अजय कुमार
लखनऊ : महाकुंभ 2025 मेला आज से प्रारम्भ हो गया। 14 जनवरी मकर सक्रांति पर पहला शाही स्नान होगा,लेकिन इससे पहले ही मेला परिसर में एक कैंप में समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव की मूर्ति को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। कई हिंदू संतों ने इस मूर्ति को लेकर कडी आपत्ति जताई है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद समेत कई संतों ने गम्भीर आरोप लगाते हुए कहा है कि हिंदुओं के आस्था के पर्व में हिंदू विरोधी नेता की मूर्ति लगाना हिन्दुओं का अपमान है।
प्रतिमा की स्थापना पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि मुलायम सिंह यादव हिंदू विरोधी और सनातन विरोधी विचार रखते थे। अपनी सरकार रहते अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलवाई थी। पुरी ने कहा कि मुलायम सिंह यादव की प्रतिमा स्थापित करने का उद्देश्य संतों को उन घटनाओं की याद दिलाना है, जब उनके लोगों ने हिंदुओं की हत्या की थी। उन्होंने कहा, “हमें मुलायम सिंह की प्रतिमा पर कोई आपत्ति नहीं है। वह हमारे मुख्यमंत्री रहे हैं। लेकिन वे इस वक्त प्रतिमा स्थापित करके क्या संदेश देना चाहते हैं? सभी जानते हैं कि राम मंदिर आंदोलन में उन्होंने क्या किया।महंत ने कहा कि वह हमेशा हिंदू विरोधी, सनातन विरोधी और मुसलमानों के हितैषी रहे हैं।पुरी का समर्थन जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद ने भी रवींद्र पुरी ने भी किया है।
बता दें उत्तर प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता माता प्रसाद पांडे ने रविवार को बताया था कि कुंभ परिसर में मुलायम सिंह यादव स्मृति सेवा संस्थान ने शनिवार 11 जनवरी को पूर्व मुख्यमंत्री की लगभग दो-तीन फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया गया । उन्होंने कहा कि शिविर का उद्देश्य मुलायम सिंह यादव के विचारों और विचारों को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि तीर्थयात्रियों और अन्य लोगों का शिविर में आने, भोजन करने और वहां रहने के लिए स्वागत है। प्रतीकात्मक रूप से मुलायम सिंह यादव की एक छोटी प्रतिमा स्थापित की गई है जिसे महाकुंभ के बाद पार्टी कार्यालय में स्थापित कर दिया जाएगा।
गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे थे। वह 10 बार विधायक और सात बार सांसद भी चुने गए थे। उन्होंने मैनपुरी और आजमगढ़ जैसे क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व किया था। 10 अक्टूबर, 2022 को उनका निधन हो गया था,लेकिन आज भी मुलायम की छवि कारसेवकों पर गोली चलाने वाले नेता की बनी हुई है।मुलायम की तुष्टिकरण की सियासत के चलते लोग उन्हें मुल्ला मुलायम भी कहा करते थे,जिस पर मुलायम ने कभी आपत्ति नहीं जताई थी।