
अजय कुमार
कनाडा के आम चुनावों में न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) के प्रमुख जगमीत सिंह को अप्रत्याशित रूप से करारी हार का सामना करना पड़ा। यह चुनाव परिणाम न केवल एनडीपी के समर्थकों के लिए एक झटका साबित हुआ, बल्कि देश की राजनीति में भी संभावित बदलाव के संकेत दे गया। सिंह, जो 2017 से पार्टी के प्रमुख हैं, बहुप्रतीक्षित सुधारों और सामाजिक न्याय की आवाज़ बनकर उभरे थे, लेकिन यह चुनाव उनकी नेतृत्व क्षमता और पार्टी की रणनीतियों पर गंभीर सवाल खड़े करता है। एनडीपी के प्रमुख जगमीत सिंह ने आम चुनाव में करारी हार के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया। जगमीत सिंह अपनी तीसरी जीत की उम्मीद लगाए बैठे थे, लेकिन ब्रिटिश कोलंबिया में बर्नबी सेंट्रल सीट से हार गए। उनकी टक्कर में लिबरल उम्मीदवार वेड चांग थे। सिंह को जहां करीब 27 प्रतिशत वोट मिले, वहीं चांग को 40 प्रतिशत से अधिक वोट मिले.जगमीत की पार्टी NDP को पूरे चुनाव में सिर्फ 7 सीटों पर जीत मिली है।
जगमीत सिंह ने 2017 में एनडीपी की कमान संभाली थी और वे इस पार्टी के पहले सिख और पहले गैर-श्वेत नेता बने। उन्होंने प्रगतिशील नीतियों जैसे कि सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा, किफायती आवास, छात्र ऋण माफी और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ ठोस कार्रवाई को अपनी राजनीति की धुरी बनाया। उनके युवा, विविध और वंचित समुदायों में मजबूत समर्थन था, जिससे ऐसा प्रतीत होता था कि एनडीपी आने वाले चुनावों में एक निर्णायक ताकत बन सकती है।
हालाँकि एनडीपी ने इस बार भी सामाजिक न्याय, पर्यावरण संरक्षण और जनकल्याण की बातें कीं, लेकिन उनका प्रचार अभियान स्पष्ट रूप से कमजोर रहा। सिंह का व्यक्तिगत करिश्मा तो था, परंतु पार्टी की नीति का संप्रेषण मतदाताओं तक प्रभावी तरीके से नहीं पहुँच पाया। दूसरी ओर, लिबरल पार्टी और कंजरवेटिव पार्टी ने अपने रणनीतिक गठजोड़ और आक्रामक प्रचार से मतदाताओं का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। एनडीपी ने कुछ सीटों पर उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर वे पिछड़ गए।
सबसे बड़ा झटका खुद जगमीत सिंह की व्यक्तिगत हार थी। उन्होंने पहले ही संकेत दिए थे कि वे इस चुनाव को पार्टी के भविष्य का जनमत संग्रह मानते हैं, लेकिन उनके निर्वाचन क्षेत्र में ही हार जाना एनडीपी के लिए प्रतीकात्मक रूप से बेहद नकारात्मक रहा। उनकी हार का मतलब केवल एक सीट नहीं, बल्कि उनके नेतृत्व पर जनता के विश्वास में कमी का संकेत है। सिंह की हार के पीछे कई कारण गिनाए जा सकते हैं। उनके द्वारा स्थानीय मुद्दों की अनदेखी कर राष्ट्रीय स्तर पर अभियान चलाने के चलते मतदाताओं में असंतोष पनपा। एनडीपी की कुछ नीतियाँ आम मतदाता को व्यावहारिक नहीं लगीं। जैसे उच्च कर प्रस्ताव, सरकारी व्यय में भारी वृद्धि आदि। लिबरल और ग्रीन पार्टी के साथ मतदाताओं का झुकाव बाँटने के कारण भी एनडीपी को नुकसान हुआ।जगमीत सिंह सरकार के विरोध में तो थे, लेकिन उन्होंने कभी ऐसा स्पष्ट रोडमैप नहीं दिया जिससे जनता को लगे कि वे सत्ता संभालने के लिए तैयार हैं।कई राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि जगमीत सिंह के पास विचार थे, लेकिन उन्हें ज़मीनी स्तर पर लागू करने की रणनीति नहीं थी। उनके अभियान में युवाओं और अल्पसंख्यकों की भागीदारी तो थी, लेकिन व्यापक जनसमूह तक पहुँच नहीं बन पाई।
कुल मिलाकर जगमीत सिंह की हार केवल एक व्यक्ति की असफलता नहीं है, बल्कि यह कनाडा में वामपंथी राजनीति की चुनौतियों का प्रतीक बन गई है। यह चुनाव परिणाम बताता है कि विचारधारा और करिश्मा पर्याप्त नहीं आधुनिक राजनीति में रणनीति, संप्रेषण और विश्वास निर्माण की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई है। एनडीपी के सामने अब खुद को फिर से खड़ा करने की चुनौती है, और इसके लिए नेतृत्व, दृष्टिकोण और दृष्टि तीनों का पुनर्मूल्यांकन ज़रूरी है