प्रधानमंत्री मोदी द्वारा गिनाए घोटाले सुनने में अच्छे लगते हैं, पर घोटाले में हुआ क्या ?

संदीप ठाकुर

कई बार बातें सुनने में अच्छी लगती हैं। कोई सुनाए तो सुनने में और भी
मजा आता है। लगता है कहने वाला कह ताे ठीक रहा है। लेकिन ऐसी बातें नतीजे
स्तर पर पहुंचते पहुंचते टांय टांय फिस्स हाे जाती हैं। यही हाल भाजपा का
है। जब भी भाजपा की खामियां कोई दूसरी पार्टी का नेता गिनवाता है तो
पार्टी के तमाम नेता यूपीए 2 के कार्यकाल में हुए घोटाले का हवाला देने
लगते हैं। यानी गलत को गलत से जस्टिफाई करने लगते हैं। लेकिन भाजपा के 9
साल के शासन में भी इन घोटाले में शामिल अभियुक्तों का कुछ नहीं हुआ। न
कोई गिरफ्तारी और न ही कोई कार्रवाई।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में 85 मिनट तक भाषण दिया और
2004 से 2014 के बीच की यूपीए सरकार के कार्यकाल को घोटालों का दशक कहा।
उन्होंने एक के बाद एक घोटाले गिनाए और कहा कि वह भारत के लिए मौका था,
लेकिन कांग्रेस ने उस मौके को मुसीबत में बदल दिया। उन्होंने कहा कि आईटी
में मौका बना तो 2जी घोटाला हो गया। ईंधन में मौका बना तो कोयला घोटाला
हो गया। कॉमनवेल्थ खेल हुआ तो खेल घोटाला हो गया। रक्षा में मौका बना तो
हेलीकॉप्टर घोटाला हो गया। उनके भाषण से एक दिन पहले रविशंकर प्रसाद ने
प्रेस कांफ्रेंस करके आरोप लगाया और कहा कि राहुल गांधी, उनकी मां और
बहनोई जमानत पर बाहर हैं। उन्होंने राहुल से यह भी पूछा कि उनके बहनोई
इतने अमीर कैसे हुए ?

ऐसा लगता है कि भाजपा काे राहुल की बात मिर्च की तरह लगी है। भाजपाई इस
बात से बहुत नाराज दिख रहे हैं कि मोदी-गौतम अदानी की दोस्ती और अदानी के
इतने कम समय में अमीर होने के बारे में राहुल गांधी ने कैसे सवाल किया।
इसलिए वे कांग्रेस पार्टी और नेहरू-गांधी परिवार के प्रति जितनी संभव हो
सकती थी उतनी अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करके हमला किया। पर सवाल यह है
कि जिन घोटालों काे बार बार गिनाया जाता है उसमें हुआ क्या ? केंद्र में
भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में 2जी, कोयला और कॉमनवेल्थ खेल
में हुए कथित घोटाले की सबसे बड़ी भूमिका है। लेकिन इन मामलों की आज क्या
स्थिति है? हकीकत यह है कि कथित एक लाख 76 हजार करोड़ रुपए के 2जी घोटाले
के सारे आरोपी निचली अदालत से बरी हो गए। यूपीए की सरकार ने उस समय तमाम
आरोपियों को गिरफ्तार करके जेल में डाला था। अपनी सहयोगी डीएमके के
नेताओं के यहां छापे डलवाए थे और उनको गिरफ्तार किया था। लेकिन नरेंद्र
मोदी की सरकार में सब छूट गए। निचली अदालत से बरी किए जाने के फैसले को
ऊपरी अदालत में चुनौती दी गई है लेकिन वह महज एक औपचारिकता ही प्रतीत हाे
रही है।

ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष और कांग्रेस सांसद सुरेश कलमाड़ी का मामला
याद है। कॉमनवेल्थ खेल घोटाले में कांग्रेस की सरकार ने गिरफ्तार किया
था और खेल संस्थानों से जुड़े अनेक अन्य लोग भी पकड़े गए थे। लेकिन बाद
में सब रिहा हो गए और नौ साल से काम कर रही मोदी सरकार ने कोई सुध नहीं
ली है कि इसके आरोपियों को सजा दिलाई जाए। कथित कोयला घोटाला तीन लाख
करोड़ रुपए का बताया जा रहा था लेकिन उस समय के कोयला सचिव एचसी गुप्ता
को छोड़ दें तो पिछले नौ साल में किसी के खिलाफ कार्रवाई होने की सूचना
नहीं है। हेलीकॉप्टर घोटाला हो या इसरो घोटाला हो या आदर्श घोटाला हो,
जिन पर राजनीति करके केंद्र में भाजपा की सरकार बनी है उनमें से किसी
मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है। रविशंकर प्रसाद पूछ रहे थे कि राहुल
के बहनोई रॉबर्ट वाड्रा कैसे अमीर हुए? पिछले 19 साल से यह सवाल पूछा जा
रहा है और नौ साल से भाजपा की सरकार है, जिसमें कई साल रविशंकर प्रसाद भी
मंत्री रहे तो सरकार ने यह पता लगाने के लिए जांच क्यों नहीं कराई कि
वाड्रा कैसे अमीर हुए? यदि कांग्रेस अदानी की अमीरी का राज पूछ रही है तो
भाजपा ही नहीं सरकार तक अदानी को बचाने का प्रयास करती दिख रही है।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से लेकर मंत्री तक के बयानों से साफ झलक रहा है कि
उनके बयान अदानी सेठ के पक्ष में जा रहे हैं।