गोपेन्द्र नाथ भट्ट
राजस्थान विधानसभा के नए अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने सौहलवीं विधानसभा का निर्विरोध अध्यक्ष चुने जाने के बाद अपनी पहली नई दिल्ली यात्रा में कहा था कि वे विधानसभा में कई नवाचार करना चाहते है और इस क्रम में सर्व प्रथम नए विधायकों का प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया जाएगा। इसके अलावा विधानसभा में संसत्र प्रारंभ होने से पहले संसद की तरह सर्वदलीय बैठक की परंपरा भी शुरू करेगे। साथ ही संसद की तरह राजस्थान विधानसभा का अपना टीवी भी होंगा जिस पर विधानसभा से जुड़ी खबरें और सत्र का सजीव प्रसारण कराया जाएगा। प्रारंभ में यह चैनल डिजिटल फॉर्मेट में होंगा। उन्नीस जनवरी से शुरू होने राजस्थान विधान सभा सत्र से पहले 18 जनवरी को सर्वदलीय बैठक होंगी।
राजस्थान विधानसभा में नवाचारों की शुरुआत के साथ मंगलवार को विधायकों की पाठशाला लगी। इस बार 16 वीं विधानसभा में 71नए विधायक चुन कर आए हैं जिनमें कई युवा हैं,यहां तक कि मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा भी जयपुर के सांगानेर सीट से पहली बार विधायक (एमएलए) बने है।
विधानसभाध्यक्ष देवनानी ने अपने वादे के अनुसार मंगलवार को विधानसभा में विधायकों का प्रशिक्षण शिविर आयोजित करवा कर अपनी नवाचार पहलों को साकार करना शुरू कर दिया है।
विधायकों के प्रशिक्षण शिविर का उद्घाटन उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और समापन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने किया l शिविर में विधायकों को कई प्रकार के संसदीय टिप्स दिए गए।
नए विधायकों को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि राजनीतिक अखाड़े में विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने अजमेर में मेरा खूब विरोध किया है, लेकिन हमारे संबंध आज भी अच्छे और मधुर हैं। उन्होंने कहा कि मर्यादित तरीके से विरोध करना मौजूदा अध्यक्ष देवनानी से सीखा जाना चाहिए।
धनखड़ ने विधायकों को नया संसद भवन देखने का निमंत्रण दिया और उन्हें कई प्रकारकी सीख देते हुए कहा कि वे संसदीय मर्यादाओं के अनुरूप आचरण कर आदर्श विधायक बने। विधायकों को संविधान का अध्ययन करना चाहिए ।उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज विधायिका का आचरण देखकर लोग चिंतित हैं। सदन में व्यवधान डालकर कुछ समय के लिए कोई सदस्य चर्चित हो सकता है लेकिन उसे तभी हमेशा याद किया जा सकेगा जब वह सदन में अच्छे आचरण और प्रभावी वक्तवय से बहस में भाग लेकर अपनी अमिट छाप छोड़े ।
उन्होंने सोशल मीडिया पर भ्रांतिपूर्ण तरीके से किसी का भी चरित्र हरण करने को अनुचित बताते हुए इस पर प्रवृति पर अंकुश लगाने की जरूरत बताई। धनखड़ ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को कम समय में मिली लोकप्रियता को अच्छा संकेत बताया और इसे और अधिक बढ़ाना और बचाना एक चुनौती भी है।
नवनिर्वाचित विधायकों के प्रबोधन कार्यक्रम के समापन सत्र में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि राजस्थान विधानसभा का अपना गौरवशाली इतिहास रहा है। इस कड़ी में विधानसभा अध्यक्ष देवनानी के सुदीर्घ संसदीय अनुभवों का लाभ राज्य को मिलेगा। उन्होंने सरकार को सीख दी कि विपक्ष के अच्छे मुद्दों को सकारात्मक लेना चाहिए।राजस्थान में जब राजाओं का राज था तब भी लोकतांत्रिक व्यवस्था होती थी। राजस्थान में लोकतंत्र की यह परम्परा और विचारधारा सदैव हमारे विचारों में रही। मुझे भी इस विधानसभा का सदस्य होने का गौरव मिला। लोकतंत्र के इस मंदिर में जो मैंने सीखा,उसे ही आगे बढ़ाने का काम किया हैं। लोकसभाध्यक्ष ने कहा कि vजो सदन में बैठेगा,सुनेगा वही तर्क के साथ अपनी बात करेगा लेकिन आजकल विधायक गण सदन में पूरे समय मौजूद नहीं रहते है। पुराने ही नहीं नए विधायक भी ऐसा करते हैं जबकि इसी विधानसभा में कतिपय ऐसे उदाहरण है कि राव राजेंद्र सिंह जैसे विधायक सदन में पूरी तैयारी के साथ आते थे। इसी प्रकार गुलाब चंद कटारिया और राजेंद्र राठौड़ पूरे समय सदन में रहते थे। सदन में उपस्थिति को लेकर विधायकों को बहुत गंभीर रहने की जरूरत है, क्योंकि विधानसभा ही कानून बनाने का काम करती है।
सदन को चलाने की जिम्मेदारी पक्ष और विपक्ष दोनों की है। इसलिए हर विधायक की जिम्मेदारी बन जाती है कि वे अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र के कल्याण और विकास की और वहां के लोगों के भरोसे पर खरा उतरें। साथ ही जन आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए राज्य के प्रमुख विषयों को सदन में उठाएं। भले ही आप एक विधानसभा क्षेत्र के विधायक हैं, लेकिन आपके कंधों पर पूरे राजस्थान के कल्याण की जिम्मेदारी है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन और समापन अवसर पर मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा भी उपस्थित थे। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला हमारे प्रदेश का मान बढ़ा रहे है। राज्यसभा के सभापति और उन्होंने संसदीय प्रक्रियाओं के नियमों को बारीकी से सभी विधायकों को समझाया है। शर्मा ने उप राष्ट्रपति धनखड़ जी के संबोधन को लेकर कहा कि सदन को चलाने की जिम्मेदारी पक्ष और विपक्ष दोनों की होती है।
इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि सभी विधायक गण संसदीय मर्यादा में रहकर अच्छे तरीके से अपने मुद्दों को उठाएं। विधान सभा की समितियों को प्रभावी बनाना भी आप लोगों के हाथ में है। उन्होंने विधायकों को विश्वास दिलाया कि आप सभी को अपनी बात रखने का पूरा समय मिलेगा। पक्ष-विपक्ष दोनों जनहित से जुड़े मुद्दे उठाएं और सदन को भलीभांति चलाने में सहयोग करें। स्पीकर वासुदेव देवनानी ने बताया कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम सभी के लिए लाभप्रद रहा विशेष कर 71 उन विधायकों के लिए कार्यक्रम बेहद अहम रहा कि जो विधायक बन पहली बार सदन के सदस्य बने हैं।
प्रशिक्षण कार्यशाला के दौरान सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने अपने प्रबोधन संबोधन में कहा कि मैंने अपने 40 साल के संसदीय जीवन में एक भी डिजायर नहीं की। प्रदेश में मंत्री रहा तो एक भी गवर्नमेंट ऑर्डर नहीं किया। इन सबके किए बगैर भी आप दिशा निर्देशों की पालना कर सकते हैं। विधायक मेरी बात का बुरा ना माने डिजायर करना भी विशेषाधिकार का हनन माना जाता है। इस अधिकारी को इधर लगा दो , उधर लगा दो, लेकिन आजकल तो डिजायर सिस्टम बन गया है। विशेषाधिकार नहीं हो तो सदन की कार्यवाही नहीं चल सकती। उन्होंने बताया किआर्टिकल 194 में प्रिविलेज की व्यवस्था है।
तिवाड़ी ने पर्ची का जिक्र करते हुए कहा कि यह पर्ची बड़ी खतरनाक चीज है। जब यह निकलती है तो अच्छे अच्छों के होश उड़ जाते हैं। इस दौरान सदन में जोरदार ठहाके लगे। उन्होंने विधायकों से कहा कि आसन से आंख मिलाना सीख लो। ज्यों ही आसन से आंख मिली तो समझो आपको बोलने का अधिकार मिल जायेगा।
राजस्थान विधान सभा में विधायकों की इस पाठ शाला में और भी कई रोचक प्रसंग देखने और सुनने मिले। जब प्रशिक्षण समाप्ति पर था तब विधानसभा को टीकाराम जूली के रूप में अपना प्रतिपक्ष का नेता भी मिल गया। कांग्रेस ने पार्टी के दलित चेहरे को अपनी पार्टी के संसदीय दल का नेता मनोनीत किया है। गहलोत मंत्रिपरिषद में मंत्री रहे टीकाराम जूली अलवर ग्रामीण से अनुसूचित जाति के विधायक है।
देखना है विधायकों के इस प्रशिक्षण शिविर का लाभ उठाने में ये माननीय विशेष कर नए विधायक कितने सफल होते है?