
भारत के खिलाफ परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने की धमकी !!
गोपेन्द्र नाथ भट्ट
पड़ोसी पाकिस्तान के नापाक इरादों और उसके आतंकवादी गतिविधियों से बाज नहीं आने तथा हाल ही जम्मू कश्मीर के स्विटजरलैंड माने जाने वाले पहलगाम में निर्दोष और निहत्थे भारतीय एवं विदेशी सैलानियों को मौत के घाट उतारने की नृशंस और कायराना घटना के बाद भारत के सब्र का बांध अब टूट गया है । भारत द्वारा पहलगाम के दोषियों और इस साजिश में शामिल लोगों का दुनिया के अन्तिम कोने तक पीछा करते हुए उन्हें उनके कारनामों की सजा देने की घोषणा के साथ ही पहली बार पाकिस्तान के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करते हुए 65 पुरानी सिंधु जल संधि पर रोक लगाने के फैसले से पाकिस्तान फड़फड़ा रहा है। भारत ने कहा है कि पाकिस्तान को तब तक सिन्धु पानी की एक बूंद भी नहीं देगा जब तक पाकिस्तान सीमा पार से आतंकवादी गतिविधियों को समर्थन देना जारी रखेगा।
पहलगाम आतंकी हमले में पाकिस्तान के लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकियों ने 26 निर्दोष और निहत्थे लोगों को उनका धर्म पूछ कर मार डाला,जिसमें करीबन सभी हिन्दू भारतीय पर्यटक थे। भारत ने अपने इस पहले बड़े कूटनीतिक फैसले में सिंधु जल संधि पर रोक लगाने का जो बहुत बड़ा एलान किया है,उससे आने वाले दिनों में पाकिस्तान की एक बड़ी आबादी के पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस जाना तय लग रहा है। साथ ही पाकिस्तान की खेती और उस पर निर्भर एवं आधारित उद्योगों के भी चौपट होने के पूरे आसार दिख रहें है। उसके अलावा अगले दो तीन महीनों में वहां भारी बाढ़ के खतरे से भी नहीं नकारा जा सकता है। कंगाली के कगार और आर्थिक बदहाली के हालातों में जी रहें पाकिस्तान की कमर तोड़ने के लिए भारत का यह रामबाण और सिन्धु जल समझौते को रद्द करने के कठोर फैसले का यह कदम न केवल एक बहुत कड़ा राजनीतिक फैसला है बल्कि,एक बहुत बड़ा कुटनीतिक कदम भी है जिसे लेकर पाकिस्तान की बौखलाहट सामने आ चुकी है। वह इसे एक प्रकार से ‘युद्ध की कार्रवाई’ बता रहा है। साथ ही उसने भारत पर परमाणु हथियारों से हमला करने की धमकी और चेतावनी भी दे दी है। इसके अलावा पाकिस्तान शिमला समझौते को समाप्त कर फिर से कश्मीर का राग अलापने की बात भी कर रहा है। हालांकि उसने भारतीय सिविल विमानों के अपने हवाई क्षेत्र के ऊपर से यात्रा को प्रतिबंधित कर दिया है और सीमावर्ती क्षेत्रों में अपनी सैन्य गतिविधियां भी बढ़ा दी है।
कूटनीतिक जानकारों का मानना है कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद अमेरिका,रूस,यूरोप सहित विश्व के अधिकांश देशों द्वारा भारत के पीछे खड़े हो जाने से आर्थिक बदहाली से ग्रस्त पाकिस्तान अकेला पड़ गया है लेकिन उसके कंधे पर चढ़ भारत का एक और दुश्मन चीन अपने गलत इरादों को अमलीजामा पहनाने की कोशिश में लग गया है। कूटनीतिज्ञ बताते है कि पाकिस्तान को चीन द्वारा श्रेय मिलना ही भारत के खिलाफ उसके दुस्साहस का एक बड़ा कारण है। चीन पाक अधिकृत कश्मीर के रास्ते अपने आर्थिक गलियारे को बढ़ाने के बहाने पाकिस्तान के सहयोग से भारत के पश्चिमी हिस्से की भी घेराबंदी करना चाह रहा है ।
भारत और पाकिस्तान ने 1960 में सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए थे। वर्ल्ड बैंक भी इस संधि का एक हस्ताक्षरकर्ता है। इस संधि का उद्देश्य सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के पानी को दोनों देशों के बीच बराबर बांटना था। संधि के तहत, तीन पूर्वी नदियों ब्यास, रावी और सतलुज का पानी भारत को दिया गया और तीन पश्चिमी नदियों चिनाब, सिंधु और झेलम का पानी पाकिस्तान को दिया गया। इसके बाद ब्यास,रावी और सतलुज का पानी सूखे राजस्थान को भी मिलना शुरू हुआ तथा पाकिस्तान की सीमा से सटे पश्चिम राजस्थान के सीमावर्ती रेगिस्तानी जिलों के खेतों और लोगों के कंठ की प्यास बुझाने के लिए विश्व की सबसे बड़ी सिंचाई जल परियोजना राजस्थान की इन्दिरा गांधी नहर परियोजना मूर्त रूप में सामने आई।
आजादी के बाद सात दशक से भी अधिक समय तक पाकिस्तान की नापाक हरकतों के बाद भी भारत ने अपने थार रेगिस्तान प्रभावित इलाकों के बजाय पाकिस्तान को कभी भी पानी की आपूर्ति नहीं रोकी लेकिन,भारत द्वारा पहलगामआतंकी हमले के बाद अब सिन्धु नदी जल समझौता रद्द कर पाकिस्तान को पानी देना बन्द करने के भारत के कूटनीतिक फैसले से पाकिस्तान के एक बड़े हिस्से के लोगों के प्यासे मरने के हालात पैदा होने का खतरा पैदा होने वाला है जोकि उसकी अकड़ निकालने और बदहाली के लिए एक कड़ा कदम साबित होने वाला है। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को रोकने का यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट कमेटी ऑफ सिक्योरिटी (सीएसएस) की बैठक में लिया है। पाकिस्तान पानी बंद,सीमा बंद और वीजा बंद के साथ ही राजनयिक सम्बन्ध बंद करने के कठोर भारतीय फैसलों से बुरी तरह से बौखला गया हैं।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के निवास पर शुक्रवार को हुई उच्च स्तरीय मंत्रिमंडलीय समिति की मीटिंग के बाद केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने पाकिस्तान को थोड़ा सा भी पानी नहीं देने की बात कहकर बहुत बड़ा संदेश दे दिया है।
उन्होंने बताया कि इसके लिए भारत सरकार तीन योजनाओं पर काम कर रही है। एक कम समय का प्लान,एक मध्यम अवधि का प्लान और एक लंबी अवधि का प्लान। इन योजनाओं से ये सुनिश्चित किया जाएगा कि पाकिस्तान को पानी की सप्लाई न हो सके। सरकारी सूत्रों के अनुसार, भारत पाकिस्तान की हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है। इसमें कानूनी चुनौतियां भी शामिल हैं। सूत्रों ने कहा,अगर पाकिस्तान भारत के फैसले के विरुद्ध वर्ल्ड बैंक जाता है, तो उसके लिए भारत ने अभी से अपना जवाब एवं प्रतिक्रिया तैयार कर ली है । भारत उसका जवाब प्रभावी ढंग से देगा।
क्या है सिंधु जल संधि ?
भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद दोनों देशों की पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए सिंधु जल संधि समझौता किया गया था। 19 सितंबर, 1960 को तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसके तहत छह नदियों ब्यास, रावी, सतलुज, सिंधु, चिनाब और झेलम के पानी के इस्तेमाल को लेकर नियम तय किए गए थे। इस समझौते के तहत पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियों चिनाब, झेलम और सिंधु से संपूर्ण जल प्राप्त होता है। वहीं भारत को सतलुज, व्यास और रावी नदियों का जल प्राप्त होता है। विश्व बैंक की लंबी मध्यस्थता के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल समझौता हुआ था।
आजादी के बाद पाकिस्तान के साथ 1965 और 1961 की और कारगिल जैसी कई जंग लड़ चुके भारत ने कभी भी इस समझौते को नहीं तोड़ा और न ही पाकिस्तान का पानी कभी रोका। हालांकि, लंबे समय से भारत में इस जल संधि को तोड़े जाने की मांग हो रही है। इस समझौते के लागू होने से पहले 1 अप्रैल 1948 को भारत ने दो प्रमुख नहरों का पानी रोक दिया था,जिससे पाकिस्तानी पंजाब की 17 लाख एकड़ जमीन पानी को तरस गई थी।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद अब सिन्धु जल समझौते को पूरी तरह से रद्द करने के भारत के कठोरतम फैसले के बाद पाकिस्तान की कमर पूरी तरह तोड़कर रख देने को तैयारी है। दरअसल, पाकिस्तान का पंजाब और सिंध प्रांत पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए पूरी तरह से चिनाब, झेलम और सिंधु जैसी नदियों के पानी पर ही निर्भर है लेकिन अब पाकिस्तान को इन नदियों का पानी नहीं मिलने से पाकिस्तान की बदहाली और बढ़ने वाली है। इसके बावजूद यदि पाकिस्तान अपनी नापाक करतूतों को नहीं छोड़ता है और जंग की बात कर भारत के बांधों आदि पर परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने की बात कर रहा है तो इससे बड़ा उसका और कोई दुर्भाग्य नहीं होगा क्योंकि न तो पाकिस्तान की मौजूदा सरकार के पास भारत के साथ युद्ध लड़ने की ताकत बची है और न ही खुद उसे अपने नागरिकों,पाक अधिकृत कश्मीर तथा बलूच वासियों और कश्मीर घाटी के लोगों का समर्थन और सहानुभूति भी प्राप्त नहीं है।