बीजेपी शिवसेना में दुश्मनी की वजह है आरे मेट्रो कार शेड

प्रदीप शर्मा

मेट्रो-3 कार शेड तो आरे में ही बनेगा। आरे में जिस जगह पर मेट्रो कार शेड का 25% काम हो चुका है, उसी जगह पर 100% काम होगा। यही मुंबई के हित में होगा, क्योंकि इससे मेट्रो जल्दी शुरू हो सकेगी।’ ये बात महाराष्ट्र के डिप्टी CM देवेंद्र फडणवीस ने 30 जून को शपथ लेने के 1 घंटे बाद हुई पहली कैबिनेट मीटिंग में कही थी।

देखा जाए तो आरे मेट्रो-3 कार शेड फडणवीस और उद्धव ठाकरे के लिए नाक के सवाल के साथ दुश्मनी की वजह बन चुका है। इसकी बानगी उद्धव ठाकरे के बयान में भी दिखी। उद्ध‌व ठाकरे ने 1 जुलाई को कहा कि जिस तरह मेरी पीठ में खंजर घोंपा है, वैसे मुंबई के कलेजे में खंजर मत घोंपो। सरकार को मुंबई के पर्यावरण से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए।

2014 में महाराष्ट्र में ‌BJP शिवसेना के गठबंधन वाली सरकार थी। देवेंद्र फडणवीस CM थे। फडणवीस ने आरे मिल्क कॉलोनी में 33.5 किलोमीटर अंडरग्राउंड कोलाबा-बांद्रा-SEEPZ मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए कार शेड बनाने के प्लान घोषणा की थी। प्रोजेक्ट के तहत आरे में 2,000 से ज्यादा पेड़ों को काटा जाना था।

इस घोषणा के साथ ही पर्यावरण एक्टिविस्ट्स और छात्रों ने इसका विरोध शुरू कर दिया। पर्यावरण प्रेमी इस कार शेड को दूसरी जगह शिफ्ट करने की मांग कर रहे थे। उन्होंने आशंका जताई कि इस कार शेड से इलाके की बायोडायवर्सिटी, यानी जैव-विविधता नष्ट होगी और इलाके में और निर्माण के लिए जमीन पर कब्जे का रास्ता भी खुल जाएगा।

BJP को तब बड़ा झटका लगा, जब उसकी सहयोगी शिवसेना ने इस प्रोजेक्ट के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इसकी अगुआई शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के बेटे और युवा सेना लीडर आदित्य ठाकरे कर रहे थे। मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन का कहना है कि यह एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है और इस इलाके में लोकल ट्रेन की यात्रा के दौरान हर दिन 10 लोगों की मौत होती है। मुंबई मेट्रो के एक प्रवक्ता आशुतोष कुंभकोनी ने कोर्ट को बताया था कि इस प्रोजेक्ट के पूरा होने से इस स्थिति पर काबू पाया जा सकेगा।

मेट्रो कार शेड को आरे में फिर से लाने के फैसले को कई अन्य डेवलपमेंट प्रोजेक्ट से जोड़कर देखा जा रहा है। वाइल्डलाइफ बायोलॉजिस्ट आनंद पेंढारकर कहते हैं कि इससे अन्य प्रोजेक्ट के सामने आ रही पर्यावरणीय रुकावटों की भी अनदेखी की जाएगी। खासकर अहमदाबाद और मुंबई के बीच चलने वाली बुलेट ट्रेन के मामले में। आरे में फिर मेट्रो कार शेड लाने का मकसद है- बुलेट ट्रेन में आने वाली रुकावटों को इसके बहाने दूर करना। बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट भी भूमि अधिग्रहण और पर्यावरणीय प्रभावों के कारण रुका हुआ है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी परियोजना है।

2019 में पर्यावरण एक्टिविस्ट और आरे के स्थानीय लोगों ने पेड़ काटने की अनुमति देने के BMC ट्री अथॉरिटी के फैसले को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी। याचिकाकर्ताओं ने आरे को बाढ़ एरिया ओर जंगल घोषित करने की भी मांग की।

4 अक्टूबर 2019 को चीफ जस्टिस प्रदीप नंदराजोग की अगुआई वाली बेंच ने BMC के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया। इसके बाद 24 घंटे के भीतर मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड MMRCL ने क्षेत्र में 2,000 से अधिक पेड़ काट डाले। अगले ही दिन याचिकाकर्ता हाईकोर्ट की स्पेशल बेंच के पास पहुंचे, लेकिन कोर्ट ने पेड़ काटने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।

दो दिन बाद सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों को और पेड़ काटने से रोक दिया और आरे में यथास्थिति का आदेश दिया। वहीं महाराष्ट्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि जिन पेड़ों को काटा जाना था, उन्हें पहले ही काट दिया गया था। MMRCL ने इसके बाद एक बयान में बताया कि 2,141 पेड़ काटे गए हैं।

2019 के विधानसभा चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे ने भी आरे में पेड़ों की कटाई का विरोध किया। उन्होंने कहा कि भारी विरोध के कारण मेट्रो कार शेड का हश्र नाणार ग्रीन रिफायनरी जैसा ही होगा। उन्होंने वादा किया कि सत्ता में दोबारा आए तो इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।

आदित्य ठाकरे ने 4 अक्टूबर 2019 को ट्वीट किया-पेड़ों को जिस तेजी से काटा गया, उसे देखते हुए मुंबई मेट्रो के अधिकारियों को PoK में क्यों नहीं तैनात किया जाना चाहिए? उन्हें पेड़ों को नष्ट करने की जगह आतंकवादी अड्डों को नष्ट करने भेज देना चाहिए। 2019 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में BJP-शिवसेना ने भले ही मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन आरे को लेकर दोनों में साफतौर पर मतभेद सामने आए थे।

चुनाव के बाद BJP और शिवसेना गठबंधन को बहुमत मिला, लेकिन CM को लेकर पेंच फंस गया। इसके बाद शिवसेना ने विपक्षी दल NCP और कांग्रेस के साथ मिलकर सूबे में महाविकास अघाड़ी सरकार बनाई। शिवसेना के इस सियासी खेल से BJP को तगड़ा झटका लगा। इधर उद्धव ठाकरे की CM पद की ताजपोशी हुई और उधर अगली ही सुबह यानी 29 नवंबर 2019 को नई सरकार ने मेट्रो कारशेड का काम रोक दिया।

साथ ही इसे कांजूरमार्ग में सॉल्ट पैन लैंड पर बनाने की घोषणा कर दी। आरे में लगभग 800 एकड़ भूमि को फॉरेस्ट रिजर्व घोषित कर दिया। अक्टूबर 2020 में उद्धव राज्य सरकार ने मुंबई उपनगरीय जिला कलेक्टर के माध्यम से कांजुरमार्ग भूमि के 102 एकड़ के भूखंड को मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण यानी MMRDA को देने का आदेश दिया। इसके बाद MMRDA ने जमीन दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड यानी DMRCL को दे दी। DMRCL को ही प्रस्तावित मेट्रो कॉरिडोर के लिए कार शेड और इंटरचेंज स्टेशन का निर्माण करना था।

प्रोजेक्ट को कांजूरमार्ग में सॉल्ट पैन लैंड शिफ्ट करने पर केंद्र सरकार ने विरोध किया। केंद्र सरकार ने कहा कि इस जमीन पर मालिकाना हक उनका है ऐसे में इजाजत जरूरी है। इसके बाद भी उद्धव सरकार ने इस पर काम जारी रखने की घोषणा की। ऐसे में केंद्र सरकार बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंचा। 16 दिसंबर 2020 को हाईकोर्ट ने उद्धव सरकार को झटका देते हुए इस प्रोजेक्ट पर स्टे लगा दिया। समय-समय पर यह स्टे बढ़ता रहा।

बोम्बे हाईकोर्ट के आदेश के कुछ दिनों बाद महाराष्ट्र के शहरी विकास मंत्री रहे एकनाथ शिंदे ने कहा था कि MVA के नेतृत्व वाली राज्य सरकार का आरे कार शेड प्रोजेक्ट को रद्द करने और इसे कांजूरमार्ग शिफ्ट करने का फैसला जनहित में था। शिंदे ने आरोप लगाया कि विपक्षी BJP जनता के हितों की कीमत पर राजनीति कर रही है। साथ ही कांजूरमार्ग भूमि के मालिकाने हक पर केंद्र के रुख को दुर्भाग्यपूर्ण बताया था।