नरेंद्र तिवारी
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव की सुस्त पड़ी गतिविधियों में भाजपा की दूसरी सूची ने एकदम स्फूर्ति पैदा कर दी। राजनीतिक माहौल में अचानक तेजी एवं सक्रियता आ गयी लगती है। भाजपा की दूसरी सूची में जहां तीन केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल, फग्गनसिंह कुलस्ते शामिल है। इस सूची में कुल 7 सांसद सदस्य एवं राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय जैसे धुलन्दर नेताओं को विधानसभा का टिकट देकर भाजपा ने वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव को गम्भीरता से लड़ने हर हाल में विजय श्री वरण करने की रणनीति पर लड़ने का मूड बना लिया है। दूसरी सूची में इंदौरी भाई याने भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को इंदौर-1 से भाजपा की उम्मीदवारी सौपना हर हाल में विजय होने की भाजपा की रणनीति को दर्शाता है। भाजपा का केंद्रीय नैतृत्व 2024 के लोकसभा चुनाव के मध्यनजर एमपी सहित राजस्थान, छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों को हर हाल में जितने की रणनीति पर काम करता दिखाई दे रहा है। यहीं कारण रहा है बड़े-बड़े चेहरों को विधानसभा चुनाव लड़ने की जवाबदारी दी जा ही है। इंदौर-1 से वर्तमान में संजय शुक्ला विधायक है। कांग्रेस ने अभी तक अपनी कोई भी अधिकृत सूची जारी नहीं कि है। अब जबकि इंदौर-1 से भाजपा की सूची में कैलाश विजयवर्गीय का नाम तय हो गया है। राजनैतिक रूप से देखने समझने वाली बात यह होगी कि क्या संजय शुक्ला इंदौर-1 नम्बर से ही कांग्रेस से विधायक पद के उम्मीदवार होंगे या नई परिस्थितियों में स्थान परिवर्तन पर विचार कर सकते है। राजनीति में अवसर की महत्ता से इंकार नहीं किया जा सकता है। संजय शुक्ला यदि भाजपा के दिग्गज नेता राष्ट्रीय महासचिव से मुकाबला करते है तो उनका नाम भी राष्ट्रीय राजनीति में शुमार हो जाएगा। श्री विजयवर्गीय के एलान के बाद इंदौर-1 की विधानसभा सीट एकदम सुर्खियों में आ गयी है। संजय और कैलाश के मध्य विधानसभा चुनाव 2023 का यह मुकाबला बेहद रोचक और काँटेदार और महामुकाबला होने जा रहा है। यह कहा जाने लगा है। इस संभावित मुकाबले पर प्रदेश ही नही राष्ट्रीय नेताओ की नजर भी रहेगी। अब जबकि दोनों के मध्य मुकाबले के आसार नजर आ रहे है तब यह विचार करना जरूरी हो जाता है कि किसका पलड़ा भारी है ? इंदौर-1 के इस सम्भावित मुकाबले को लेकर कुछ कहना जल्दबाजी होगी। यह मुकाबला बेहद काँटेदार, रोमांचक और दर्शनीय होगा। इस सम्भावित मुकाबले के दोनों राजनीतिक महारथी धुलन्दर है। किसी रोमांचक क्रिकेट मैच की तरह संजय-कैलाश के इस मुकाबले में आखिरी गेंद पर सिक्स लग सकता है। 20-20 के रोमांचक मैच की तरह सुपर ओवर भी हो सकता है। राजनीति के इन दोनों धुलन्दर खिलाड़ियों का राजनीतिक अतीत जानने पर हम पाते है कि कैलाश विजय वर्गीय इंदौर-2, इंदौर-4 एवं महू विधानसभा से विधायक रहें। प्रदेश की सरकार में तीन बार कैबिनेट मंत्री रहे। करीब 6 बार विधायक रहे। वर्ष 2000 में इंदौर के मेयर के पद पर विजय हुए। मध्यप्रदेश के इंदौर से राष्ट्रीय स्तर पर वर्तमान में भाजपा के मजबूत नेता माने जाते है। कैलाश विजयवर्गीय उस समय देश भर में चर्चा में आए थै जब जब उन्होंने बरसो पहले इंदौर में आयोजित फैशन शो के कार्यक्रम में रुप बदलकर पहुचे और विरोध किया था। कैलाश विजयवर्गीय का अनुभव संजय शुक्ला से अधिक है। उम्र के लिहाज से कैलाश विजयवर्गीय संजय शुक्ला से 17 वर्ष बड़े है। कैलाश 67 वर्ष के है जबकि संजय 50 की उम्र में पहुचने वाले है। संजय शुक्ला ने वर्ष 2018 के चुनाव में भाजपा के सुदर्शन गुप्ता को 8 हजार से अधिक मतों से पराजित किया था। संजय ने अपने इंटरव्यू में बताया कि कैलाश जी को उनके पिता स्व. विष्णुप्रसाद शुक्ला ने पार्षद और विधायक बनाया था। वह इस चुनाव को 25 हजार वोटों से जीतेंगे। संजय का आत्मविश्वास चरम पर है। उन्होंने यह भी कहा है कि वे कांग्रेस हाईकमान से मांग करेंगे कि उन्हें इंदौर क्षेत्र क्रमांक 1 से उम्मीदवार बनाए। संजय का आत्मविश्वास यूं ही नहीं है। यह विश्वास उनका जनता से जुड़ाव के कारण है। उनका सेवाभावी कार्य उन्हें अलग शख्शियत प्रदान करता है। कोरोनाकाल में उनकी भूमिका जब अच्छे-अच्छे नेता यहां तक कि चिकित्सक भी जनता से दूरी बना रहे थे। संजय शुक्ला ने जनता के करीब जाकर बिना भेदभाव जनसेवा कर जनता के मन मे अपना अलग स्थान बनाया है। उन्होंने अव्यवस्थाओं का खुलकर विरोध किया। जब बडे-बडे नेता अपनी जबान भी नहीं खोल रहे पा रहे थै, संजय ने कोरोनाकालीन अव्यवस्थाओ पर चोट कर तात्कालिक प्रशासन को बेनकाब किया। इंदौर के जहन में यह बात अब भी अंकित है। उनके आत्मविश्वास का दूसरा कारण उनका क्षेत्र क्रमांक 1 की जनता से निरंतर संपर्क में रहना है। उनके आत्मविश्वास का एक बड़ा कारण कांग्रेस सहित भाजपा की अंदरूनी राजनीति को निकट से समझना भी है। वें इंदौर महापौर का चुनाव लड़े और दमदारी से लड़कर हारे, किन्तु मुकाबले को रोचक बना दिया था। अब जबकि 2023 एमपी विधानसभा की इंदौर क्षेत्र क्रमांक 1 से उनकी संभावित उम्मीदवारी मानी जा रही है। तब यह कहना लाजमी होगा मुकाबला रोचक होगा। कैलाश जी पुराने चावल है वें इंदौर की हर राजनीतिक परिस्थिति से वाकिब है। संभवतः वे कभी चुनाव में पराजित नहीं हुए है। चुनाव लड़ने की उनकी अपनी शैली है। राजनीति के जानकारों का मानना है कि इंदौर की इस सीट पर मुकाबला रोमांचक रहने वाला है। दोनों उम्मीदवार संसाधनों से लबरेज है। कार्यकर्ताओ की दमदार टीम दोनों तरफ की है। दोनों नेताओं की भंडारों, धार्मिक कथाओं ओर धार्मिक यात्राओ के आयोजनों के माध्यम से जनता से जुड़ने की पहिचान है। कार्यकर्ता की फौज उधर है तो समर्पित कार्यकर्ताओ की टीम इधर भी मौजूद है। कैलाश विजयवर्गीय को अपनी वरिष्ठता का लाभ मिल सकता है। श्रेत्र की जनता को यह लगेगा उनके विजय होने पर क्षेत्र को मजबूत कैबिनेट मंत्री मिलेगा। समय और परिस्थितियों ने साथ दिया तो वें मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री के चेहरे भी हो सकते है। संजय शुक्ला भी अब दूसरी बार विजय होते है। कैलाश जी को पराजित करते है और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनती है तो संजय शुक्ला को भी मंत्री पद मिल सकता है। कुल मिलाकर इन दोनों उम्मीदवारों की साख दांव पर लगी हुई है। इंदौर क्षेत्र क्रमांक एक के यह दोनों नेता जनता के प्रिय है। ऐसी स्थिति में जो उम्मीदवार मतदाताओं तक पहुचेगा उनका दिल जीत लेगा। जो चुनावी प्रम्बधन में बाजी मार लेगा इस मैदान में भी बाजी मार सकेगा। संजय की आसान उपलब्धता सरलता भी चर्चा में है। क्षेत्र के नागरिकों की समस्याओं के लिए लड़ने का माद्दा भी उनमें कम नहीं है। कैलाश जी भी बेहद लड़ाकू है। उनकी राष्ट्रीय नेता की पहिचान से क्षेत्र की जनता भलीभांति परिचित है। इंदौर के विकास में उनकी भूमिका से इंकार नही किया जा सकता है। इंदौर के बदले दृश्य में विजयवर्गीय की महत्वपूर्ण भूमिका है। जब सुमित्रा महाजन सक्रिय राजनीति में थी। तब भाई-ताई गुट इंदौर भाजपा में कार्य करता था। जिसका आस्तित्व अभी भी है। ताई गुट थोड़ा कमजोर हुआ है किंतु खत्म नहीं। यह गुट कैलाश और मेंदोला की राजनतिक शैली का विरोधी है। इनकी सक्रियता एवं शेष इंदौर के टिकिट वितरण में उक्त दोनों गुटों की प्रतिस्पर्धा का असर भी इंदौर-1 के इन दोनों महारथी के मध्य होने वाले चुनाव में होगा। भाजपा नेता विशुप्रसाद शुक्ला ने कैलाश विजयवर्गीय को अंगुली पकड़कर राजनीति सिखाई है। अब विष्णु शुक्ला के पुत्र संजय से ही उनका मुकाबला है। अतएव मुकाबला रोचक, काँटेदार और बेहद रोमांचक होगा यह मानकर चलना चाहिए। फिलहाल तो कांग्रेस के टिकिट वितरण पर सबकी नजर है।