- जब गेंद थोड़ी हरकत करती है तब आपको ज्यादा कुछ नहीं करना पड़ता
- जब पिच सपाट होती है तभी आपका इम्तिहान होता है
- मैं मैच के नतीजे से अपनी गेंदबाजी को नहीं आंकता
- मैं न तो प्रशंसा से बहुत खुश होता हूं ,न ही आलोचना से बहुत निराश
- हर दिन, नया दिन होता है, जरूरत जेहनी तौर पर शांत रहने की होती है
सत्येन्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली : क्रिकेट भी गजब की अनिश्चितताओं और उतार-चढ़ाव का खेल है। कभी अर्श पर और कभी फर्श पर। भारत के हर फॉर्मेट के नियमित तेज गेंदबाज के रूप में जसप्रीत बुमराह ने अब तक के अपने छह बरस के अंतर्राष्टï्रीय क्रिकेट करियर में बेहद करीब से इन अनिश्चितताओं को महसूस किया है और जिया भी है। जसप्रीत बुमराह ने कप्तान तौर पर इंग्लैंड के सामने एजबेस्टन में पुनर्निर्धारित पांचवें और अंतिम टेस्ट में मैच की चौथी और आखिरी पारी में जीत के लिए रखे 377 रन के लक्ष्य का बचाव करने में नाकाम रहने के बाद मंगलवार रात ओवल में तीन वन डे मैचों की सीरीज के पहले मैच में अपने करियर की सर्वश्रेष्ठï गेंदबाज मात्र 19 रन देकर छह विकेट चटका उसे मात्र 110 रन पर ढेर कर भारत को दस विकेट से जीत दिलाने के दौरान इन्हीं अनिश्चितताओं को करीब से महसूस किया। जसप्रीत बुमराह ने अपने छह बरस के अंतर्राष्टï्रीय करियर में तीनों फॉर्मेट में भारत के तुरुप के गेंदबाज बनने के बावजूद कामयाबी और नाकामी में खुद को संयत रखा है। बुमराह का यही हर हाल में संयम ही उनकी कामयाबी का सबब है।
अपनी करियर की सर्वश्रेष्ठï गेंदबाजी कर भारत को इंग्लैंड के खिलाफ मंगलवार रात ओवल में पहले वन डे में दस विकेट से जीत दिला आईसीसी वन डे गेंदबाजी रैंकिंग में तीन पायदान की छलांग लगा 718 रेटिंग अंकों के साथ जसप्रीत बुमराह फिर दुनिया के नंबर एक गेंदबाज बन गए। भारत की इंग्लैंड पर ओवल में जीत के बाद जसप्रीत बुमराह ने कहा, ‘जब हमने गेंदबाजी शुरू की तो गेंद स्विंग हो रही थी और सीम मूवमेंट था और मैं इसका लाभ उठाना चाहता था। मेरी मोहम्मद शमी से बात हुई। मैंने और शमी ने कुछ फुलर और टेस्ट मैच की लेंग्थ की सी गेंदबाजी करने का फैसला किया। मंगलवार का दिन अच्छा था और हमनें कुछ विकेट चटकाए। मैं बहुत खुश हूं कि जब मंगलवार को मैंने पहली ही गेंद फेंकी तो देखा गेंद स्विंग हुई। जब आप देखते हैं कि गेंद स्विंग नहीं हो रही है तभी आप अपनी लेंग्थ कुछ खींचने और इसमें बदलाव की सोचते हैं। जब गेंद थोड़ी हरकत करती है तब आपको ज्यादा कुछ नहीं करना पड़ता। जब पिच सपाट होती है तभी आपका इम्तिहान होता है। तब अहम रहता है कि आप कितनी सटीक गेंदबाजी करते हैं। मैं शमी के लिए भी खुश हूं कि उन्होंने बल्लेबाजों को चकमा दिया। मैंने उनसे कहा कि दिन आप जब आप टीम के ध्वस्त कर सकते हैं। शुरू में पिच से कुछ मदद मिली। जब गेंद मूव होती है तो तब स्लिप के फील्डरों के साथ विकेटकीपर का बेहद मुस्तैद रहना जरूरी है। विकेटकीपर के रूप में पंत ने बेहतरीन कैच लपकने से मैं बहुत खुश हूं।
उन्होंने कहा, ‘मैं मैच के नतीजे से अपनी गेंदबाजी को नहीं आंकता और मैं जो कुछ कर सकता हूं उसकी शिद्दत से कोशिश करता हूं। मैंने इससे पहले भी इससे भी बहुत बेहतर गेंदबाजी की है लेकिन तब मुझे विकेट नहीं मिले। बावजूद इसके मेरा रूटीन हमेशा एक सा ही रहता है। लोग जो कुछ कहते हैं मैं उसकी इज्जत करता हूं लेकिन इसकी बाबत बहुत सोचता भी नहीं हूं। मैं हमेशा जेहनी तौर पर शांत रहने की कोशिश करता हूं। मैं हमेशा ,ऐसा ही रहा हूं। मैंं हर फॉर्मेट में खेलने का लुत्फ उठाता हूं। मैं हर फॉर्मेट में अच्छा हूं और इसीलिए यहां हूं। ंमंगलवार का दिन ही अच्छा रहा और मेरी बहुत सराहना हुई। सच कहूं,मैं न तो प्रशंसा से बहुत खुश होता हूं और न ही आलोचना से बहुत निराश। क्रिकेट की अनिश्चितता और उतार चढ़ाव इसकी खूबसूरती है। एक दिन सभी कुछ आपके पक्ष में रहता है। एक दिन ऐसा भी होता है जब आप जो कुछ कर सकते हैं, करते है लेकिन कुछ भी कारगर नहीं रहता है। हर दिन, नया दिन होता है। मेरा इसीलिए मानना है कि आपको जेहनी तौर पर शांत रहने की जरूरत होती है। कई दिन ऐसे होते हैं जब पहली गेंद बल्लेबाज के बल्ले का किनारा ले क्षेत्ररक्षक के हाथ में पहुंच जाती है। कुछ दिन ऐसे भी होते हैं जब आप पूरे दिन इसी तरह गेंदबाजी करते हैं लेकिन तबएक भी गेंद बल्लेबाज के बल्ले का किनारा नहीं लेती है। कई बार आप अच्छी गेंदबाजी करते हैं और गेंद बल्लेबाज के बल्ले का किनारा तो लेती है लेकिन कैच छूट जाता है। कई बार गेंद विकेटों के उपर से निकल जाती है। कई बार आपको फुलटॉस गेंद विकेट दिला जाती है। मैं वही करने की कोशिश करता जो कर सकता हूं। मैं उसकी बाबत सोचता ही नहीं हूं जो हाथ में है ही नहीं। इसके बाद नतीजा चाहे जो भी हो। मैं आगे बढ़ जाता हूं। आप हताश नहीं होना चाहते हैं। मैं इसीलिए स्थायित्व को बहिुत अहमियत देता हूं । एक बार गेंदबाज के हाथ से गेंद निकल जाए तो उसके हाथ में कुछ नहीं रहता।’