रविवार दिल्ली नेटवर्क
दिल्ली : प्रजा फाउंडेशन ने दिल्ली विधायक रिपोर्ट कार्ड, 2023 प्रकाशित किया और शीर्ष तीन रैंक दिल्ली विधानसभा सदस्य (विधायक) हैं रैंक 1: विधायक अजय कुमार महावर (अंक: 83.12%), रैंक 2: विधायक मोहन सिंह बिष्ट
(अंक: 81.29%) और रैंक 3: विधायक ओम प्रकाश शर्मा (अंक: 78.26%)। शीर्ष क्रमित विधायकों ने विधानसभा में अपने
संवैधानिक कर्तव्यों को प्रभावी ढंग से निभाकर उच्चतम अंक हासिल किए, अर्थात विधानसभा सत्रों में उच्चतम उपस्थिति दर्ज़ की
और नागरिकों के मुद्दों को उच्च संख्या में उठाया।
इस प्रगति रिपोर्ट में 23 मार्च 2022 से 19 जनवरी 2023 के अवधि के विधायकों के कार्य क्षमता का आकलन किया गया है। शहर
के कुल 70 विधायकों में से 61 विधायकों का समग्र मूल्यांकन किया गया है। मंत्री, विधानसभा अध्यक्ष और विधानसभा उपाध्यक्ष
सहित शेष 9 विधायकों का इस रिपोर्ट कार्ड में मूल्यांकन नहीं किया गया था, क्योंकि वे सदन में कोई मुद्दा नहीं उठाते हैं।
मिलिंद म्हस्के, सी.ई.ओ, प्रजा फाउंडेशन ने कहा, ''2015 से दिल्ली विधानसभा में आयोजित बैठकों (दिनों) की संख्या में काफी असंगति रही है। 2015 में, दिल्ली विधानसभा की 26 बैठकें ; 2016 में 15 बैठकें; 2017 में 21 बैठकें; 2018 में 32 बैठकें; 2019 में 12 बैठकें; 2020 में 8 बैठकें; 2021 में 8 और 2022 में 15 बैठकें हुईं । 2015 से 2022 तक दिल्ली विधानसभा की औसतन वार्षिक 17 बैठकें हुई हैं। इसके अलावा, अगर हम अन्य राज्यों के साथ दिल्ली विधानसभा की बैठकों की तुलना करते हैं, तो पी.आर.एस. लेजिस्लेटिव द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट से पता चलता है कि दिल्ली विधानसभा की बैठकें कम होती गयी हैं। 2022
में, रिपोर्ट में रैंक किए गए 28 राज्यों में से, दिल्ली विधानसभा बैठकों के मामले में 16वें स्थान पर था।“
विधानसभा सत्र में दिल्ली विधायकों की उपस्थिति 2015 से लगातार कम है और घट रही है। 2015 में, दिल्ली विधायकों की उपस्थिति 90% थी, 2016 में यह 86% ; 2017 में 87%; 2018 में 82%; 2019 में 79%; 2020 में 87%; 2021 में 85% और 2022 में 83% हो गई। पिछले आठ वर्षों में, यानी 2015 से 2022 तक, दिल्ली विधायकों की वार्षिक औसतन उपस्थिति
85% रही है,” प्रजा फाउंडेशन के रिसर्च एंड एनालिसिस प्रमुख योगेश मिश्रा ने कहा।
मिश्रा ने जोड़ते हुए कहा कि “इसके अलावा, बैठकों की संख्या कम होने के परिणामस्वरूप विधायकों को नागरिकों के मुद्दों पर भाग
लेने और विचार-विमर्श करने के अवसर कम हो गए हैं। नतीजन, दिल्ली विधायकों द्वारा उठाए गए मुद्दों की संख्या भी 2015 से
मुद्दे असंगत है। दिल्ली विधायकों ने 2015 में 963 मुद्दे उठाए; 2016 में 778; 2017 में 1,116 मुद्दे; 2018 में 2,336 मुद्दे; 2019
में 1,090 मुद्दे; 2020 में 55 मुद्दे; 2021 में 521 मुद्दे; और 2022 में 872 मुद्दे उठाए। औसतन, दिल्ली के विधायकों ने 2015 से
2022 तक प्रति वर्ष केवल 966 मुद्दे उठाए।“