गुना की लखपति दीदी गंगा बाई अहिरवार की सफलता की कहानी

Success story of Guna's millionaire Didi Ganga Bai Ahirwar

रविवार दिल्ली नेटवर्क

गुना : गुना जिले के मुहालपुर गांव में घर की चारदीवारी के अंदर रहने वाली गंगा अहिरवार ने अपनी मेहनत और लगन से कामयाबी की कहानी लिखी है। कभी घर तक सीमित रहने वाली गंगा ने आज अपने परिवार और गांव की 240 महिलाओं को भी रोजगार से जोड़ा है। गंगा ने अपना ही नहीं, गांव के अधिकतर परिवारों का जीवन स्तर सुधारा। यही कारण है कि गांवभर में अब गंगा को हर कोई लक्ष्मी कहकर बुलाता है। गुना की इस लखपति दीदी गंगा बाई अहिरवार का विगत दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मान किया। प्रधानमंत्री मोदी ने गंगा बाई से बात की और उनकी सफलता की कहानी भी सुनी।

गुना के महारानी लक्ष्मीबाई गर्ल्स हायर सेकेंडरी स्कूल से 12वीं तक की पढ़ाई करने वाली गंगा ने जीवन में बहुतेरा संघर्ष किया लेकिन अपेक्षित सफलता नहीं मिली। इसी बीच उन्हें आजीविका मिशन के बारे में जानकारी मिली। गंगा ने इस मिशन से जुड़कर साल 2016 में गांव की 11 महिलाओं के साथ उमा स्व सहायता समूह का गठन किया। आज वे जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय में कैंटीन का संचालन कर रही हैं। उनकी कैंटीन में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी खाना खा चुके हैं। यहां उन्हें भिंडी, मक्के की कीस, दाल-चावल, बाफले परोसे गए। खाना खाने के बाद सिंधिया ने गंगा की तारीफ की। कोरोनाकाल में गुना सरकारी अस्पताल में कोविड रोगियों के लिए टिफिन बनाकर गंगा ने करीब साढे चार लाख रुपए का रोजगार हासिल किया। गंगा कैंटीन के अलावा खेती, फलों के बगीचे, सिलाई और दूसरे कामों से लगभग 20 हजार रुपए प्रति माह कमा रही हैं। इसी वजह से उन्हें लखपती दीदी की श्रेणी में शामिल किया गया है।

लखपति दीदी बन चुकी गंगा की यात्रा जारी है। जीवन संघर्ष की इस यात्रा में अब वे अपने बिजनेस का विस्तार कर एक होटल खोलना चाहती हैं। लखपति दीदी बन चुकी गंगा ने कड़ी मेहनत से सफलता का यह मुकाम हासिल किया है. उनकी कहानी प्रदेश ही नहीं देश की अन्य महिलाओं के लिए प्रेरक है।