- 2021 से 2022 तक हत्या, बलात्कार, अपहरण, चोरी, डकैती आदि जैसे प्रमुख अपराधों के पंजीकरण में पश्चिमी
जिले में 1186%, शाहदरा में 739%, पूर्वी दिल्ली में 531%, नई दिल्ली में 226%, रोहिणी में 131%, द्वारका में
110% और बाहरी उत्तरी में 106% की वृद्धि हुई है। - 2022 के लिए, पंजीकृत अपराध सांख्यिकी आंकड़े दिल्ली पुलिस की वेबसाइट पर केवल 15 जुलाई 2022 तक
उपलब्ध है। - आरटीआई के जवाब के अनुसार दिल्ली पुलिस मुख्यालय में जिलेवार अपराध आंकड़ों का डेटा उपलब्ध नहीं है।
आश्चर्य की बात यह है की सामान्य अपराध आंकड़ों का डेटा भी जिला डीसीपी कार्यालयों में उपलब्ध नहीं है और
इसे निरीक्षण के लिए संबंधित पुलिस स्टेशनों को भेज दिया गया है। - दिल्ली के 156 पुलिस स्टेशनों (179 में से) में दर्ज कुल 1,697 बलात्कार के मामलों में से 49% (829) यौन
अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (पॉक्सो) के तहत हैं। - हाउसब्रेकिंग मामलों में 2021 में 2,520 से 2022 में 10,454 (संबंधित वर्षों में 15 जुलाई तक) तक 315% की
वृद्धि हुई है। - फोरेंसिक विभाग में कर्मचारियों की 67% कमी है, जबकि 2022 तक, केवल 66% फोरेंसिक मामलों का परीक्षण
किया गया है। - आर.टी.आई. से पता चला है कि दिल्ली पुलिस के किसी भी जिला कार्यालय ने पुलिस कर्मचारियों के स्वास्थ्य और
काम करने की स्थिति जैसे आंकड़ों को नहीं रखा है।
नई दिल्ली : प्रजा फाउंडेशन ने दिल्ली में पुलिसिंग और कानून व्यवस्था की स्थिति पर अपनी रिपोर्ट जारी की, जो दिल्ली के 156 थानों में अपराध के पंजीकरण और राष्ट्रीय राजधानी के अपराध के आंकड़ों के अनुरक्षण पर प्रकाश डालती है।
आज की दुनिया में, आंकड़े वास्तविकता का मानचित्रण करने और सही निर्णय लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। भारत
की राजधानी होने के नाते, दिल्ली हमेशा सार्वजनिक सुरक्षा और कानून व्यवस्था के मामलों में सुर्खियों में रही है। दिल्ली
पुलिस वर्ष के अंत में अपने वेबसाइट पर शहर के अपराध के आंकड़ों को प्रकाशित करने में हमेशा तत्पर रहती है। हालांकि,
वर्ष 2022 के लिए, 15 जुलाई 2022 तक ही दर्ज अपराध पर आंकड़े उनकी वेबसाइट पर उपलब्ध है, प्रजा फाउंडेशन के
सी.ई.ओ मिलिंद म्हस्के ने कहा।
2014 से प्रजा फाउंडेशन, दिल्ली में पुलिस जिला स्तर पर पंजीकृत अपराधों पर आंकड़े एकत्र करने के लिए, नियमित रूप
से सूचना का अधिकार (आर.टी.आई) आवेदन दायर कर रही है। 2022 में दिल्ली पुलिस के मुख्यालय में दर्ज की गई हमारी
आरटीआई सभी 16 जिलों में पुलिस उपायुक्त (डी.सी.पी) के कार्यालयों को यह कहते हुए भेज दी गई थी कि मुख्यालय के
पास डेटा उपलब्ध नहीं है। । इससे पता चलता है कि मुख्यालय में आंकडे़ नहीं रखे जा रहे हैं। यह अंतर अप्रभावी निर्णय लेने
और अपराध की घटनाओं को नियंत्रित करने और दिल्ली में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए समन्वित कार्रवाई की
कमी का कारण बन सकता है”, प्रजा फाउंडेशन की निदेशक-कार्यक्रम, प्रियंका शर्मा ने कहा ।
आगे, 2023 में, 16 डी.सी.पी. कार्यालयों में आरटीआई आवेदन दायर किए गए थे, जिन्हें फिर डी.सी.पी. कार्यालयों द्वारा
संबंधित डी.सी.पी. जिलों के तहत प्रत्येक पुलिस स्टेशन में निरीक्षण के लिए आवेदन भेजे थे। यह इंगित करता है कि सभी
जिलों के प्रमुख अपराधों के आंकड़े डी.सी.पी. कार्यालयों में भी उपलब्ध नहीं हैं। प्रजा टीम ने, अपने अधिकार क्षेत्र के तहत,
अपराध के आंकड़े एकत्र करने के लिए दिल्ली के सभी 179 थानों से संपर्क किया जिनमे से 156 थानों ने आंकड़ों का साझा
किया, शेष 23 थानों ने या तो आंकड़े देने से इंकार किया या जिलों के संबंधित डी.सी.पी से अनुमोदन प्राप्त करने का निर्देश
दिया, जबकि आर.टी.आई आवेदन डी.सी.पी कार्यालय से ही अग्रेषित किया गया था।
“आंकड़ों में अंतराल, डेटा उन्मुखीकरण के आधार पर बेहतर पुलिस व्यवस्था के समन्वित प्रयासों की आवश्यकता को उजागर
करता हैI दिल्ली पुलिस की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है कि 2021 से 2022 तक (प्रत्येक वर्ष के 15
जुलाई तक) पंजीकृत अपराध में 8% की वृद्धि हुई हैI तथापि, आर.टी.आई. से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, 2021 से 2022 तक,
हत्या, बलात्कार, अपहरण, चोरी, डकैती आदि जैसे प्रमुख अपराधों के पंजीकरण में पश्चिमी जिले में 1186% की वृद्धि,
शाहदरा में 739%, पूर्वी दिल्ली में 531%, नई दिल्ली में 226%, रोहिणी में 131%, द्वारका में 110% और बाहरी उत्तरी
में 106% की वृद्धि हुई है। इस रिपोर्ट में प्रमुख अपराधों का जिलेवार विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है, जो दिल्ली के
जिलों में कानून और व्यवस्था की गंभीर स्थिति का खुलासा करता है”, प्रजा फाउंडेशन के अनुसंधान और विश्लेषण के प्रमुख
योगेश मिश्रा ने बताया ।
म्हस्के ने निष्कर्ष निकालते हुए कहा कि, "यह रिपोर्ट पुलिसिंग और कानून व्यवस्था के लिए जिम्मेदार अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करने, आत्मनिरीक्षण करने और आंकड़ों के महत्व को पहचानने का हमारा प्रयास है। एक केंद्रीकृत तंत्र थानों और
जिला स्तर के कार्यालयों से वास्तविक समय के आंकड़ों को बनाए रखने के लिए और उन पर नियमित विचार-विमर्श कानून
और व्यवस्था प्रणालियों के बेहतर शासन के लिए कुशल निर्णय लेने के लिए नेतृत्व करेगा। इससे दिल्ली के जिलों में बढ़ते
अपराध से निपटने में मदद मिलेगी। यह दिल्ली के नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक कदम है”।