राहुल गाँधी के भावनात्मक उद्गारों से उपजी जनभावनाओं की गर्माहट कश्मीर की बर्फ़बारी पर भारी पड़ी

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

नई दिल्ली : राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के शहादत दिवस पर श्रीनगर में सोमवार को अद्भुत नजारा दिखने कोमिला। भारी बर्फबारी के मध्य कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी जब जनता को संबोधित कर रहें थे तों कश्मीर की हाड़ कंपकपाने वाली ठंड में उनके भावनात्मक उद्गारों से सर्द वातावरण में जमी भारी बर्फ भी जन भावनाओंकी गर्माहट से पिधल गई । मौक़ा था कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में औपचारिकसमापन समारोह का..।

इस अवसर पर श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में राहुल गाँधी का एक नया स्वरूप दिखा और वे जनता सेजिस इमोशनल तरीके से जुड़े इसने उन्हें सुनने वाले कई लोगों को रुला दिया। इस दौरान राहुल गांधी अपनीदादी और अपने पिता की मौत की खबर का जिक्र कर न सिर्फ स्वयं अत्यन्त भावुक हों गए बल्कि उन्होंनेकश्मीर के साथ पूरे देश के लोगों के साथ एक इमोशनल कनेक्शन बनाने और अपने विरोधियों पर कड़े प्रहारकी कोशिश भी की।

राहुल गाँधी ने बचपन में अपनी दादी इन्दिरा गाँधी और बाद में हुई अपने पिता राजीव गाँधी की नृशंस हत्या काज़िक्र करते हुए कहा कि मैं हिंसा को समझता हूं, उसके दर्द को स्वयं सहा है।मैने हिंसा देखी है, मैने अपनों कोखोया है,लेकिन जिसने हिंसा को नहीं सहा और नही देखा, उन्हें यह बात समझ में नहीं आएगी। यह बातकश्मीरियों को,सेना और सीआरपीएफ तथा उनके परिवार वालों को समझ आएगी। राहुल ने कहा जब मैं 14 साल का था, स्कूल में पढ़ता था। ज्योग्राफी की क्लास में था। मेरी एक टीचर क्लास में आयी। उन्होंने कहा किराहुल तुम्हे प्रिंसिपल बुला रही है और मैं डरा कि वे मुझे कोई सजा तों नहीं देंगी।प्रिंसिपल ने मुझसे कहा किराहुल तुम्हारे घर से फोन है। मुझे अहसास हों गया कि कुछ न कुछ गलत हुआ है। मेरे पैर कांपने लगे । फोनकान के पास लगाते ही मेरी मां के साथ काम करने वाली महिला चिल्लाते हुए बोली कि राहुल…किसी ने दादीको गोली मार दी है।। मैने वह जगह देखी जहां मेरी दादी का खून था, पापा आए, मां आयी। मां पूरी तरह हिलगई थी, वह बोल नहीं पा रही थी”

राहुल गांधी ने आगे कहा, “ठीक उसी के छह-सात साल बाद मैं अमरीका में था और फिर से एक टेलीफोनआया। जैसे बहुत सारे, जैसे पुलवामा में हमारे सैनिक मरे थे, उनके घर टेलीफोन आया होगा, हजारों कश्मीरियोंऔर देश के अन्य सैनिकों के घर फोन आया होगा, वैसा ही फोन मेरे पास आया। वह पिताजी के एक दोस्त काफोन था।उन्होंने मुझे कहा पिताजी मारे गए हैं। पिताजी अब इस दुनिया में नहीं हैं, ये सुनकर मैं सुन्न पड़ गयाथा। मैं पुलवामा और अन्य सभी शहीदों के परिवारों के दर्द को समझ सकता हूं।

राहुल गांधी ने अपने इस ऐतिहासिक भाषण में कहा कि जम्मू कश्मीर में प्रशासन और सुरक्षाकर्मियों ने मुझसेकश्मीर में पैदल चलने के बजाय वाहन से जाने को कहा था। साथ ही चेतावनी दी थी कि अगर आप पैदलचलेंगे तो आप पर ग्रेनेड फेंका जाएगा,तो मैंने सोचा क्यों न मुझसे नफरत करने वालों को मैं एक मौका दूं, ताकि वे मेरी सफेद टी-शर्ट का रंग लाल कर सकें, लेकिन जम्‍मू कश्‍मीर में मुझे ग्रेनेड नहीं, लोगों से दिलखोलकर प्यार मिला।

उन्होंने कहा कि मेरे परिवार और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने मुझे निर्भय होकर जीना सिखाया है । मैंने गांधीजी से सीखा है कि अगर जीवन जीना है तो बिना डरे जीना है। हिंदुस्तान प्यार का देश है और इसी नफरत कोखत्म करने के लिए मैंने ये यात्रा की है । मैं इतने दिनों तक पैदल चला और लोगों के दुख दर्द और समस्याओंको समझ पाया।

राहुल गांधी ने भावुकता से भरी एक और घटना का ज़िक्र भी किया और कहा कि इस यात्रा से मैनें बहुत कुछसीखा। एक दिन मुझे बहुत दर्द हो रहा था। मैंने सोचा कि मुझे 6-7 घंटे और चलना होगा जो बहुत कठिनहै,लेकिन एक लड़की की चिट्ठी ने मुझे फिर से यात्रा करते रहने की हिम्मत दी। वह लड़की दौड़ती हुई मेरे पासआई और बोली कि उसने मेरे लिए कुछ लिखा है। उसने मुझे गले लगाया और भाग गई। मैंने इसे पढ़ना शुरूकिया। राहुल गांधी ने आगे कहा कि उस लड़की ने उस चिट्ठी में जो लिखा था उसने मुझे फिर से चलने कीहिम्मत दी।उसने लिखा, “मैं देख सकती हूं कि आपके घुटने में दर्द हो रहा है क्योंकि जब आप उस पैर पर दबावडालते हैं, तो यह आपके चेहरे पर दिखता है। मैं आपके साथ नहीं चल सकती लेकिन मैं दिल से आपके साथचल रही हूं क्योंकि मुझे पता है कि आप मेरे और मेरे भविष्य के लिए चल रहे हैं। ठीक उसी क्षण, मेरा दर्द गायबहो गया।”

इसी तरह जब मैं कन्याकुमारी से आगे बढ़ रहा था तब मुझे ठंड लग रही थी। मैंने कुछ बच्चे देखे। वे गरीब थे, उन्हें ठंड लग रही थी, वे मजदूरी कर रहे थे और कांप रहे थे। मैंने सोचा ठंड में ये बच्चे स्वेटर-जैकेट नहीं पहन पारहे हैं तो मुझे भी नहीं पहनना चाहिए।

राहुल के तकरीबन चालीस मिनट से ज्यादा के भाषण में जिस तरीके से इमोशंस व्यक्त किए वह न सिर्फ देशके लोगों को बल्कि कश्मीर के लोगों को भी सीधे तौर पर कनेक्ट करने के लिए पर्याप्त थे। उन्होंने अपने भाषणके दौरान अपने परिवार का कश्मीर से निकली कश्मीरियत और उत्तर प्रदेश में संगम से गंगा-जमुनी तहजीब कारिश्ता निकाल कर कांग्रेस के लिए सियासी रूप से कमजोर इस प्रदेश और देश को भी जोड़ने की कोशिश की।

भारत जोड़ो यात्रा की समापन सभा को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा- जब राहुल गांधी जी नेकन्याकुमारी से कश्मीर तक पदयात्रा का निर्णय लिया था, हम घबरा गए थे कि इतना लंबा फासला कैसे तयहोगा। लेकिन भारत जोड़ो यात्रा के श्रीनगर पहुंचने पर मैं राहुल गांधी जी और भारत यात्रियों को बधाई देताहूं। हम कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करवाएंगे।

इस मौके पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि जब मेरे भाई कश्मीर की तरफ आ रहे थे, उन्होंने मुझेऔर मेरी मां को संदेश भेजा था। उन्होंने कहा- मुझे लग रहा है, मैं अपने ही घर जा रहा हूं। जब यहां के लोगमुझसे गले मिलते हैं तो उनकी आंखों में आंसू होते हैं…तब लगता है जैसे उनका दर्द मेरे सीने में समा रहा है।कन्याकुमारी से लेकर श्रीनगर तक यात्रा जहां-जहां गई, इस यात्रा को अभूतपूर्व जनसमर्थन मिला। क्योंकि इसदेश में अभी एक जज्बा है- देश के संविधान के लिए, देश की धरती के लिए।

भारत जोड़ो अभियान के समापन अवसर पर आयोजित इस मैगा रैली में कांग्रेस की समान विचार धारा वालेविपक्ष का शक्ति प्रदर्शन भी हुआ। जनसभा में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ-साथ विपक्ष के अहम चेहरेउपस्थित रहे। भारी बर्फबारी के बीच कश्मीरी चौला ओढ़े राहुल गांधी ने सभी का और जनता का शुक्रिया अदाकिया। इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी की उपस्थिति में श्रीनगर के कांग्रेसकार्यालय में राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया।

श्रीनगर में राहुल गाँधी के इस नए अवतार में देख हर कोई प्रभावित हुआ और उनमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कीतरह लोगों से सीधे जुड़ने की कला उभरते हुई भी दिखी। अब यह देखना दिलचस्प होगा उनकी यह खूबी आनेवाले समय में क्या गुल खिलाती हैं…