रविवार दिल्ली नेटवर्क
नई दिल्ली: प्रसिद्ध लेखिका और अंकशास्त्री संगीता शुक्ला ने कहा कि समानता, अवसर और अधिकार—ये सिर्फ कुछ शब्द नहीं हैं, बल्कि हमारे समाज में इनका महत्व लगातार बढ़ रहा है। महिला सशक्तिकरण केवल सामाजिक या राजनीतिक विषय नहीं है, बल्कि यह एक आवश्यकता है, ताकि हम एक समृद्ध, प्रगतिशील और समान समाज की ओर बढ़ सकें। जब महिलाएं सशक्त होती हैं, तो उनका व्यक्तिगत जीवन ही बेहतर नहीं होता, बल्कि पूरे समाज में बदलाव की एक नई लहर आती है।
श्रीमती संगीता शुक्ला रोशनी संस्था द्वारा दिल्ली में आयोजित एक समारोह में महिला सशक्तिकरण पर मुख्य वक्ता के रूप में बोल रही थीं।
उन्होंने कहा कि शिक्षा महिला सशक्तिकरण की दिशा में सबसे बड़ा कदम है। जब महिलाएं शिक्षित होती हैं, तो वे अपने अधिकारों को समझने में सक्षम होती हैं और अपने सपनों को पूरा करने के लिए आत्मनिर्भर बनती हैं। केवल शिक्षा ही महिलाओं को समाज में समान दर्जा प्रदान करती है। जब महिलाओं के पास अपनी आर्थिक स्वतंत्रता होती है, तब वे सशक्त बनती हैं।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि महिलाओं का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समाज के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। जब महिलाएं स्वस्थ होती हैं, तो वे अपने परिवार और समाज में सकारात्मक योगदान दे सकती हैं। इसके साथ ही, महिलाओं के लिए सुरक्षा और अधिकारों की गारंटी भी आवश्यक है, ताकि वे बिना किसी डर के समाज में अपनी भूमिका निभा सकें।
दिली में संविधान क्लब में विभिन्न क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने वाली महिलाओं की उपस्थिति में श्रीमती शुक्ला ने यह बातें कही।
महिला सशक्तिकरण के लिए समाज और परिवार का सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है। अगर महिलाओं को उनके परिवार और समाज से प्रोत्साहन मिलता है, तो वे बड़े सपने देख सकती हैं और उन्हें पूरा करने में सक्षम बनती हैं। आज हमारे समाज में ऐसी कई महिलाएं हैं जिन्होंने अपनी मेहनत, संघर्ष और अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता के जरिए इस सशक्तिकरण को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया है।