5वां एपीजे अब्दुल कलाम स्मृति व्याख्यान आदर्शों व प्रौद्योगिकी का पथप्रदर्शक: नितिन गडकरी

5th APJ Abdul Kalam Memorial Lecture is a torchbearer of ideals and technology: Nitin Gadkari

प्रो. नीलम महाजन सिंह

पाँचवाँ ‘भारत रत्न डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम स्मारक व्याख्यान’, भारतीय इस्लामिक सांस्कृतिक केंद्र के नेतृत्व में आयोजित किया गया। भारत के 11वें राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, अपने रिटायर्मेंट से एक दिन पहले, इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर आए थे। वे ‘जनता के राष्ट्रपति थे व राष्ट्रपति भवन जनता के लिए’ सदेव खुला था। शहज़ाद मोहम्मद खान, उनके मिडिया सलाहकार रहे हैं। 2024 में एस.एम. खान साहब का आकस्मिक देहांत, इस्लामिक सेंटर के लिए गहरा आघात था। इस्लामिक सेंटर में श्री नितिन गडकरी, भारत सरकार के परिवहन व सड़क-हाईवे मंत्री ने, एस.एम. खान के सौजन्य से मुख्य भाषण दिया। एस. एम. खान के बेटों, शहावर मोहम्मद खान, शहज़ाद व शेहरयार खान की मेहनतकश ने इस कार्यक्रम को सफलतापूर्वक आयोजित किया। सिराजुद्दीन कुरैशी, पूर्व अध्यक्ष, इमरान खान, अबुज़र हुसैन खान, शहाना बैगम व अन्य ने इस कार्यक्रम की सफलता के लिए अनुकरणीय प्रयास किए। नितिन गडकरी ने उच्च विचारों, मूल्यों व सादा जीवनयापन करने पर ध्यान केंद्रित किया। सलमान खुर्शीद, अध्यक्ष व मोहम्मद फुरकान, उपाध्यक्ष ने विशेष अतिथि नितिन गडकरी को धन्यवाद दिया। भारत एक विश्व गुरु तभी बन सकता है, जब हम उन आदर्शों व सिद्धांतों का पालन करें, जिनका अनुसरण राष्ट्रपति, डॉ. अब्दुल कलाम ने अपने जीवनकाल में किया। संसद सदस्यों, कैबिनेट मंत्रियों, राजनयिकों, बड़ी संख्या में प्रतिष्ठित व आम लोगों ने इस आयोजन को अलंकृत किया। नितिन गडकरी ने डा. अब्दुल कलाम की दयालुता व उदारता को कभी नहीं भुलाने का आह्वान किया। एस.एम. खान फाउंडेशन के माध्यम से इस अवधारणा को हमेशा याद रखा जाएगा। सलमान खुर्शीद, मोहम्मद फ़ुरख़ान, न्यासी मंडल व कार्यकारी समिति के सदस्यों ने इस कार्यक्रम की सफलता के लिए कड़ी मेहनत कर, कार्यक्रम को सफल संचालन किया। लेखिका, दूरदर्शन समाचार प्रभाग में एस. एम. खान की सहयोगी रहीं हैं। एस. एम. खान भारतीय सूचना सेवा के एक सौम्य व सक्षम अधिकारी थे, जिन्होंने दूरदर्शन समाचार के महानिदेशक, भारत के राष्ट्रपति के प्रेस सचिव, भारत रत्न डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, भारतीय समाचार पत्रों के रजिस्ट्रार आदि सहित विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। 2024 में एक घातक बीमारी से जूझने के बाद, उन्होंने दुनिया को अलविदा किया। एस. एम. खान फाउंडेशन का विचार, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनके परिवार को दिया। खान केवल नौकरशाह ही नहीं थे; वे अपनी योग्यता व क्षमता के बल पर आगे बढ़े, नवीन विचारों से संपन्न व्यक्ति थे, जिससे उन्हें अपने सहयोगियों व सरकारी अधिकारियों के बीच विशेष सम्मान प्राप्त हुआ। वे बहुत कम बोलते थे, लेकिन उनके पास प्रभावी लेखन का कौशल था जिसका उपयोग उन्होंने पद छोड़ने के बाद भी विभिन्न संगठनों में कार्य वातावरण को बेहतर बनाने के लिए किया। डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम स्मारक व्याख्यान: 2025; में सलमान खुर्शीद, आईआईसीसी अध्यक्ष व पूर्व विदेश मंत्री ने कहा, “एस.एम. खान साहब के असामयिक निधन ने हमारे दिलों में एक स्थायी शून्य छोड़ दिया है। उनका व्यवहार मिलनसार था व वे समझदारी भरी सलाह देते थे। हम एस.एम. खान साहब को हमेशा याद करेंगें।” सलमान खुर्शीद ने कहा कि डॉ. अब्दुल कलाम की प्रौद्योगिकी व आधुनिक डिजिटल टेक्नोलॉजी के मिश्रण से, भारत अपनी संस्कृति और विचारों से विश्व पथ प्रदर्शक बन पायेगा। बैठकों व अन्य अनौपचारिक बातचीत में सभी जन उनकी प्रशंसा करते सुने जाते हैं। मैंने दूरदर्शन समाचार में उनके कार्यकाल के दौरान एस. एम. खान को बहुत करीब से देखा है। बहुत कम ऐसे अधिकारी हैं जिनका कोई दुश्मन न हो, खान साहब निश्चित रूप से उनमें से एक हैं। “उत्कृष्टता की खोज में, हम अक्सर व्यवस्था में निहित विभिन्न कारकों से बाधित हो जाते हैं और रूठने लगते हैं और अपने स्वास्थ्य का त्याग करने लगते हैं। एस. एम. खान साहब के अपने तरीके थे कि किसी भी चीज़ का उनकी शैली पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े”, ऑल इंडिया रेडियो के पूर्व महानिदेशक व प्रसार भारती के बोर्ड सदस्य फैयाज़ शहरयार कहते हैं। खान का जन्म 15 जून 1957 को उत्तर प्रदेश के खुर्जा में हुआ था। आईसीआईसी में जब भी डॉ. ए. पी.जे. अब्दुल कलाम को याद किया जाएगा, साथ ही एस. एम. खान को भी याद किया जाएगा। सलमान खुर्शीद के नेतृत्व में एस. एम. खान को उतना ही सम्मान मिल रहा है, जितना पूर्व अध्यक्ष सिराजुद्दीन कुरैशी के काल में उनकी खिदमतों को सेंटर के समर्पण के लिए प्राप्त था। अलीगढ़ विश्वविद्यालय से एलएलएम कर, उन्हें ‘चांसलर गोल्ड मेडल’ से सम्मानित किया गया। एस. एम. खान ने अर्थशास्त्र में, वेल्स विश्वविद्यालय से डिग्री प्राप्त की। सोशल मीडिया पर कभी न खत्म होने वाली श्रद्धांजलि, एस. एम. खान के दिव्य व्यक्तित्व की गवाही है। एस.एम. खान ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) में पीआईबी अधिकारी के रूप में काम किया, 1989 से 2002 तक एजेंसी के सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले सूचना अधिकारी के रूप में कार्य किया। राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के कार्यकाल के बाद, एस. एम. खान दूरदर्शन समाचार के महानिदेशक के रूप में एक प्रतिष्ठित पद पर आसीन हुए। यहीं पर मेरा उनसे सीधा संपर्क हुआ। जब भी उनसे किसी समाचार पर चर्चा होती, तो वे उसके निहितार्थ और प्रासंगिकता के बारे में पूछते। उन्होंने कभी भी समाचार रिपोर्ट बनाने में बाधा या हस्तक्षेप नहीं किया। हम यह भी जानते थे कि सार्वजनिक प्रसारक पर क्या प्रसारित किया जा सकता है? एस. एम. खान मेरे प्रति विशेष सम्मान रखते थे व मुझे ‘प्रिय, हमेशा मुस्कुराते वाली व कड़ी मेहनत करने वाली जर्नलिस्ट कहते थे’।

सार्वजनिक सेवा में उनके कार्यक्रमों को प्रासंगिक करने के लिए, एस. एम. खान फाउंडेशन द्वारा उन्हें जीवंत रखा जा रहा है।

शाहवार मोहम्मद खान, शहरयार व शहबाज़ खान; एस.एम. खान फाउंडेशन द्वारा डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की दूरदर्शिता को असक्षम जनता तक पहुंचाने के प्रयास में कार्यरत हैं। एस एम खान की पुस्तक ‘पीपुल्स प्रेसिडेंट’ का विमोचन प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने किया है। उनके शब्दों में, “भारत के महानतम दूरदर्शी लोगों में से एक, के मूल्यों को अमर कर दिया”। एस. एम. खान फाउंडेशन, प्रतिष्ठित इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर, के संयोजन से सांस्कृतिक संवाद व सामुदायिक विकास को बढ़ावा देंगें। उद्यमी व इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर के पूर्व अध्यक्ष सिराजुद्दीन कुरैशी ने कहा, “हमारा दिल टूट गया है व मैंने एक अच्छा दोस्त खो दिया है, जो कई वर्षों से मेरी टीम का हिस्सा थे। एस.एम. खान ने मुस्लिम समुदाय और इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर के सदस्यों के दिलों में एक गहरी विरासत छोड़ी है। अल्लाह उन्हें जन्नत-उल-फिरदौस अता करे!” मोहम्मद फुरकान, उपाध्यक्ष, क़मर अहमद, आईपीएस, सिकंदर हयात ने एस. एम. खान के प्रति अपना सम्मान व्यक्त किया है।

फासडर्मा (कॉस्मोलॉजी) इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के सीएमडी व आईआईसीसी के सक्रिय सदस्य, इमरान खान ने कहा, “एस. एम. खान मेरे पारिवारिक सदस्य थे। उनके व्यक्तित्व में अनेक गुण थे जिन्हें शब्दों में बयान करना कठिन है। अब हम एक मार्गदर्शक के बिना रह गए हैं”! अबुज़र हुसैन खान, बोर्ड के सदस्य ने भावुकतापूर्ण श्रद्धांजलि देते हुए कहा, “एस. एम. खान की उत्कृष्टता व सत्यनिष्ठा की विरासत वे छोड़ गए है। हमें उसका अनुसरण करना है”। मुदस्सिर हयात, अध्यक्ष, एएमयूओबीए ने कहा, “एस. एम. खान ने मुस्लिम समुदाय के लिए अथक परिश्रम किया, सांस्कृतिक सद्भाव व बौद्धिक विकास को बढ़ावा दिया।

वे भारत के एक सच्चे, दयालु नेता व ज्ञान की आवाज़ थे।” सेवा, विनम्रता व समर्पण की उनकी विरासत पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। आलमी टीवी के प्रधान संपादक व उर्दू फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. कबीर सिद्दीकी ने कहा, “एस.एम. खान का निधन एक युग का अंत है, लेकिन सभी के लिए उन मूल्यों और भावना का पालन करना शुरू हो गया है जो उनकी उपलब्धियों की हस्ताक्षर रेखा थी।” मीडिया में एक सहकर्मी के रूप में, मैं शहज़ाद मुहम्मद खान के लिए मैं एक प्रार्थना उद्धृत करती हूं: ‘अल्लाहुम्मा मन अहियताहु मिन्ना फा अहिहि अला अल-इस्लाम, वा मन तवाफयताहु मिन्ना फतवाफाहु ‘अला अल-ईमान। अल्लाहुम्मा ला तहरीमना अजरहू, वा ला टुडिल्लाना ब’दाहु’। (ऐ अल्लाह, हमारे जीवित और मृत, उपस्थित और अनुपस्थित, हमारे जवान और बूढ़े, हमारे नर और मादा सभी को क्षमा कर)।

इन्ना लिल्लाहि वा इन्ना इलैहि राजिउन
إِنَّا ِلِلَّٰهِ وَإِنَّا إِلَيْهِ رَاجِعُونَ,

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के मूल्यों व एस.एम. खान की प्रतिबद्धता लोगों के लिए एक मार्गदर्शन, ज्ञान, विनम्रता व दयालुता का आह्वान है। अल्लाह उन्हें जन्नत-उल-फिरदौस व शाश्वत शांति प्रदान करें। एस एम खान फाउंडेशन इन आदर्शों को रूपांतरित करने में प्रयासशील है।

प्रो. नीलम महाजन सिंह
(वरिष्ठ पत्रकार, राजनैतिक विश्लेषक, दूरदर्शन व्यक्तित्व, सॉलिसिटर फॉर ह्यूमन राइट्स संरक्षण व परोपकारक)