- मुख्यमंत्री शर्मा ने पेयजल संकट और वाटर सप्लाई प्रबंधों का जायजा लेकर दिखाया प्रदेशवासियों को अपना संवेदनशील और मानवीय चेहरा
- राजस्थान को भारत सरकार से पेयजल की दृष्टि से विशेष राज्य का दर्जा दिला कर मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा बनेंगे रेगिस्तान के भागीरथ?
गोपेन्द्र नाथ भट्ट
नौतपा में दहकते अंगारों की तरह जल रहे राजस्थान में भीषण गर्मी के मध्य पेयजल संकट पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने बुधवार को खुद मोर्चा सम्भाल लिया और पानी की सप्लाई जांचने के लिए जयपुर की सड़कों पर सिर पर गमछा बांध कर उतर पड़े। मुख्यमंत्री शर्मा ने जयपुर में रामनिवास बाग वाटर पम्प हाउस में आकस्मिक निरीक्षण कर पानी के वितरण की व्यवस्था देखी। मुख्यमंत्री शर्मा के इस अचानक दौरे और निरीक्षण से जलदाय विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों में हड़कम्प मच गया।
मुख्यमंत्री ने अपने औचक निरीक्षण के दौरान शहर की पेयजल सप्लाई और पानी को लेकर हो रही समस्याओं का जायजा लिया तथा अधिकारियों से जानकारी लेकर उन्हे आवश्यक दिशा निर्देश भी दिए।
बीते कई दिनों से पड़ रही भीषण गर्मी और हीट वेव के चलते आम जनता को हो रही कठिनाइयों को देखते हुए मुख्यमंत्री शर्मा द्वारा खुद सड़क पर उतर कर व्यवस्थाओं का निरीक्षण करने को लोगों ने सराहा है। सीएम के इस कदम का सभी ओर से स्वागत किया जा रहा है। भाजपा द्वारा मुख्यमंत्री शर्मा द्वारा किए गए इस निरीक्षण को जनता में एक सकारात्मक संदेश देने का प्रयास किया जा रहा है और बताया जा रहा है कि सरकार उनकी समस्याओं को गंभीरता से ले रही है और उन पर त्वरित कार्रवाई भी कर रही है।
मुख्यमंत्री शर्मा ने भीषण गर्मी को देखते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे पेयजल की सप्लाई को सुनिश्चित करें और गर्मी के मौसम में लोगों को हो रही किसी भी प्रकार की समस्या को तुरंत हल करें। मुख्यमंत्री ने पक्षियों के लिए परिंडे लगाने और उनके लिए दाना-पानी की व्यवस्था करने के निर्देश भी दिए।
उल्लेखनीय है कि एक सप्ताह से राजस्थान में भीषण गर्मी का सितम जारी है और पश्चिमी राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों में पारा ने 55 डिग्री को पार कर नए रिकार्डस को छूआ है ।
इस दौरान प्रदेश में कई लोगों की लू लगने से मौत भी हुई है । समूचा राजस्थान कई दिनों भीषण गर्मी की चपेट में है और मौसम विभाग के अनुसार 31 मई से लू की तीव्रता में कमी होने की संभावना है।
बुधवार को राजस्थान के लोगों को इस भीषण गर्मी से हल्की राहत भी मिली। बुधवार को राजस्थान में 1 से 3 डिग्री तक गिरावट आई है,जिससे लोगों को कुछ राहत मिली. हालांकि प्रदेश के कई जिलों में लू और हीटस्ट्रोक अभी भी जानलेवा बना हुआ है।
बुधवार शाम मौसम विज्ञान विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार 29 मई को पिलानी राजस्थान में सबसे अधिक गर्म रहा।
मौसम केंद्र जयपुर के अनुसार, बुधवार को पिलानी में अधिकतम तापमान 48.2 डिग्री, चुरू में 47.7 डिग्री, अलवर में 47.5 डिग्री, वनस्थली में 47.2 डिग्री, फलोदी में 47.0 डिग्री, गंगानगर में 46.9 डिग्री और राजधानी जयपुर में 46.0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। इस मध्य राज्य में 31 मई से दो जून तक जयपुर, बीकानेर, भरतपुर संभाग के कुछ भागों में आंधी बारिश की भी संभावना बताई गई है।राज्य में एक जून से भीषण गर्मी से राहत मिलेगी और अधिकांश भागों में अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से नीचे आएगा।
उधर प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने भीषण गर्मी को देखते हुए अस्पतालों में आवश्यक प्रबंध सुनिश्चित करने के लिए राज्य स्तर से सभी जिलों के लिए प्रभारी अधिकारी नियुक्त किए हैं। इन सभी अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से आवंटित जिलों में दौरा करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री शर्मा के निर्देश पर राज्य के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने उच्च स्तरीय बैठक लेकर स्थिति को समीक्षा की है। विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह ने बताया कि सभी प्रभारी अधिकारी अपने-अपने जिलों में संबंधित प्रभारी सचिव से समन्वय स्थापित कर गर्मी के प्रबंधन को लेकर आ रही खामियों का मौके पर ही समाधान कर रिपोर्ट देंगे।
राजस्थान में पानी की समस्या नई नही
रेगिस्तान प्रधान और भौगोलिक दृष्टि से देश के सबसे बड़े प्रदेश राजस्थान में भूजल और सतही पानी की समस्या नई नही हैं। प्रदेश के अधिकांश हिस्से डार्क जोन में है। पीने के पानी की गुणवत्ता भी निर्धारित मानदंडों के अनुरूप नहीं है। नागौर जिले का एक भाग को बांका पट्टी के रूप में कुख्यात है। सल्फर युक्त पानी से दांतों के साथ हड्डियों की कमजोरी कई लोगो को स्थाई रूप से विकलांग बना देती है।
गर्मियां आते ही राजस्थान की पेयजल समस्या विकराल रूप ले लेती है। राज्य के कई भागों में विशेष ट्रेन संचालित कर और टैंकरों से पानी पहुंचाना पड़ता है। मरू स्थलीय इलाकों में जल समस्या और अधिक विकट हो जाती है। आजादी के 75 वर्षों में कांग्रेस और भाजपा की सभी सरकारों ने राजस्थान की इस गहरी समस्या का स्थाई समाधान के लिए कई प्रयास किए। भारत सरकार ने भी विश्व की सबसे बड़ी इंदिरा गांधी राजस्थान नहर परियोजना का निर्माण करा कर पश्चिमी राजस्थान के रेतीले क्षेत्र में सिंचाई के साथ साथ पेयजल की व्यवस्था करने की कोशिश की। प्रदेश की राजधानी जयपुर और निकटवर्ती अजमेर भीलवाड़ा को बीसलपुर और चंबल के पानी से राहत मिली। वही राज्य के दूसरे सबसे बड़े शहर जोधपुर जो कभी जवाई बांध से जलापूर्ति पर निर्भर रहता था उसे भी अब गंगा का पानी पीने मिल रहा है। इन सभी प्रयासों के बावजूद प्रदेश में पानी की कमी आज भी सबसे बड़ी समस्या है जिसका असर सभी और देखा जा सकता है। राज्य के सर्वांगीण विकास में भी यह बाधक है।
मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा को बनना होगा राजस्थान का भागीरथ
मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा को प्रदेश का भागीरथ बन कर केंद्र सरकार से राजस्थान को पानी की कमी की दृष्टि से विशेष राज्य का दर्जा दिलवाने के प्रयास करने आगे आना होगा तभी प्रदेश की वर्षों से चली आ रही इस मांग को पूरा करना संभव होगा तथा मुख्यमंत्री शर्मा ने प्रदेश वासियों को बुधवार को जो अपना मानवीय और संवेदनशीलता का चेहरा दिखाया है उसकी सार्थकता सही अर्थों में सच साबित होंगी। उन्होंने पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को जमीन पर लाने तथा उसका विस्तार करने की जो योजना बनाई है उससे प्रदेश वासियों को बहुत उम्मीदें है लेकिन इसे राष्ट्रीय महत्व की परियोजना घोषित कराना भी जरुरी है।
देखना है मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा और उनकी सरकार राजस्थान की इस सबसे अधिक दुखती रग का निवारण कितनी जल्दी कर राजस्थान के करोड़ों प्यासे कंठों की प्यास बुझाते है?