भारत वियतनाम संबंधों को प्रगाढ़ करने में नये पहलू हुए विकसित.

रावेल पुष्प

कोलकाता की इंडो वियतनाम सॉलिडेरिटी कमेटी ने संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत इंडियन म्यूजियम के सौजन्य से प्रतिष्ठित आशुतोष सभागार में स्वतंत्र वियतनाम के प्रतिष्ठाता तथा प्रथम राष्ट्रपति हो ची मिन्ह के 133 वें जन्मदिवस तथा अंतरराष्ट्रीय म्यूजियम दिवस के उपलक्ष्य में एक खास चित्र प्रदर्शनी तथा सेमिनार का आयोजन किया जिसका विषय था- वियतनाम में भारतीय संस्कृति के चिन्ह!

आशुतोष हाल की प्रदर्शनशाला में लगी चित्र प्रदर्शनी में वियतनाम में स्थित कई मंदिरों, मठों, शिवलिंग वगैरा के कई चित्र प्रदर्शित किये गए,जो इस बात के गवाह हैं कि भारतीय संस्कृति के कई चिन्ह वियतनाम में मौजूद हैं और दोनों देशों की संस्कृति मैं कई समानताएं भी हैं। गौरतलब है कि प्रदर्शित चित्रों में अधिकतर चित्रों के छायाकार भारत वियतनाम संबंधों को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले दिवंगत गीतेश शर्मा जी हैं।

इसका उद्घाटन पश्चिम बंगाल के माननीय राज्यपाल डॉ सी वी आनंद बोस ने किया और फिर मुख्य कार्यक्रम में अपना वक्तव्य रखते हुए दोनों देशों के बीच के कई संबंधों का जिक्र किया,जिनमें वियतनाम में भारत के चंपा अंचल के लोगों का निवास, विवेकानंद केंद्र, तमिल सैनिकों की उपस्थिति वगैरह। इसके अलावे हो ची मिन्ह के कोलकाता आगमन और राजभवन में तब “अंकल हो” पौधा लगाने पर भी चर्चा की।

इस मौके पर भारत स्थित वियतनाम के राजदूत नुयेन थान हाई ख़ास मेहमान थे, जिन्होंने दोनों देशों के बीच के मधुर संबंधों को कई प्रसंगों के माध्यम से रेखांकित किया, जिनमें बताया कि इस समय भारत से वियतनाम के हनोई के लिए सीधे पन्द्रह उड़ाने हैं और दोनों देशों के बीच व्यापार का सम्बन्ध तो वर्षों पुराना है। कोलकाता तो ऐसे सम्बंधों का मुख्य केंद्र ही रहा है।

वियतनाम में कुछ समय तक अध्यापिका रही प्रभा सामंतराय के संचालन में हुए कार्यक्रम में इंडियन म्यूजियम के शिक्षा अधिकारी डॉ सायेन भट्टाचार्य ने हो ची मिन्ह के जन्मदिन के मौके पर अंतरराष्ट्रीय म्यूजियम दिवस के पालन को महत्वपूर्ण कहा।

भारत वियतनाम संबंधों पर ही डाक्ट्रेट की डिग्री हासिल कर चुकी विदुषी प्राध्यापिका डॉ. तिलोत्तमा मुखर्जी ने वियतनाम में योग, पंचकर्म, तथा भारतीय फिल्मों, सीरियलों के प्रदर्शन सहित यहां के साहित्य के वियतनामी अनुवाद पर विस्तृत जानकारी देते हुए ये भी बताया कि इस समय वियतनामी युवाओं को भारत से 250 छात्रवृत्तियां प्रदान की जाती हैं।

इस मौके पर सालिडरिटी कमेटी की अध्यक्ष तथा कार्यक्रम की मुख्य संयोजक कुसुम जैन ने दिवंगत गीतेश शर्मा द्वारा वियतनाम पर लिखित कुछ किताबें राज्यपाल को भेंट कीं।

इसके बाद दूसरे दिन जन संसार सभा कक्ष में वियतनाम के भारत में राजदूत गुएन थान हाई की उपस्थिति में एक विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ, जिसमें गीत, नृत्य तथा कवि रावेल पुष्प ने अपनी ख़ास कविता वियतनाम का प्रेम कपूर द्वारा किया अंग्रेजी अनुवाद प्रस्तुत किया।

कार्यक्रमों के दौरान अन्य वक्ताओं में शामिल थे-सर्वश्री अमिताभ चक्रवर्ती,समीर कुमार दास,गौतम दे, डॉ मृणाल कांति चकमा, शक्ति रायचौधरी, प्रेम कपूर तथा अन्य।

वियतनाम के निर्माता तथा प्रथम राष्ट्रपति हो ची मिन्ह के जन्मदिन पर हुए दो दिनों के कार्यक्रम में विभिन्न वक्ताओं द्वारा दिये गये वक्तव्यों तथा कुछ निर्णयों ने भारत वियतनाम संबंधों को और प्रगाढ़ करने में नये पहलू विकसित किए।