
अशोक भाटिया
एक तरफ सीमा से पाकिस्तान पर ऑपरेशन सिन्दूर के तहत युद्ध की खबरें आ रही है । भारतीय सेना पूरे दम ख़म के साथ पाकिस्तान दहशतगर्दों को धुल चटा रही है व जनता सेना का मनोबल बढ़ाने में लगी है । उसी के साथ महाराष्ट्र से चौकाने वाली राजनैतिक खबरें भी आ रही है । जैसा की हम जानते है महाराष्ट्र की सियासत में हमेशा कुछ न कुछ नया होता ही रहता है। वहां पर राजनीतिक हलचल लगातार बनी रहती है। पिछले कुछ दिनों से ठाकरे परिवार के फिर से एक होने की चर्चा जोरों पर है। उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच सुलह-समझौता कराने की कोशिश की जा रही है। इस बीच एक और चौंकाने वाली खबर आ रही है कि पवार परिवार भी एक होने की कवायद में लग गया है।उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के एक साथ आने की सुगबुगाहट के बीच अब चाचा-भतीजे की जोड़ी शरद पवार और अजित पवार के भी साथ आने की खबर तेज हो गई है। राज्य के सियासी गलियारों में ऐसी चर्चा है कि चाचा शरद पवार खुद चाहते हैं कि उनके भतीजे अजित पवार आगे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को एक साथ लेकर चलें।
यह कयास ऐसे ही नहीं लगाए जा रहे हैं। पिछले कुछ महीनों में शरद पवार और अजित पवार एक साथ कई बार एक मंच पर दिख चुके हैं। राजनीति के मैदान में कुछ सालों में भले ही चाचा-भतीजे की राहें अलग हो गई हों, लेकिन दोनों (बारामती सहकार भवन के कार्यक्रम में, 2 बार साहित्य और कला मंच के कार्यक्रम में) एक साथ मंच साझा कर चुके हैं।इससे 2 दिन पहले शरद पवार की बेटी और सांसद सुप्रिया सुले ने भी एक सवाल के जवाब में कहा था कि उन्हें परिवार के जुड़ने पर खुशी मिलती है। वो चाहती हैं कि पवार परिवार हमेशा एक साथ रहे।कुछ समय पहले पवार परिवार एक वैवाहिक कार्यक्रम में आपस में मिले थे। उपमुख्यमंत्री अजित पवार के छोटे बेटे जय पवार की सगाई समारोह में शरद पवार और सुप्रिया सुले दोनों पहुंचे। पुणे में आयोजित सगाई समारोह दोनों परिवारों के लोग शामिल हुए थे।
ज्ञात हो कि अजित पवार लंबे समय तक शरद पवार के साथ मिलकर राजनीति करते रहे है । लेकिन करीब 2 साल पहले जुलाई 2023 में उन्होंने चाचा के खिलाफ बगावत कर दिया और एनसीपी के एक धड़े के साथ राज्य में बने महायुति गठबंधन में शामिल हो गए। बाद में अजित पवार की अगुवाई वाले एनसीपी को मुख्य पार्टी घोषित कर दिया गया। यह पार्टी अभी राज्य में महायुति गठबंधन का हिस्सा है।इससे पहले भी कई अन्य अवसरों पर चाचा और भतीजे आपस में मिलते रहे हैं। जब राज्य के सबसे ताकतवर ठाकरे परिवार में अलगाव खत्म होने के कगार पर है और उद्धव तथा राज आपस में मिलने जा रहे हैं तो पवार परिवार के भी मिलन के कयास लगने लगे हैं।
समाचारों के अनुसार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार के एक ताजा बयान से राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। उन्होंने भविष्य में NCP के दोनों गुटों के फिर से एक होने की संभावना जताई है। पवार के इस बयान के बाद, NCP के दोनों खेमों से पुनर्मिलन की संभावना को लेकर सकारात्मक संकेत मिले हैं। शरद पवार ने तो यहां तक कहा कि सुप्रिया सुले को पार्टी के मर्जर पर फैसला लेना है। शरद पवार ने मीडिया से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि उनकी पार्टी का एक वर्ग अजित पवार के नेतृत्व वाली NCP के साथ हाथ मिलाने के पक्ष में है। उन्होंने कहा कि पुनर्मिलन पर फैसला लेने में वह सक्रिय रूप से शामिल नहीं हैं। शरद पवार ने यह भी कहा कि उनकी बेटी सुप्रिया सुले, जो NCP (SP) की कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं, को अपने चचेरे भाई अजित पवार के साथ बैठकर इस मामले पर चर्चा करनी होगी। शरद पवार ने कहा कि अगर पुनर्मिलन होता है, तो दूसरों को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। मतलब, अगर दोनों परिवार मिलकर साथ आ जाएं तो किसी को हैरानी नहीं होनी चाहिए।
शरद पवार ने याद दिलाया कि जब उन्होंने पार्टी बनाई थी, तब आज अलग हुए सभी लोग साथ थे। उन सभी की विचारधारा एक ही है। इसलिए अगर भविष्य में ये सभी फिर से एक साथ आते हैं, तो उन्हें कोई आश्चर्य नहीं होगा। यह पूछे जाने पर कि क्या वे पहले से ही इंडिया गठबंधन में हैं, शरद पवार ने कहा कि इंडिया गठबंधन अभी सक्रिय नहीं है। इसलिए उन्हें अपनी पार्टी को फिर से बनाना होगा, उसे मजबूत करना होगा, युवाओं को उसमें शामिल करना होगा और काम करना होगा। 2 जुलाई, 2023 को NCP में विभाजन के बाद से, दोनों गुट एक-दूसरे के खिलाफ खुलकर बोलते रहे हैं। पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान, NCP के दोनों गुटों ने न केवल एक-दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार उतारे, बल्कि जमकर चुनाव प्रचार भी किया। दोनों गुटों ने एक दूसरे को हराने के लिए पूरी ताकत लगा दी थी।
लेकिन, विधानसभा चुनावों के बाद एक महत्वपूर्ण बदलाव देखा गया। अजित पवार के गुट ने 59 में से 41 सीटें जीतकर अच्छा प्रदर्शन किया। पुणे के वसंतदादा पाटिल शुगर इंस्टीट्यूट में आयोजित बैठक की यह तस्वीर महाराष्ट्र की राजनीति में खास मानी जा रही है, क्योंकि इसमें चाचा शरद पवार और भतीजे अजित पवार के बीच कोई दूरी नजर नहीं आ रही। जुलाई 2023 में जब अजित पवार बगावत कर अलग हो गए थे, तब से चाचा और भतीजा बहुत कम मौकों पर एक साथ एक ही मंच पर नजर आए। अगर किसी मौके पर एक मंच साझा करना पड़ा भी तो दोनों एक-दूसरे के बगल में बैठने से बचते थे, लेकिन इस बैठक में न केवल दोनों अगल-बगल बैठे, बल्कि इसके बाद जो कुछ भी हुआ, उसने महाराष्ट्र की सियासत में कयासों का सिलसिला शुरू कर दिया। दरअसल, शरद पवार और अजित पवार दोनों ही वसंतदादा पाटिल शुगर इंस्टीट्यूट के पदाधिकारी हैं। इस आधिकारिक बैठक के संपन्न होने के बाद चाचा-भतीजा एक बंद कमरे में फिर से मिले। दोनों के बीच करीब आधे घंटे तक बातचीत हुई। बातचीत किस मसले पर थी, यह तो साफ नहीं है, लेकिन इस मुलाकात से यह चर्चा जरूर शुरू हो गई कि चाचा-भतीजा फिर से कोई ‘खिचड़ी’ पका रहे हैं।
शरद पवार और अजित पवार के बीच हुई इस बैठक से उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना तिलमिला गई। पार्टी के सांसद संजय राऊत ने तो यहां तक कह दिया कि दोनों पवार एक ही हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि एकनाथ शिंदे के अलग होने के बाद उनकी पार्टी के लोग शिंदे गुट के नेताओं से मिलते-जुलते या चाय पीते नजर नहीं आते। शरद पवार अपने भतीजे के साथ एक बैठक करते हैं और महाराष्ट्र की सियासत में खलबली मच जाती है। इस मुलाकात के बाद अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या शरद पवार महाविकास अघाड़ी से अलग होकर कोई नया राजनीतिक समीकरण तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं? इसके पीछे वजह है शरद पवार की छवि। शरद पवार अक्सर ऐसे राजनीतिक फैसले ले लेते हैं, जिनका अंदाज़ा बड़े-बड़े सियासी पंडित भी नहीं लगा पाते। खुद संजय राऊत 2019 में कह चुके हैं कि शरद पवार के दिमाग को समझने के लिए 100 जन्म लेने पड़ेंगे।
जाहिर है शरद पवार के पुनर्मिलन के संकेत के साथ, MVA – NCP (SP), कांग्रेस और शिवसेना (UBT) के गठबंधन का भविष्य अब अधर में लटक गया है। NCP (SP) प्रमुख राज्य में MVA के लिए मार्गदर्शक शक्ति रहे हैं। उन्होंने लोकसभा और विधानसभा चुनावों में विपक्षी गठबंधन के लिए प्रमुख प्रचारक की भूमिका निभाई थी। अब, MVA का भविष्य अनिश्चित लग रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि शरद पवार की NCP(SP) अजित पवार की NCP के साथ जा सकती है। साथ ही, शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी अपने चचेरे भाई राज ठाकरे की MNS के साथ पुनर्मिलन का संकेत दिया है।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में, हमने देखा है कि NCP (SP) ने राज्य सरकार के खिलाफ ज्यादा आक्रामक रुख नहीं दिखाया है। ऐसी भी बातें चल रही हैं कि उद्धव ठाकरे की शिवसेना, राज ठाकरे की MNS के साथ हाथ मिला सकती है। ऐसे में, कांग्रेस को महाराष्ट्र के लिए अपनी रणनीति बनानी होगी। चूंकि स्थानीय निकाय चुनावों से पहले पार्टी के पास ज्यादा समय नहीं है, इसलिए हम तैयारियों के लिए MVA पर ज्यादा निर्भरता नहीं दिखा रहे हैं। मतलब, कांग्रेस अब अपने दम पर चुनाव की तैयारी करने की सोच सकती है।
पवार के बयान पर NCP के दोनों गुटों से सकारात्मक प्रतिक्रियाएं आई हैं। राज्य NCP प्रमुख सुनील तटकरे ने कहा, ‘मुझे पवार साहब के बयान के बारे में मीडिया रिपोर्टों के माध्यम से पता चला। हमने अभी तक पार्टी के भीतर इस मुद्दे पर चर्चा नहीं की है। लेकिन चूंकि उन्होंने संभावित पुनर्मिलन का संकेत दिया है, इसलिए हम अपनी कोर कमेटी की बैठक में इस पर चर्चा करेंगे।’अब देखना है कि महाराष्ट्र की सियासत के 2 रसूखदार परिवारों का बिखराब कब खत्म होता है। अगर दोनों परिवार आपस में मिलते हैं तो जाहिर है कि यहां की सियासत में भी काफी कुछ बदल जाएगा।
अशोक भाटिया, वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार ,लेखक, समीक्षक एवं टिप्पणीकार