अब देश सुदर्शन चक्र मिशन लॉन्च करेगा। यह मिशन एक पावरफुल सिस्टम होगा। यह दुश्मन के हमले नाकाम करने के साथ दुश्मन पर हिटबैक भी करेगा। हमें भारत के मिशन सुदर्शन के लिए मूलभूत बातें तय की हैं। ये पूरा आधुनिक सिस्टम, रिसर्च-डेवलमेंट देश में ही हो, देश के नागरिकों की तरफ से ही हों।सुदर्शन चक्र की ताकत थी, वो जहां जाना होता था, वहीं जाता था यानी प्रिसाइज था। इसके जरिए भी हम टारगेटेड तरीके से आगे बढ़ेंगे। मैं प्रतिबद्धता से इस आगे बढ़ने का वचन देता हूं।
अशोक भाटिया, वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार ,लेखक, समीक्षक एवं टिप्पणीकार