गोविन्द ठाकुर
उत्तर प्रदेश सरकार में फिलहाल सत्ता संघर्ष विराम होता दिख रहा है.. दोनों उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मोर्या और ब्रजेश पाठक मुख्यमंत्री आदित्य योगी के साथ दिख रहे हैं.. इससे पहले दोनों योगी के साथ किसी भी तरह के आयोजन को बहिस्कार ही कर दिया था.. इन दोनों का अधिकत्तर समय दिल्ली में ही गुजर रहा था.., खासकर गृहमंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जो पी नड्डा के घर.., राजनीति क्या है इसकी तरह तरह की कहानी है.., विपक्ष और जानकारो का कहना है कि यह सब लड़ाई मोदी के बाद कौन की है.., दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने तो यहां तक कह दी थी कि अगर बीजेपी 300 से उपर आती है तो योगी लखनऊ में नहीं बल्कि दिल्ली के किसी मंत्रालय में दिखायी देंगे.. मतलब उनको सीएम की कुर्सी से हटा दिया जायेगा..,लेकिन बीच में 10 विधान सभा के उप चुनाव और आरएसएस आ गया जो फिलहाल के लिए संघर्ष को विराम करा दिया है.. इसका मतलब यह नहीं पालना चाहिए कि ममला खत्म हो गया है..संघर्ष फिर से चुनाव बाद होगा, ममला अगला प्रधानमंत्री पद को लेकर है..
ऐसा लग रहा है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा के अंदर चल रहा शह-मात का खेल थम गया है। जिस तरह से अघोषित सत्ता संघर्ष शुरू हुई थी और उसी तरह अघोषित युद्धविराम हो गया है। मंगलवार को उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की एक कार्यक्रम की तस्वीरें आईं। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले दोनों उप मुख्यमंत्री यानी ब्रजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य ने दूरी बनाई थी। वे मुख्यमंत्री के साथ सरकारी या पार्टी के कार्यक्रमों में नहीं शामिल होते थे। अब स्थिति बदली है। पार्टी 10 विधानसभा सीटों के उपचुनाव की तैयारी में जुटी है। माना जा रहा है कि उपचुनावों के नतीजों के बाद फिर से सत्ता संघर्ष का नया दौर शुरू होगा। उससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी स्थिति मजबूत करने में जुटे हैं।
योगी आदित्यनाथ हार्डकोर हिंदू नेता की अपनी छवि को तराश रहे हैं और इसे मजबूत करने में लगे हैं। उन्होंने सात अगस्त को महंत रामचंद्र दास परमहंस की प्रतिमा का अनावरण किया। ब्रह्मलीन रामचंद्र दास परमहंस अयोध्या में मंदिर आंदोलन के पुरोधा रहे थे। 1984 में नई दिल्ली में हुई पहली धर्म संसद से उन्होंने राम मंदिर आंदोलन को धार देना शुरू किया था। अयोध्या में दिगम्बर अखाड़े में संगमरमर से बनी उनकी मूर्ति स्थापित की गई है, जिसका अनावरण योगी आदित्यनाथ ने किया। इस मौके पर उन्होंने सनातन धर्म को बचाने की अपील की और कहा कि मंदिर निर्माण अंतिम मंजिल नहीं है, बल्कि एक पड़ाव है। यह अभियान सनातन धर्म की सुरक्षा सुनिश्चित करने तक चलता रहेगा।