
गोपेन्द्र नाथ भट्ट
राजस्थान पर इस बार इन्द्र देवता कुछ अधिक ही मेहरबान हुए है….. फिर भी प्रदेश के बड़े बांधों चित्तौड़गढ़ जिले के राणाप्रताप सागर बाँध और बांसवाड़ा के माही बजाज सागर बांध के ओवर फ्लो का सभी को इंतजार है। 26 अगस्त 2025 तक राज्य के प्रमुख बाँधों की स्थिति काफी उत्साहवर्धक रही है और औसतन उनका जल स्तर लगभग 84 प्रतिशत हो गया है और उनमें अभी भी पानी की आवक जारी है । राजस्थान के कुल बाँधों की वर्तमान स्थिति को यदि गहराई से देखें तो मुख्य बाँध लगभग 84 प्रतिशत तक भर गए हैं, जबकि छोटे बांध शत प्रतिशत और मध्यम बाँध लगभग 60 प्रतिशत तक भरे हैं। मौसम विभाग के अनुसार, मानसून राजस्थान में सामान्य से लगभग 88 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज कर रहा है । राज्य के सभी बाँधों का कुल जल भंडारण देखें तो प्रदेश के 693 बाँधों में से कुल जल भंडारण क्षमता 75.33 प्रतिशत (13,026 एमसीएम में से) है। राज्य के 23 प्रमुख बाँध 84.14 प्रतिशत तक भरे हुए हैं, जबकि छोटे बांध शत प्रतिशत और मध्यम बाँध 60.39 प्रतिशत तक भरे हैं।
पूरे राज्य में अभी भी मानसून लगातार जारी है, प्रदेश की राजधानी पिंक सिटी जयपुर भी इससे अछूती नहीं हैं। इसके कारण राज्य में बरसात सामान्य से लगभग 88 प्रतिशत ज्यादा हो चुकी है। दक्षिणी राजस्थान के उदयपुर और सलूंबर के निकट स्थित जयसमंद और बांसवाड़ा के माही बजाज सागर बाँध मे मानसून की शुरुआत में सिर्फ 30 से 34 प्रतिशत पानी ही था, लेकिन बाद में इनके जलस्तर में तेजी से सुधार हुआ, लेकिन ये बांध अभी भी पूरी तरह से भरे नहीं है। जबकि झीलों की नगरी उदयपुर की खूबसूरत झीलें लबालब भर गई है और फतहसागर झील छलक भी पड़ी है।
राजस्थान का सबसे बड़ा बाँध रणाप्रताप सागर बाँध है। यह बाँध चित्तौड़गढ़ ज़िले के रावतभाटा के पास चम्बल नदी पर बनाया गया है। इसकी ऊँचाई लगभग 54 मीटर और लम्बाई लगभग 1,143 मीटर है। यह बाँध चम्बल घाटी परियोजना का दूसरा बाँध है (इसका पहला बांध – गांधी सागर बाँध, तीसरा – जवाहर सागर बाँध और चौथा – कोटा बैराज बांध हैं ) । इसमें लगभग 5,060 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) जल भंडारण क्षमता है। यह बाँध सिंचाई, जलापूर्ति और विद्युत उत्पादन (172 मेगावाट) के लिए प्रसिद्ध है। इस प्रकार, यह बांध राजस्थान का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण बाँध है।
अगस्त के अन्तिम सप्ताह के आंकड़ों के अनुसार राणा प्रताप सागर बाँध का जल स्तर लगभग 98.54 प्रतिशत पूर्ण क्षमता के आसपास पहुंच गया है और इसके किसी भी वक्त ओवरफ्लो की संभावना बनी हुई है। विभागीय अधिकारी इसे समय-ब-समय नियंत्रित रूप से खोलने की तैयारी में हैं। इसी कोटा बैराज जल स्तर लगभग 97.25 प्रतिशत यानी यह भी भरने के करीब ही है और आवश्यकता पड़ने पर गेट खोले जा सकते हैं ।
प्रदेश का दूसरा बड़ा बांध बांसवाड़ा जिला मुख्यालय के निकट माही बजाज सागर बाँध है। यह अंतर्राज्यीय बहुउद्देशीय बांध 85 मीटर ऊंचा है तथा इससे 1.50 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में सिंचाई होती है। इस पर दो जल विद्युत घर भी बने हुए है। दक्षिणी राजस्थान वागड़ अंचल की जीवन रेखा माना जाने वाला यह बांध दक्षिणी राजस्थान के बांसवाड़ा, डूंगरपुर और उदयपुर से अलग हुए सलूंबर जिलों में सिंचाई और जलापूर्ति में मददगार है। बांसवाड़ा का माही बजाज सागर बाँध अभी 82.21प्रतिशत ही भरा है और इसमें मध्यप्रदेश तथा माही बैकवाटर क्षेत्र से पानी की आवक हो रही है, लेकिन यह बांध भी अभी पूर्ण रूप से नहीं होने भरा से इसके 16 गेट खुलने का नयनाभिराम दृश्य देखने की लोगों में उत्सुकता बनी हुई है।
हाल ही में प्रदेश के जयपुर और अजमेर के निकट स्थित बीसलपुर बांध के भी गेट खोले गए है। इस बांध से पहली बार जुलाई माह में ओवरफ्लो हुआ है। बिसलपुर बाँध का जल स्तर भी अच्छे मानसून के कारण ही बढ़ा , जुलाई अंत में यह 312.5 मीटर पर था, जबकि इसकी पूर्ण क्षमता 315.5 मीटर है ।
राज्य के पूर्वी भाग में पिछले 22 से 24 अगस्त की भारी बरसात के कारण सवाई माधोपुर ज़िले का सुरवाल बाँध ओवरफ्लो हो गया, जिससे 2 किमी लंबा, 30 मीटर चौड़ा और लगभग 15 मीटर गहरा एक क्रेटर (गड्ढा) बन गया। इस घटना ने कई गाँवों को डुबो दिया और इसने सड़कों एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर को भी भारी क्षति पहुँचाई है। तीन दिनों में लगभग 250 मिमी बारिश होने से यह स्थिति बनी जो इस क्षेत्र में सामान्य की तुलना में लगभग दस गुना अधिक बारिश थी। इससे कई गाँवों में बाढ़ से विनाश हुआ। यह घटना बड़े पैमाने पर तबाही लेकर आई (जैसे फसलें, घर और सड़कों को भारी नुकसान पहुंचा) । दर्जनों गाँवों में बाढ़, कुछ लोगों की मृत्यु, फसलें और घर प्रभावित हुए है । एसडीआरएफ और एनडीआरएफ तथा सेना द्वारा राहत एवं बचाव कार्य किए जा रहे है।
राजस्थान के अन्य कई छोटे बाँध 100 प्रतिशत यानी पूर्ण स्तर पर पहुँच पूरे भर चुके हैं और ओवर फ्लो कर रहे हैं । प्रदेश में भजन लाल सरकार द्वारा बाद नियंत्रण और राहत आदि के उपाय पूरी शिदत के साथ किए जा रहे है। फिर भी विशेषज्ञों का मानना हैं कि राजस्थान विधानसभा के एक सितम्बर से शुरू होने वाले विधानसभा के मानसून सत्र में यह मुद्दा चर्चा का एक विषय बन सकता है।