टीएमयू फिजियोथैरेपी में बताई स्ट्रोक के उपचार की टेक्निक

Stroke treatment technique explained in TMU physiotherapy

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के फिजियोथैरेपी विभाग की ओर से रीसेंट एडवांसेज़ एंड रिहैबिलिटेशन इन स्ट्रोक पर दो दिनी वर्कशॉप

रविवार दिल्ली नेटवर्क

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान-एम्स, दिल्ली के वरिष्ठ कंसल्टेंट न्यूरोफिजियोथेरेपिस्ट डॉ. प्रभात रंजन ने कहा, वर्तमान में स्ट्रोक के मरीज बढ़ रहे हैं। सही खान-पान न होना, अनियमित जीवनशैली, शारीरिक श्रम एवम् योग न करना आदि इसके कारण हो सकते हैं। स्ट्रोक से मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के आसपास के भाग को क्षति होती है। इससे मांसपेशियों में अकड़न बढ़ जाती है। शरीर के अंग कार्य करना बंद कर देते हैं। इससे व्यक्ति में एक प्रकार की सिनर्जी और स्पास्टिसिटी पैदा हो जाती है। डॉ. रंजन तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के फिजियोथैरेपी विभाग की ओर से रीसेंट एडवांसेज़ एंड रिहैबिलिटेशन इन स्ट्रोक पर आयोजित दो दिनी वर्कशॉप में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। इससे पहले डॉ. प्रभात रंजन ने बतौर मुख्य अतिथि, फिजियोथैरपी की एचओडी प्रो. शिवानी एम. कौल ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके वर्कशॉप का शुभारम्भ किया। वर्कशॉप में मुख्यअतिथि को पौधा भेंट करके स्वागत किया गया। अंत में स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

डॉ. रजंन ने स्ट्रोक के उपचार की टेक्निक न्यूरो डवलपमेंट ट्रीटमेंट- एनडीटी/ बोबाथ एप्रोच को विस्तार से समझाया। उन्होंने शरीर के अंगों- स्कंधास्थि, बांह, कलाई, अंगुली, कूल्हा, जांघ, पैर, पंजा आदि में होने वाली अकड़न के कारण चलने-फिरने या उठने-बैठने में होन वाली समस्या के निवारण के लिए एनडीटी टेक्निक का स्टुडेंट्स को प्रयोग करके दिखाया। उन्होंने मरीज को बेड से व्हीलचेयर तक लाने- मोबिलिटी टेक्निक, चलने के तरीके-गेट ट्रेनिंग, मरीज के द्वारा सीढ़ियों के प्रयोग का सही तरीका- स्टेयर क्लाइम्बिंग ट्रेनिंग आदि का डेमो भी छात्र-छात्राओं को दिया। वर्कशॉप में समन्वयक डॉ. शाजिया मट्टू, डॉ. हरीश शर्मा, डॉ. शिप्रा गंगवार, डॉ. कोमल नागर, डॉ. नन्दकिशोर शाह, डॉ. हिमानी, डॉ. समर्पिता सेनापति, डॉ. प्रिया, डॉ. सोनम निधि, डॉ. रंजीत कुमार, डॉ. नीलम, डॉ. कामिनी के अलावा फिजियोथैरेपी के सैकड़ों छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।