शुक्रवार को ईवीएम में बंद होंगा देश के 102 लोकसभा सीटों के उम्मीदवारों का फैसला

The decision of candidates for 102 Lok Sabha seats of the country will be taken in EVM on Friday

राजस्थान के रण में 12 लोकसभा सीटों के प्रत्याशियों के भाग्य की होंगी परीक्षा

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

देश की 102 लोकसभा सीटों पर पहले चरण में 19 अप्रेल शुक्रवार को होने वाले मतदान के लिए भारत निर्वाचन आयोग द्वारा स्वतंत्र, निर्भीक, निष्पक्ष और शांति पूर्वक चुनाव के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है तथा सुरक्षा के भारी बंदोबस्त के इंतजाम भी चाक चौबंद किए गए है। केंद्रीय और स्थानीय पुलिस बलों को हर मतदान केंद्र पर तैनात किया गया है। मतदान दल भी अपने अपने गंतव्य स्थानों पर पहुंच गए है।

राजस्थान में भी पहले चरण में केंद्र के दो मंत्रियों भूपेंद्र यादव और अर्जुन राम मेघवाल सहित कई दिग्गज नेताओं की साख दांव पर लगी हुई है। खासतौर पर बीकानेर, अलवर, दौसा, नागौर, चूरू और जयपुर सीट पर केंद्रीय मंत्रियों और कांग्रेस के कई बड़े नेता चुनावी मैदान में टक्कर ले रहे है। इधर भाजपा का मानना है कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के दस वर्षों की उपलब्धियां,अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण ,जम्मू कश्मीर में धारा 370 को हटाने तथा समान नागरिक संहिता आदि मुद्दों के बलबूते पर इस बार भी भाजपा प्रदेश की सभी 25 सीटों पर लोकसभा चुनाव जीत कर विजय की हैट्रिक बनायेगी। कांग्रेस का दावा है कि वे और उनके सहयोगी दल भाजपा के मंसूबों को इस बार पूरा नहीं होने देंगे।

शुक्रवार को राजस्थान की 12 लोकसभा सीटों श्रीगंगानगर, बीकानेर, चूरू, झुंझुनूं, सीकर, जयपुर ग्रामीण, जयपुर, अलवर, भरतपुर, करौली-धौलपुर, दौसा और नागौर में मतदान से जुड़ी सभी तैयारियां पूरी हो गई है। राजस्थान की 25 सीटों के लिए इस बार दो चरणों में चुनाव होगा। पहले चरण में 12 लोकसभा सीटों पर 19 अप्रैल को 2.54 करोड़ मतदाता 114 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे, वहीं 13 सीटों पर 26 अप्रैल को मतदान के साथ ही चुनाव का कार्य संपन्न हो जाएगा। पूरे देश में 19 अप्रैल से 1जून तक सात चरणों में चुनाव पूरे होंगे और 4 जून को लोकसभा की सभी सीटों के लिए मतगणना के साथ ही देर रात तक सभी चुनाव परिणाम सामने आ जायेगे। इसके पहले विभिन्न टीवी चैनल 1 जून को सायं छह बजे के बाद से ही एग्जिट पोल के परिणाम देश के सामने रख देंगे।

राजस्थान के रण में लोकसभा चुनावों की घोषणा के बाद से ही लग रहा था कि विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं का मनोबल गिर गया है। कालांतर में बड़ी संख्या में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं के भाजपा में शामिल होने से शुरू में यह धारणा बनी कि इस बार शायद कांग्रेस की ओर से चुनाव लडने वाले कई बड़े नेता आसानी से चुनाव लडने के लिए सामने नहीं आएंगे। इसका कारण प्रदेश के कई बड़े नेताओं का विधानसभा चुनाव लड़ कर विधायक बनना भी बताया गया । बताते है कि पार्टी हाई कमान द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह अलवर, पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट आदि नेताओं से चुनाव लडने का आग्रह भी किया गया था लेकिन उनमें से पूर्व विधान सभा अध्यक्ष डॉ सी पी जोशी के अलावा कोई भी बड़ा नेता चुनाव मैदान में नही उतरा हैं। दो स्थानों राजसमंद तथा जयपुर शहर में तों पार्टी को अपने घोषित उम्मीदवार भी बदलने पड़े है। बांसवाड़ा डूंगरपुर सीट पर भारतीय आदिवासी पार्टी बाप के साथ चुनावी समझौता के बावजूद ऐन वक्त पर पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार द्वारा नामांकन वापस नही लेने से पार्टी दुविधा पूर्ण स्थिति में फंस गई है। कांग्रेस के अधिकांश प्रत्याक्षी नए और युवा है। पार्टी को कुछ मौजूदा विधायकों को भी बतौर उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारना पड़ा है। हालांकि इसमें से कई ने यह बयान भी दिया है कि वे अपनी मर्जी से नही वरन पार्टी हाई कमान के निर्देश पर चुनाव लड़ रहे है। इन सभी परिस्थितियों के बावजूद कांग्रेस के रणनीतिकारों ने इस बार के लोकसभा चुनाव में इंडी गठबंधन के दलों रालौपा, माकपा और बाप आदि के साथ समझौता कर जातीय समीकरणों को साधा है । साथ ही भाजपा से कांग्रेस में शामिल हुए चूरू के सांसद राहुल कसवां और बाड़मेर जैसलमेर के रालौपा से कांग्रेस में आए उम्मेदा राम बेनीवाल को हाथो हाथ पार्टी टिकट थमा कर चुनाव को रोचक एवं संघर्षपूर्ण बना दिया है।

वर्तमान में कांग्रेस पहले चरण में होने वाले लोकसभा चुनाव की 12 सीटों के चुनाव में भाजपा के मुकाबले में न केवल खड़ी दिखाई दे रही है, वरन करीब आधा दर्जन से अधिक सीटों पर भाजपा को कड़ी टक्कर भी दे रही है। विशेष कर चूरू, सीकर, झुंझुनू, श्रीगंगानगर, जयपुर ग्रामीण, अलवर, भरतपुर, करौली-धौलपुर और दौसा में दोनों पार्टियों के मध्य कड़ी टक्कर देखी जा रही है। इनमें भी तीन चार सीटें में तो बराबरी की टक्कर भी बताई जा रही है। इससे भाजपा की चिंताएं बढ़ी हैं।

पहले चरण के चुनाव से पूर्व भाजपा का चुनाव प्रचार अभियान कांग्रेस के मुकाबले अधिक चुस्त, दुरस्त, व्यवस्थित और नियोजित रहा है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अन्य केंद्रीय मंत्रियों अमित शाह ,राजनाथ सिंह तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ तथा अन्य नेताओं ने प्रदेश में धुंआधार प्रचार किया है। कांग्रेस की ओर से सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी सहित स्थानीय नेताओं अशोक गहलौत, गोविंद सिंह डोटासरा ,सचिन पायलट आदि ने प्रचार अभियान की अगुवाई की है।

भाजपा के सामने इस बार उनके नेताओं लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय मंत्रियों गजेंद्र सिंह शेखावत, भूपेंद्र यादव, अर्जुन राम मेघवाल, कैलाश चौधरी, प्रदेश अध्यक्ष सी पी जोशी आदि नेताओं के स्वयं लोकसभा चुनाव लडने और खुद के निर्वाचन क्षेत्रों में ही व्यस्त हो जाने से तथा वरिष्ठ नेताओं राजेंद्र राठौड़ एवं डॉ सतीश पूनिया आदि के भी चूरू और हरियाणा में व्यस्त होने से अन्य इलाकों में नही जा पाने तथा प्रदेश मुख्यालय पर चुनाव प्रबंधन के लिए कोई वरिष्ठ नेता नही होने आदि कतिपय समस्याऐं है। हालांकि मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा पूरे प्रदेश में धुंआधार प्रचार कर रहे है और उनके दोनो उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी और डा प्रेम चंद बैरवा के साथ अन्य वरिष्ठ मंत्रियों द्वारा भी अपने अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में पूरे दम खम के साथ चुनाव प्रचार किया जा रहा है।

इधर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने प्रदेश में दूसरे चरण के चुनाव की तैयारी भी शुरू कर दी है। शाह शनिवार को झीलों की नगरी उदयपुर में रोड शो करेंगे। यह रोड शो शाम 6 बजे शुरू होगा जिसको लेकर पुलिस प्रशासन तैयारी में जुटा हुआ है।शाह का रोड शो शनिवार को शाम 6 बजे उदयपुर के देहली गेट से शुरू होकर मुख्य बाजार बापू बाजार, सूरजपोल चौराहा से प्राचीन और प्रसिद्ध अस्थल मंदिर तक चलेगा। इस रोड शो के द्वारा शाह मेवाड़ और वागड़ इलाके को साधने का प्रयास करेंगे।

फिलहाल यह देखना दिलचस्प होंगा कि शनिवार को भाजपा और कांग्रेस तथा अन्य दल लोकसभा चुनाव के पहले चरण के चुनाव की अग्नि परीक्षा की कसौटी में किस सीमा तक सफल रह पाएंगे?