वर्ष 1983 से 2025 तक: अब महिला टीम ने लिखी नई गौरव-गाथा

From 1983 to 2025: Now the women's team has written a new saga of glory

सुनील कुमार महला

02 नवंबर 2025 रविवार का दिन अपने-आप में ऐतिहासिक बन गया और हम सभी गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। दरअसल, इस दिन हमारे देश की महिला क्रिकेट टीम ‘विश्व विजेत्री’ बन गई। रविवार को नवी मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम पर खेले गए मुकाबले में भारत ने पहले भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 50 ओवर में सात विकेट पर 298 रन बनाए तथा जवाब में दक्षिण अफ्रीका की टीम 45.3 ओवर में 246 रन पर ऑलआउट हो गई। इस मैच में साउथ अफ्रीका की कप्तान लॉरा वोल्वार्ट ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी चुनी थी, लेकिन भारत ने यह मुकाबला 52 रन से जीत लिया और पहली बार महिला टीम वनडे विश्व कप का खिताब जीतने में कामयाब रही। हालांकि,​लक्ष्य का पीछा करते हुए दक्षिण अफ्रीका की कप्तान लॉरा वूलवार्ट ने अकेले दम पर लड़ाई लड़ी। उन्होंने दबाव में रहते हुए भी बेहतरीन/शानदार बल्लेबाजी की और लगातार दूसरा शतक जड़ते हुए 101 रन बनाए। कहना ग़लत नहीं होगा कि उनकी पारी ने मैच को काफ़ी रोमांचक बनाए रखा, लेकिन उन्हें दूसरे छोर से पर्याप्त समर्थन नहीं मिल सका। इधर, हरमनप्रीत कौर ने भारतीय टीम का नेतृत्व किया और अब वह कपिल देव, एमएस धोनी और रोहित शर्मा जैसे महान कप्तानों की श्रेणी में शामिल हो गई हैं, विशेष बधाई और शुभकामनाएं। वास्तव में, यह दर्शाता है कि आज महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरूषों से कम नहीं हैं। आज हमारे देश की महिलाएं हर क्षेत्र में कीर्तिमान पर कीर्तिमान स्थापित कर रहीं हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो आज महिला सशक्तीकरण हो रहा है।सच तो यह है कि आज महिलाएं जीवन के हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का परचम लहरा रही हैं। वे राजनीति, विज्ञान, शिक्षा, खेल, रक्षा, अंतरिक्ष और उद्योग जगत तक में उत्कृष्ट योगदान दे रही हैं। और तो और तकनीकी और चिकित्सा क्षेत्र में भी उनकी भूमिका तेजी से बढ़ी है। यह साबित करता है कि महिलाएं अब सीमाओं को तोड़कर हर क्षेत्र में अग्रणी बन चुकी हैं।हम यहां यह बात खुले दिल से कह सकते हैं कि महिला सशक्तीकरण का स्वर अब क्रिकेट के मैदानों में भी गूंजने लगा है। आज भारतीय महिला खिलाड़ी अपने प्रदर्शन से विश्वभर में देश का नाम रौशन कर रही हैं। खेल के माध्यम से महिलाएं आत्मविश्वास, नेतृत्व और स्वतंत्र सोच का परिचय दे रही हैं। जहां तक क्रिकेट की बात है तो, क्रिकेट भी अब सिर्फ पुरुषों का खेल नहीं रहा है, बल्कि यह अब समान अवसर और सम्मान का प्रतीक बन गया है। यह बदलाव समाज में महिलाओं की बढ़ती ताकत और उनकी नई पहचान का सशक्त उदाहरण है।पाठक जानते हैं कि 2 नवंबर 2025 रविवार को हमारी महिला क्रिकेट टीम ने साउथ अफ्रीका(दक्षिण अफ्रीका) की टीम को 52 रन से हराया‌ और हम क्रिकेट में विश्व चैंपियन बन गए,जो कि अब तक पुरूषों के वर्चस्व वाला ही खेल माना जाता रहा है। पाठकों को बताता चलूं कि 25 जून 1983 को कपिल देव के नेतृत्व में भारतीय पुरुष क्रिकेट टीम ने इतिहास रचते हुए पहली बार क्रिकेट विश्व कप जीतकर देश का सिर गर्व से ऊँचा कर दिया था। उस दिन क्रिकेट में भारत ने अपना झंडा गाड़ा था और पूरी दुनिया को अपनी ताकत दिखाई थी। आज, 2 नवम्बर 2025 को वही इतिहास दोबारा लिखा गया है, पर इस बार बल्ला थामा हरमनप्रीत कौर की कप्तानी वाली भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका को करारी शिकस्त देकर विश्व क्रिकेट में एक नया स्वर्ण अध्याय जोड़ दिया है। यह जीत सिर्फ एक खेल की जीत नहीं, बल्कि भारतीय नारी शक्ति की उड़ान का प्रतीक है। हर महिला खिलाड़ी ने मैदान पर ऐसा जज़्बा दिखाया, मानो 1983 की आत्मा फिर से जीवित हो उठी हो। करोड़ों भारतीयों के दिलों में गर्व और खुशी का सैलाब उमड़ पड़ा है। महिला क्रिकेट की यह उपलब्धि आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगी कि मेहनत और हौसले से कोई भी सपना असंभव नहीं। अब भारत न केवल पुरुष क्रिकेट का, बल्कि महिला क्रिकेट का भी विश्व विजेता बन चुका है। कहना ग़लत नहीं होगा कि वास्तव में यह सच्चे अर्थों में ‘नए भारत’ का गौरव क्षण है। इस खिताबी जीत में शेफाली वर्मा और दीप्ति शर्मा का अहम योगदान रहा। रोहतक की शेफाली ने पहले 78 गेंद पर 87 रन बनाए और फिर बाद में अपनी फिरकी का जादू चलाते हुए शीर्ष पांच में से दो साउथ अफ्रीकी बैटर्स के विकेट भी निकाले। दीप्ति शर्मा ने 58 रन बनाए और शानदार गेंदबाजी करते हुए अपनी ऑफ-स्पिन से 39 रन देकर 5 विकेट भी लिए। वास्तव में सच तो यह है कि भारतीय जीत की वास्तुकार बनीं ऑलराउंडर दीप्ति शर्मा। उन्होंने ही निर्णायक क्षणों में शतकवीर वूलवार्ट का विकेट लिया, जिससे दक्षिण अफ्रीका की उम्मीदें टूट गईं। उनकी इस जादुई गेंदबाजी ने टीम इंडिया की जीत सुनिश्चित की।शेफाली वर्मा को ‘प्लेयर ऑफ द मैच’ चुना गया, जबकि दीप्ति शर्मा को उनके शानदार प्रदर्शन के लिए ‘प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट’ चुना गया। बहरहाल, ऊपर इस आलेख में जानकारी दें चुका हूं कि भारत के 298 रनों के जवाब में साउथ अफ्रीका की पूरी टीम 246 रन ही बना पाई। बहरहाल, यहां यह उल्लेखनीय है कि भारतीय टीम तीसरी बार वनडे विश्व कप के फाइनल में पहुंची थी। पाठकों को बताता चलूं कि साल 2005 में बेटियों के चैंपियन बनने का सपना ऑस्ट्रेलिया ने और साल 2017 में इंग्लैंड ने तोड़ दिया था, लेकिन इस बार बेटियों ने हार नहीं मानी और दक्षिण अफ्रीका से अंत तक लड़ते हुए न सिर्फ मुकाबला जीता बल्कि खिताब भी अपने नाम कर लिया। गौरतलब है कि ऑस्ट्रेलिया की टीम सर्वाधिक बार महिला वनडे विश्व कप का खिताब जीतने वाली टीम है तथा साल 1973 में शुरू हुए इस टूर्नामेंट में अब तक कुल 13 बार विश्व कप खेले जा चुके हैं। इनमें से ऑस्ट्रेलिया ने रिकॉर्ड सात बार खिताब अपने नाम किया है। इंग्लैंड की टीम दूसरे स्थान पर है, जिसने चार बार ट्रॉफी जीती है। वहीं, न्यूजीलैंड ने एक बार विश्व कप अपने नाम किया है। अब इस सूची में भारतीय महिला टीम का भी नाम जुड़ गया है, जिसने पहली बार वनडे विश्वकप की ट्रॉफी अपने नाम की है।खुशी की बात है कि बीसीसीआई ने टीम के लिए 51 करोड़ रुपये की पुरस्कार राशि की घोषणा की है, निश्चित ही खिलाड़ियों का मनोबल इससे बढ़ेगा। जानकारी के अनुसार यह पुरस्कार राशि अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद से मिलने वाली पुरस्कार राशि के अतिरिक्त एक बड़ा बोनस है। गौरतलब है कि टूर्नामेंट के विजेताओं को पहले ही 4.48 मिलियन अमेरिकी डॉलर की पुरस्कार राशि मिल चुकी है। अंत में यही कहूंगा कि भारतीय महिला क्रिकेट टीम की ऐतिहासिक जीत से देशभर में महिलाओं के खेल के प्रति नजरिया और भी सकारात्मक होगा। यह जीत न केवल खिलाड़ियों के आत्मविश्वास को नई ऊँचाइयाँ देगी, बल्कि आने वाली पीढ़ी की लड़कियों को भी खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलेगी। दूसरे शब्दों में कहें तो यह जीत देश भर में महिला क्रिकेट के प्रति जागरूकता और समर्थन को भी बढ़ाएगी। उम्मीद है कि इस सफलता के बाद, महिला क्रिकेट को और अधिक प्रोत्साहन मिलेगा और यह खेल देश में और भी अधिक लोकप्रिय हो सकेगा।